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4 सांसद, 2 मंत्री और 5 विधायक! फिर भी कोरोना की जाँच का बलिया में नहीं इंतज़ाम

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बलिया डेस्क. देश में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 1.5 लाख के करीब पहुंच गई है। मौत का आंकड़ा भी 4 हजार के पार पहुंच गया है. मामले बढ़ने का एक कारण टेस्टिंग का बढ़ना भी है. पिछले एक हफ्ते से रोजाना करीब 1 लाख टेस्ट हो रहे हैं. और 26 मई तक 31.26 लाख से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अब पूरा फोकस टेस्टिंग पर है.

लेकिन अगर हम बलिया जिले की बात करें तो जिले से चार सांसद, दो मंत्री, पांच-पांच सत्ताधारी विधायक और विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता जब एक ही जनपद से आते हैं तो उस इलाके की तस्वीर को देश के नक्शे में बेहद चमकदार होनी चाहिए. जहां इतने धुरंधरों की जमावड़ा हो वहां तो कोरोना टेस्टिंग तो छोड़िये विकास की गंगा-जमुना सब बहनी चाहिए लेकिन हक़ीक़त इसके उलट है. आलम यह है कि कोरोना की जांच कराने के लिए सैंपल या तो वाराणसी भेजना पड़ रहा है या फिर गोरखपुर.

ऐसे में जिले के लोग खुद को उपेक्षित महसूस करने के साथ-साथ भाजपा के इतने सारे जनप्रतिनिधियों का चुनाव कर पछता रहे हैं. बलिया के  लोगों का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी के इतने सारे पदाधिकारी होने के बावजूद यहां कोरोना की जांच न हो पाना दुर्भाग्य है.

पूरी दुनिया में कोरोना को लेकर मचे हाहाकार के बीच बीते 25 मार्च से पूरे देश के साथ-साथ बलिया में भी लॉकडाउन शुरू हो गया था, इसके साथ ही शुरू हो गया था संदिग्धों का सैंपल लेकर उसकी जांच कराना, लेकिन अफसोस बलिया में जितने भी लोगों का सैंपल लिया गया, उसका सैंपल पहले वाराणसी भेजना पड़ा, फिर जब वाराणसी लैब ने हाथ खड़ा कर दिया, तब सैंपल गोरखपुर भेजे जाने लगा.

अब तक कितने हुए टेस्ट 

बलिया में अब तक कुल 1780 लोगों का सैंपल भेजा गया है, जिसमें 1364 लोगों की रिपोर्ट आ चुकी है, जिसमें 40 लोग कोरोना पॉजिटिव है, जबकि 377 लोगों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है, जबकि 12 मरीज ठीक भी हो चुके हैं.

गौरतलब है की  सैंपलों की जांच शुरू-शुरू में वाराणसी हो रही थी, जब वाराणसी ने टेस्टिंग किट की कमी का हवाला देकर जांच करने से मना किया तो अब सैंपल या तो गोरखपुर भेजे जा रहे हैं या फिर बरेली. इस हालात को देखकर अब जनपदवासियों के मन में सवाल कौंध रहा है कि आखिर वे लोग किस लिए इतने सारे जनप्रतिनिधियों का चुनाव किए हैं कि एक जांच लैब बलिया में अभी तक नहीं खुला.

क्या बोले मंत्री आनंद स्वरू शुक्ल

जब इस बारे में बलिया खबर ने बलिया सदर विधायक व प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल से बात की तो उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में कुल 75 जिले है और लैब की संख्या 22 है . संसाधन के अभाव के कारण जनपदवार लैबों का गठन नहीं हो पाया है, लेकिन जैसे-जैसे आवश्यकता बढ़ेगी, वैसे-वैसे हर एक चीज का प्रबंध किया जाएगा. अन्य प्रांत और अन्य जिलों की अपेक्षा बलिया की स्थिति अभी बहुत ठीक है, आने वाले दिनों में बलिया में लैब की स्थापना निश्चित तौर पर की जाएगी.

क्या बोले जिला अस्पताल के सीएमएस

जिला अस्पताल के सीएमएस डा. बीपी सिंह ने बलिया खबर से कहा कि फिलहाल बलिया में कोरोना की टेस्टिंग संभव नहीं है, यहां संसाधनों का भारी टोटा है. बीते दिनों कुछ लोगों की मांग पर शासन को पत्र लिखा जा चुका है, शासन से मशीनरी मुहैया कराने के बाद ही जिले में लैब खुल सकता है.

कोरोना टेस्टिंग न होने से बलिया की जनता में नाराजगी

वही सोशल मीडिया से लेकर हर जगह इस बात की चर्चा है कि जिले में इतने कद्दावर नेता होने के बावजूद  इस संकट की घडी में जिले पर कोरोना जांच नहीं हो रही है तो ये विधायक और मंत्री किस काम के हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज राय हंस ने बलिया खबर से बातचीत में कहा कि  जहां दो मंत्री, तीन सांसद और पांच विधायक हो, वहां के लोगों की कोरोना जांच कराने के लिए सैंपल कभी वाराणसी, कभी गोरखपुर या फिर बरेली भेजा जाने अपने आप में दुर्भाग्य है.

हमें इस बात का बेहद ही दु:ख है कि इस जनपद के लोग ऐसे निकम्मे लोगों को अपना जनप्रतिनिधि चुना  हैं. मंत्री, विधायक और सांसद बलिया जनपद में रहकर यहां की जनता दु:ख-दर्द बांटने के बजाय लखनऊ में बैठकर आराम फरमा रहे हैं, उन्हें यहां के जनता-जनार्दन की कोई फिक्र नहीं है. यहां के जनप्रतिनिधियों के कारनामे सिर्फ अखबार में पढ़ने को मिलते हैं, जमीन पर उनके कारनामे कहीं नहीं दिखते हैं.

वहीँ सामाजिक कार्यकर्ता ब्रिजेश यादव बागी  ने कहा कि यदि सही तरीके से जांच हो जाए तो बलिया की 70 प्रतिशत जनता कोरोना पॉजिटिव निकल जाएगी, लेकिन यह जिले का दुर्भाग्य है कि यहां के जनप्रतिनिधियों की शिथिलता के कारण अभी तक जांच के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो पाई है. अब जनता को चाहिए कि वो अपने इलाके के धुरंधर राजनेताओं से सवाल करे, उनसे पूछे कि आखिर बलिया में अब तक कोरोना की टेस्टिंग क्यों नहीं हो रही है .

 

 

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बलिया में लू की स्थिति, अधिकतम तापमान 42 डिग्री तक पहुंचा

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उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताह झुलसाने वाली गर्मी के बाद अब लू की तीव्रता में थोड़ी कमी आई है। कई जगहों पर अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। राजधानी लखनऊ में रविवार को अधिकतम तापमान 39.4 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि रात का तापमान सामान्य से 4.4 डिग्री अधिक, यानी 27.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

अगले 24 घंटे के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार लखनऊ में आसमान मुख्यतः साफ रहेगा या आंशिक रूप से बादलों से घिरा रहेगा। अधिकतम तापमान 40 डिग्री और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।

हालांकि, पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया, बहराइच, सुल्तानपुर और गाज़ीपुर में लू जैसी स्थितियाँ बनी रहीं। रविवार को बलिया में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.4 डिग्री अधिक था।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौसम शुष्क बना रहने की संभावना है, जबकि पूर्वी हिस्सों में कहीं-कहीं वर्षा या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पूर्वी यूपी के कुछ इलाकों में आंधी, बिजली गिरने और 40-50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने की चेतावनी जारी की है।

राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान मुज़फ्फरनगर में 18.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

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बलिया के फेफना में बस्ती में लगी भीषण आग, दर्जनों परिवार बेघर, लाखों की संपत्ति खाक

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बलिया में शनिवार की दोपहर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब फेफना कस्बे की राजभर बस्ती में अचानक आग भड़क उठी। तेज़ लपटों और धुएं ने कुछ ही मिनटों में दर्जनों झोपड़ियों को निगल लिया। लोग जब तक कुछ समझ पाते, तब तक उनकी मेहनत की कमाई और आशियाने जलकर खाक हो चुके थे।

इस दर्दनाक घटना में झोपड़ियों में रखा घर का सारा सामान, कपड़े, अनाज, नकदी, गहने और मवेशी तक आग की भेंट चढ़ गए। आग की भयावहता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिलेंडरों में विस्फोट के चलते आग ने न केवल झोपड़ियों को, बल्कि आसपास के पक्के मकानों को भी अपनी चपेट में ले लिया।

स्थानीय लोगों ने बाल्टी और पानी के जरिए आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन तब तक लपटें विकराल रूप ले चुकी थीं। किसी ने तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचना दी, जिसके बाद दो टीमें मौके पर पहुंचीं और कड़ी मशक्कत के बाद आग बुझाई जा सकी।

इस भीषण हादसे में सरल, अमावस, मुन्ना, चेतन, सोमारू, जुगुल, रामजी, श्रीराम, भीम, बुद्धू, भोला और मुकेश जैसे कई परिवारों के घर पूरी तरह जलकर बर्बाद हो गए। लाखों की संपत्ति और पशुधन नष्ट हो गया। सरल की 10 बकरियां और 2 भैंसें, वहीं अमावस की 5 बकरियां और 2 भैंसें जल गईं। एक भैंस झुलस गई है, जिसका इलाज चल रहा है। सभी के घरों में रखा अनाज—गेहूं और मसूर—भी जल गया।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया और राजस्व विभाग को सूचित किया। पीड़ित परिवार अब खुले आसमान के नीचे जीवन बिताने को मजबूर हैं और सरकारी मदद की बाट जोह रहे हैं।

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पहलगाम में हुई टारगेट किलिंग के विरोध में बलिया में प्रदर्शन, पाकिस्तान का पुतला फूंका

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा की गई निर्दोष नागरिकों की हत्या के विरोध में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में लोगों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के नेतृत्व में टीडी कॉलेज चौराहे पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश जताया। इस दौरान पाकिस्तान का पुतला भी जलाया गया, जो जनमानस के गहरे आक्रोश का प्रतीक बना।

आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पहलगाम में मासूम लोगों की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और अब आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की ज़रूरत है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि आतंकवाद को संरक्षण देने वाले तत्वों और देशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आतंकवादी गतिविधियां भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनी रहेंगी। साथ ही उन्होंने वैश्विक समुदाय से भी आतंकवाद के समूल नाश की अपील की।

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