बलिया के बेल्थरारोड के किसानों की इन दिनों दुर्दशा हो गई है। सरयू नदी के बाढ़ ने किसानों का फसल बर्बाद कर रखा है। सरयू और ताल के पानी में पूरे धान की फसल डूब चुकी है। बाढ़ और ताल के पानी में लगभग 1800 एकड़ धान की फसल डूब चुकी है। जिसके चलते करोड़ों का नुकसान हुआ है। इस नुकसान ने किसानों की कमर तोड़ रखी है। लेकिन अभी तक सरकार की ओर से किसानों को मुआवजा नहीं मिली है।
बिल्थरारोड के शाहपुर अफगां, तेलमा, पिपरौली, बहुता और हल्दीरामपुर तक के लगभग पचास गांव के खेत रतोई ताल और कोइली मुहान ताल और बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। सोनाडीह के पूर्व प्रधान प्रतिनिधि जयप्रकाश यादव का कहना है कि भगवानपुर राजस्व गांव में सोनाडीह के करीब नब्बे फीसदी लोगों का खेत है। लेकिन बाढ़ में हुई बर्बादी के बदले किसानों को कभी भी मुआवजा नहीं मिलता है।
यही शिकायत इंद्रानगर, मुबारकपुर, दोथ, बुद्धिपुर, बांसपार बहोरवां, बहाटपुर खेतहरी के लोग भी कर रहे हैं। शासन और प्रशासन इन नुकसानों पर पूरी तरह से आंखें मुंदे हुए है। क्षेत्र के किसानों को राहत देने के लिए कोई खास और ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। हर साल की कहानी यही है। सरयू और ताल का पानी इलाके के किसानों को आर्थिक तौर पर तोड़ चुका है।
बिल्थरारोड के किसानों की यह समस्या सिर्फ इसी साल की ही नहीं है। हर साल बरसात के मौसम में किसानों को बाढ़ और ताल की मार झेलनी पड़ती है। इसलिए अब इस समस्या के स्थाई समाधान की जरूरत है। ताकि बाढ़ के दिनों में किसानों की फसल ना डूबे और करोड़ों का नुकसान होने से बच जाए।
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