बलिया स्पेशल
चुनावी कार्यवाही: बलिया में 143 अपराधियों की हुई गिरफ्तारी
बलिया : जिला निर्वाचन अधिकारी अदिति सिंह के निर्देश पर पुलिस की ओर से लगातार निरोधात्मक करवाई जा रही है। बुधवार को हुई चुनावी कार्यवाही में 143 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। पुलिस विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, अब तक 60 हजार लोगों को शांति व्यवस्था भंग न करने के लिए पाबन्द किया है।
एसडीएम कोर्ट द्वारा ऐसे 5200 लोगों को कोर्ट में गैरहाजिर रहने पर वारन्ट जारी किया गया है, जिनकी शीघ्र गिरफ़्तारी का अभियान चलाया गया है। चुनाव तैयारी में 07 हिस्ट्रीशीट खोली गयी व अन्य कई अपराधीयो की हिस्ट्रीशीट विभिन्न स्तर पर कार्यवाही कर खोली जा रही है।
छह मुकदमों में 26 व्यक्तियों के विरूद्ध गैंगेस्टर की कार्यवाही की गयी। गुण्डा एक्ट के तहत 188 चालानी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गयी, जिनमें से 28 को जिला मजिस्ट्रेट ने जिला बदर होने का आदेश दिया। कुल 87 अवैध शस्त्र (जिसमें 01 कार्बाइन व 06 पिस्टल) बरामद किया गया है। इसी दौरान कुल 19,496 लीटर अवैध शराब बरामद की गयी व कुल 35 शराब भठ्ठियों को नष्ट किया गया है। साथ ही अवैध शराब के कारोबार में लिप्त 305 लोगों को पिछले दो महीने में जेल भेजा गया है।
जनपद के ज्यादातर लाइसेन्सी शस्त्रधारकों से शस्त्र जमा करवाए गये हैं। एक शस्त्र के दुकान मालिक को अवैध कारोबार में लिप्त रहने पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया है। साथ ही इनके दुकान का लाइसेन्स निरस्त करवाने की प्रक्रिया भी चल रही है।
पीएसी व सीआरपीएफ का हुआ आगमन
पंचायत चुनाव सकुशल सम्पन्न करवाने के लिए 4 कंपनी पीएसी व एक कंपनी सीआरपीएफ के जवानों का आगमन जिले में हो चुका है, जो फ़्लैग मार्च विभिन्न ग्राम पंचायत में करेंगे और 12 हजार पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर 26 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी में तैनात रहेंगे।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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