बलिया स्पेशल
बलिया में चोरी की बाइक पर घूम रहा था फर्जी सिपाही, हुआ गिरफ्तार
रसड़ा डेस्क: बलिया पुलिस (Ballia police) ने चोरी की बाइक पर फर्जी सिपाही (Fake Police Constable) बनकर निकले एक शख्स को पकड़ा है। फर्जी सिपाही बन कर घूम रहे इस शख्त को फर्जी बाइक(Bike) के साथ रसड़ा (Rasra) इलाके में पकड़ा है। खबर के मुताबिक रसड़ा कोतवाली (Police Kotwali) इलाके में बीती शुक्रवार (Friday) की रात एसआई धर्मेन्द्र कुमार (Dharmendar Kumar ) सिंह दल-बल के साथ वाहन चेकिंग कर रहे थे, जहां से इस फर्जी सिपाही को दबोचा गया है।
एसआई धर्मेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि पुलिस की वर्दी पहने हुए फर्जी सिपाही ने रोके जाने पर अपनी धौंस जमानी शुरू कर दी। आरोपी की नेमप्लेट पर राजबीर यादव (Rajbir Yadav) लिखा था। उससे नाम-पता पूछा गया तो पहले उसने अपना नाम राजबीर यादव निवासी जिला गाजियाबाद (Ghaziabad) बताया। बाइक का नम्बर R-15 के बारे में पूछा गया तो पहले धौंस जमाते हुए इधर-उधर की बाते करने लगा।
उन्होंने कहा कि आरोपी से जब कड़ाई के साथ पूछताछ हुई तो उसने अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी। बाद में उसने अपना नाम रमित पाल सिंह (Ramit Pal Singh) बताया। उसने यह भी कबूल किया कि मैं सिपाही भी नहीं हूं, मैंने एक मोटरसाइकल गाजियाबाद पुलिस लाइन (Police Line) से चोरी की थी, जिसपर एक बैग भी था। उसी में यह वर्दी ( Uniform ) रखी हुई थी, इसी वर्दी को मैं पिछले दो सालों से पहन रहा हूं।
उसने बताया कि जो बाइक उसके पास मिली उसे उसने बदायूं से इसी वर्दी को पहनकर ट्रायल लेने के बहाने एक व्यक्ति से ली और फिर भाग निकला। आरोपी के खिलाफ पुलिस ने थाना रसड़ा पर आईपीसी 411, 413, 419, 420, 483, 171 के तहत केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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