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बलिया स्पेशल

स्थापना दिवस : बलिया के बेमिसाल 142 साल, वक्त के साथ बलिया ने बनाई अलग पहचान

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बलिया। गंगा और सरयू दो नदियों से घिरा और दो राज्यों (उत्तर प्रदेश और बिहार) का सीमावर्ती जिला बलिया अब 142 साल का हो गया है। आजादी के बाद की यात्रा में बलिया ने विकास के कई सोपान तय किए हैं। एक अलग अनूठी गौरवशाली संस्कृति और सभ्यता, रंग, ढंग और बयार देख किसी के भी मन में अनेक सवाल उठते हैं। जिद पर अड़ना और हित में लड़ना भी यहां की पहचान है। धोती, कुर्ता, लिट्टी-चोखा, भूजा, सत्तू बलिया की शान है। बलिया जनपद के 142वें स्थापना दिवस पर शहीद पार्क में बुधवार को केक काटा गया। दिनभर बधाई देने और मिठाई बांटने का सिलसिला चलता रहा।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जिले को बलिया राष्ट्र कहते थे। उन्होंने कहा था कि एक राष्ट्र की अपनी भाषा, संस्कृति, भोजन और भू-भाग होता है। ये सारी चीजें यहां हैं। जिले की स्थापना एक नवंबर 1879 को हुई थी। उससे पहले यह गाजीपुर जिला का ही अंश था। यह जिला 1857 क्रांति के नायक मंगल पांडेय, स्वतंत्रता आंदोलन 1942 के हीरो चित्तू पांडेय या ठाकुर जगन्नाथ सिंह जैसे लोगों का है, उनके नाम से अंग्रेज थरथर कांपते थे। यह जनपद कवि केदारनाथ सिंह का है तो मशहूर ललित निबंधकार डॉ. कृष्णबिहारी मिश्र का भी। डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, परशुराम चतुर्वेदी जैसे लोग इसी धरती पर हुए तो भागवत शरण उपाध्याय भी इसी धरती से थे। कई महान संत और साधु जैसे जमदग्नि, वाल्मीकि, भृगु, दुर्वासा आदि के आश्रम बलिया में ही हैं। यह वही जनपद है जहां के क्रांतिकारियों ने 1942 में देश भर में सबसे पहले कुछ दिनों के लिए आजादी हासिल कर ली थी।

ब्रिटिश सरकार के समानांतर स्वतंत्र बलिया प्रजातंत्र की सरकार का गठन कर लिया था। आपातकाल के बाद हुई क्रांति के जनक तथा महान स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण भी यहीं के मूल निवासी थे। भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर भी इसी बलिया के थे। समाजवादी चितक तथा देश में ‘छोटे लोहिया’ के नाम से विख्यात जनेश्वर मिश्र भी यही के थे। स्वतंत्रता आंदोलन में यहां के निवासियों के विद्रोही तेवर के कारण इसे बागी बलिया के नाम से भी जाना जाता है। बलिया का नाम चाहे वाल्मीकि/बाल्मीकि के अप्रभंश से उपजा हो या यहां बहुतायत में पाई जाने वाली ‘बलुआ’ माटी से या फिर राजा बलि के क्षेत्र के रूप में।

पर इस बात की प्रमाणिक पुष्टि है कि बलिया ऐतिहासिक रूप से बहुत पहले से अस्तित्व में रहा है। जिला के रूप में बलिया का 142वां साल पूरा होने पर जनपदवासियों ने न सिर्फ एक-दूसरे को बधाई दी, बल्कि कार्यक्रम भी आयोजित किये। बलिया की पुरानी तहसील में द्वाबा, खरीद और बलिया परगना था, इसमें लखनेश्वर और कोपाचीट को शामिल कर लिया गया। आजमगढ़ के सदर तहसील मदांव एवं सिकंदरपुर परगना को मिलाकर रसड़ा तहसील बनाई गई। 10 अप्रैल 1882 को जनपद में एक और तहसील स्थापित की गई, जिसमें खरीद परगना एवं सिकंदरपुर के 225 गांव शामिल कर तहसील का नाम सिकंदरपुर रखा गया।

इसी दौरान कोपाचीट के 212 गांव बलिया तहसील में सम्मिलित कर लिए गए और इस परगना का नाम कोपाचीट रखा गया। खरीद एवं सिकंदरपुर पूर्वी परगना कायम हुआ। 19 नवंबर 1988 को मऊजनपद की स्थापना होने पर बलिया जनपद के रतनपुरा विकासखंड को मऊजनपद में शामिल कर लिया गया। बलियातहसील के पूर्वी भाग बेलहरी, मुरली छपरा, बैरिया और रेवती ब्लॉक के कुछ ग्रामों को मिलाकर चौथी तहसील बैरिया की स्थापना की गई। इसके बाद नवानगर, पन्दह एवं मनियर ब्लाक के कुछ गांव को अलग कर पांचवीं तहसील सिकंदरपुरतथा सीयर एवं रतनपुरा ब्लाक को मिलाकर छठवीं तहसील बिल्थरा रोड की स्थापना की गई।

वहीं स्थापना दिवस के मौके पर कलेक्टर अदिति सिंह ने कहा कि आज बलिया का स्थापना दिवस है। अपने सफर में बलिया के विकास के कई सोपान तय किए हैं। आगे भी बलिया के विकास के लिए कई बड़े प्लान तैयार हो रहे हैं। बलिया का गौरवशाली इतिहास रहा है। इस जिले की सबसे बड़ी खासियत यह कि आपदा की घड़ी में यहां के लोगों में सहयोगात्मक भावना रहती है। इस दिवस पर मैं यही कामना करती हूं कि यह जनपद विकास के पथ पर सदैव अग्रसर रहे।

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बी.एन. इंटरनेशनल स्कूल में विज्ञान प्रदर्शनी का भव्य आयोजन

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बलिया। नारायणपुर स्थित बी.एन. इंटरनेशनल स्कूल में शनिवार को विज्ञान प्रदर्शनी का शानदार आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने विज्ञान के विभिन्न आयामों पर आधारित अपने मॉडल प्रदर्शित कर सबको प्रभावित किया। उनकी सृजनशीलता और तकनीकी कौशल को देखकर अतिथि, अभिभावक व आगंतुक मंत्रमुग्ध रह गए।

कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्र के विख्यात एवं सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता श्री विनोद कुमार सिंह द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री बलविंदर सिंह, अभिभावकों तथा पूर्व छात्रों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही, जिन्होंने बच्चों का उत्साहवर्धन किया।

प्राचार्य श्री बलविंदर सिंह ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियाँ छात्रों में नवाचार, शोध क्षमता और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देती हैं। विद्यालय प्रबंधन ने सभी अतिथियों व प्रतिभागी छात्रों का आभार व्यक्त किया।

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फेफना खेल महोत्सव : कबड्डी फाइनल में जमुना राम मेमोरियल स्कूल की बेटियों का दमदार प्रदर्शन

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बलिया, 3 दिसंबर 2025। फेफना खेल महोत्सव 2025 के तहत आज बालिका वर्ग की कबड्डी प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला रोमांच और जोश से भरपूर रहा। खिताबी जंग जमुना राम मेमोरियल स्कूल, चितबड़ागांव और मर्चेंट इंटर कॉलेज, बलिया के बीच खेली गई।

कड़े संघर्ष से भरे इस मैच में जमुना राम मेमोरियल स्कूल की बालिकाओं ने शानदार कौशल, साहस और टीमवर्क का परिचय दिया। अंतिम मिनटों तक चले रोमांचक मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम ने उपविजेता का खिताब हासिल किया।

पूर्व खेल मंत्री ने बढ़ाया खिलाड़ियों का उत्साह

फाइनल मुकाबले में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे पूर्व खेल मंत्री श्री उपेंद्र तिवारी ने दोनों टीमों से भेंट कर उनका हौसला बढ़ाया। मैच के बाद उन्होंने विजेता और उपविजेता टीमों को मेडल व ट्रॉफी प्रदान कर सम्मानित किया।

विद्यालय परिवार में उत्सव जैसा माहौल

विद्यालय के प्रबंधक निदेशक इंजीनियर तुषार नंद ने छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि बेटियों का यह प्रदर्शन स्कूल के लिए गर्व की बात है।
प्रधानाचार्य अरविंद चौबे और क्रीड़ा शिक्षक सरदार मोहम्मद अफजल ने भी टीम की उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

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बलिया पहुंचीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, जेएनसीयू के दीक्षांत समारोह का किया शुभारंभ

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बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय (जेएनसीयू) के दीक्षांत समारोह में मंगलवार को प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। उनके आगमन पर विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

राज्यपाल ने दीप प्रज्वलन कर समारोह का शुभारंभ किया और मेधावी छात्रों को पदक पहनाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में कुलपति, शिक्षकों और छात्रों ने राज्यपाल का अभिनंदन किया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने छात्रों से कहा कि वे शिक्षा के साथ सामाजिक जिम्मेदारी को भी समझें और देश के विकास में योगदान दें। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को भी बधाई दी और बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाए रखने की सराहना की।

समारोह में जिले के कई गणमान्य व्यक्ति, जनप्रतिनिधि और अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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