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बलिया स्पेशल

बलिया: खुले में शौच मुक्त गांव घोषित के नाम पर बड़ा घोटाला, मानक पर फेल हुए आधे गांव

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सरकारी अफसर किस तरह पलीता लगा रहे हैं, इसको देखना हो तो आपको बलिया जिले में चलना होगा, जहां खुले में शौच मुक्त गांव घोषित करने के नाम पर प्रदेश में अब तक सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। बलिया जिले में जितने गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था, आधे से ज्यादा इसके लिए निर्धारित मानक पर फेल हो गए हैं।

सरकारी मुलाजिमों की लापरवाही और कामचोरी के चलते इस जिले के सैकड़ों गांव में आज भी लोग गंदगी के बीच ही जीवन गुजारने को मजबूर हैं। बलिया जिले में खुले में शौच मुक्त गांव घोषित करने के नाम पर हुए इस बड़े घोटाले को लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

बलिया जिले में खुले में शौच मुक्त गांव घोषित करने के नाम पर हुए बड़े घोटाला का खुलासा उत्तर प्रदेश सरकार में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) पंचायतीराज के मिशन निदेशक डॉ. ब्रम्हदेव राम तिवारी ने किया है। मिशन निदेशक ने इसको लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी को जो नोटिस जारी किया है, उसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस नोटिस से बलिया जिले में स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर हुई लूट-खसोट की कहानी प्याज की परत दर परत की तरह खुलने लगी है।

मिशन निदेशक ने कारण बताओ नोटिस में लिखा है कि बलिया में 1844 ग्राम ओडीएफ घोषित किए गए थे, लेकिन मंडलीय उपनिदेशक और मंडलीय टीमों की जांच में 1094 ग्राम ओडीएफ के मानक पर खरे नहीं मिले। इस वजह से 1094 ग्रामों को दिया गया ओडीएफ प्रमाण पत्र निरस्त किया जाता है, जो लक्ष्य का 59.33 प्रतिशत है। बलिया जिले को खुले में शौचमुक्त करने के लिए अरबों रुपये की राशि खर्च होने के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोग आज भी खुले में शौच करने के लिए जा रहे हैं, लेकिन विभागीय रजिस्टर में उसे ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। ग्रामीणों का दावा है कि यदि ओडीएफ घोषित गांवों की गंभीरता और निष्पक्षता से जांच कर दी जाए तो शायद सदी का सबसे बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

डीपीआरओ से तीन दिन में स्पष्टीकरण तलब
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के निदेशक ने बलिया जिले में इतने बड़े स्तर पर गांवों के निरस्त होने पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा है कि इससे स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के मूल उद्देश्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसके लिए डीपीआरओ जिम्मेदार हैं। डीपीआरओ से तीन दिन के अंदर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा गया है, अन्यथा उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?

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बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।

वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।

उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?

बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।

सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।

अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!

फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है

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बलिया में ATM कार्ड के जरिए फ्राड करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, Encounter के बाद 4 गिरफ्तार

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बलिया के हल्दी में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद बिहार के चार अपराधियों को गिरफ्तार कर एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई के दौरान पैर में गोली लग से एक आरोपी घायल हो गया।

अपर पुलिस अधीक्षक कृपा शंकर ने संवाददाताओं को बताया कि बुधवार रात को पुलिस को सूचना मिली कि हृदयाचक तिराहा से पीपा पुल की ओर जाने वाली सड़क पर एक कार में कुछ संदिग्ध लोग आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जब पुलिस ने वाहन को रोकने का प्रयास किया तो चारों संदिग्ध कार से उतरकर भागने लगे।

शंकर ने कहा, ‘‘पीछा किए जाने पर अपराधियों में से एक ने पुलिस दल पर गोली चला दी, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। एक आरोपी पैर में गोली लगने से घायल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने सभी चार संदिग्धों को काबू कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘गोली लगने से घायल हुए बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के निवासी बच्चा लाल महतो (27) को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन की पहचान साहेब कुमार महतो (32), मदन महतो (37) और लाल बाबू महतो (38) के रूप में हुई है। ये सभी बिहार के हैं।’’

पुलिस ने आरोपियों के पास से दो देसी पिस्तौल (.315 बोर), दो कारतूस, दो खाली खोल, विभिन्न बैंकों के 63 एटीएम कार्ड, एक कार और 5,200 रुपये भी जब्त किए हैं।

अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने एटीएम कार्ड धोखाधड़ी में संलिप्त एक गिरोह का हिस्सा होने की बात कबूल की। वे सीधे-साधे लोगों को निशाना बनाकर उनका एटीएम कार्ड बदल लेते थे और फिर उनके रुपये निकाल लेते थे या अंतरित कर लेते थे। चोरी की रकम गिरोह के सदस्यों के बीच बांटी जाती थी।’’

अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने बलिया और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ दिल्ली में भी कई लोगों को ठगा है।

पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि बलिया, दिल्ली और अन्य स्थानों पर तीनों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों और देश के विभिन्न हिस्सों में उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।

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Ballia- बेलथरा रोड के सामाजिक कार्यकर्ता खालिद ज़हीर का निधन

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बेलथरा रोड डेस्क :  बलिया जिले के बेलथरा रोड से एक बुरी खबर सामने आई है।  नगर पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता रहे खालिद ज़हीर का वाराणसी में अचानक निधन हो गया। बताया जा रहा है कि गिरने की वजह से उनको सर में गहरी चोट लग गई जिसके बाद परिजन अस्पताल ले गए। इलाज के दौरान ही डाक्टरों ने उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया।  सोमवार की रात करीब 12 बजे वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी उम्र लगभग 58  साल थी.

सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ कई बार नगर पंचायत का चुनाव भी लड़ चुके थे । हर मुद्दे पर पर वो मुखर होकर अपनी बात रखते थे। सभी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते थे। उनकी मौत की खबर से इलाके में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।

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