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जयंती विशेष – आजादी से पहले ही बलिया को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय!
बलिया डेस्क : शेरे बलिया के नाम से दुनिया भर में मशहुर चितु पांडये की आज 158 वीं जयंती है. बलिया के रट्टूचक गांव में 10 मई 1865 को जन्मे चित्तू पांडेय ने 1942 के ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में स्थानीय लोगों की फौज बना कर अंग्रेजों को खदेड दिया था।
चित्तू पांडेय के नेतृत्व में बलिया भारत में सबसे पहले आजाद हुआ था. 23 मई 1984 को बलिया में चित्तू पांडेय की प्रतिमा का अनावरण करते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि सारा देश बलिया को चित्तू पांडे के कारण जानता है.
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जवाहर लाल नेहरू ने जेल से छूटने के बाद कहा था कि ‘मैं पहले बलिया की स्वाधीन धरती पर जाऊंगा और चित्तू पांडे से मिलूंगा.’ पता नहीं कि ऐसे चित्तू पांडेय की कहानी किसी प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल है भी या नहीं?
जब कांग्रेस कार्य-समिति के सदस्य हो गए थे गिरफ्तार
स्वतंत्रता सेनानियों के सामने 19 अगस्त 1942 को बलिया जिले के कलेक्टर ने आत्मसमर्पण कर दिया था. कलेक्टर को जन दबाव के कारण जेल में बंद चित्तू पांडेय और उनके साथियों को रिहा करना पड़ा. जेल से निकलने में थोड़ी देर हुई तो लोगों ने फाटक तोड़ दिया था. इसके बाद आंदोलनकारियों ने कलेक्टरी पर कब्जा कर लिया और चित्तू पांडेय को वहां का जिलाधिकारी घोषित कर दिया.
चित्तू पांडेय का जन्म बलिया के रत्तू-चक गांव में 1865 में हुआ था. उनका निधन आज ही के दिन (6 दिसंबर ) 1946 में हुआ. आजादी की लड़ाई के दौरान चित्तू पांडेय अपने साथियों जगन्नाथ सिंह और परमात्मानंद सिंह के साथ गिरफ्तार कर लिए गये थे. इससे बलिया की जनता क्षुब्ध थी.
इस बीच नौ अगस्त 1942 को गांधी और नेहरू के साथ-साथ कांग्रेस कार्य समिति के सभी सदस्य गिरफ्तार कर अज्ञात जगह भेज दिए गए. इससे जनता उत्तेजित हुई.
बलिया जिले के हर प्रमुख स्थान पर प्रदर्शन व हड़तालें शुरू हो गईं. तार काटने, रेल लाइन उखाड़ने, पुल तोड़ने, सड़क काटने, थानों और सरकारी दफ्तरों पर हमला करके उन पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के काम में जनता जुट गई थी.
चौदह अगस्त को वाराणसी कैंट से विश्व विद्यालय के छात्रों की ‘आजाद ट्रेन’ बलिया पहुंची. इससे जनता में जोश की लहर दौड़ गई. 15 अगस्त को पांडेय पुर गांव में गुप्त बैठक हुई .उसमें यह तय हुआ कि 17 और 18 अगस्त तक तहसीलों तथा जिले के प्रमुख स्थानों पर कब्जा कर 19 अगस्त को बलिया पर हमला किया जाएगा.
धोखे से 19 स्वतंत्रता सेनानियों की हत्या
17 अगस्त की सुबह रसड़ा बैरिया, गड़वार, सिकंदरपुर , हलधरपुर, नगरा, उभांव आदि स्थानों पर जनता ने धावा बोल दिया. बैरिया थाने पर जनता ने जब राष्ट्रीय झंडा फहराने की मांग की तो थानेदार राम सुंदर सिंह तुरंत तैयार हो गया.
यही नहीं, उसने स्वयं गांधी टोपी पहन ली. झंडा फहराने के बाद जब जनता ने हथियार मांगे तो थानेदार ने दूसरे दिन देने की बात करके समस्या को टाल दिया.
दूसरे दिन करीब 40-50 हजार लोगों की भीड़ थाने पहुंची. थानेदार ने धोखा देकर करीब 19 स्वतंत्रता सेनानियों को मार डाला. गोली-बारूद खत्म हो जाने के बाद थानेदार ने अपने सिपाहियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया. पर जनता ने किसी पुलिसकर्मी पर आक्रमण नहीं किया.
बैरिया की तरह नृशंस कांड रसड़ा में गुलाब चंद के अहाते में भी हुआ. पुलिसिया जुल्म में बीस लोगों की जानें गईं. इस तरह आंदोलनकारियों ने 18 अगस्त तक 15 थानों पर हमला करके आठ थानों को पूरी तरह जला दिया.
19 अगस्त को जिले में राष्ट्रीय सरकार का विधिवत गठन किया गया जिसके प्रधान चित्तू पांडेय बनाए गए. जिले के सारे सरकारी संस्थानों पर राष्ट्रीय सरकार का पहरा बैठा दिया गया.
सारे सरकारी कर्मचारी पुलिस लाइन में बंद कर दिए गए. हनुमान गंज कोठी में राष्ट्रीय सरकार का मुख्यालय कायम किया गया.
आंदोलनकारियों को सात साल की कैद और बीस बेंत की सजा
लोगों ने नई सरकार को हजारों रुपए दान दिए. चित्तू पांडे के आदेश से हफ्तों बंद दुकानें खोल दी गईं. 22 अगस्त को ढाई बजे रात में रेल गाड़ी से सेना की टुकड़ी नीदर सोल के नेतृत्व में बलिया पहुंची.
नीदर सोल ने मिस्टर वॉकर को नया जिलाधिकारी नियुक्त किया. 23 अगस्त को 12 बजे दिन में नदी के रास्ते सेना की दूसरी टुकड़ी पटना से बलिया पहुंची. इसके बाद अंग्रेजों ने लोगों पर खूब कहर ढाये.
आंदोलनकारियों को अदालत में पेश किया गया. उन्हें सात-सात साल की कैद और बीस-बीस बेंत की सजा दी गई.
किसी को नंगा करके पीटा गया तो किसी को हाथी के पांव में बांध कर घसीटा गया. उन घरों को ध्वस्त किया गया जहां सत्याग्रही जुटते थे.
अंग्रेजों ने अनेक गांवों के सैकड़ों घर जलाए. एक सौ सोलह बार गोलियां चलाई गईं जिनमें 140 नागरिकों की जानें गईं. सरकारी कर्मचारी सुबह होते ही किरोसिन लेकर गांव को फूंकने के लिए निकल पड़ते थे.
गांवों पर सामूहिक जुर्माना लगाया गया. चित्तू पांडेय भूमिगत हो गए थे. बलिया देश के उन थोड़े से स्थानों में था जहां अंग्रेजों ने सर्वाधिक जुल्म ढाये. क्या यह सच नहीं है कि ऐसे बलिदानों से मिली आजादी को आज के हमारे अधिकतर नेताओं ने अपने स्वार्थवश काफी बदरंग कर दिया है?
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बलिया के फेफना तिराहे के पास खुली डिजिटल लाइब्रेरी, मिलेंगी विशेष सुविधाएं
बलिया के फेफना तिराहा से 500 मीटर रसड़ा रोड़ वोडाफोन टावर के सामने बाबा विश्वनाथ डिजिटल लाइब्रेरी की शुरुआत की गई है। इस लाइब्रेरी में कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी, खासतौर पर लड़कियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
इस लाइब्रेरी में शांत वातावरण, हाई स्पीड वाई-फाई सेवा, पूर्णतया वातानुकूलित, शुद्ध पेयजल की सुविधा, पार्किंग सुविधा, सीसीटीवी कैमरे की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा प्रत्येक दिन अख़बार भी पढ़ने दिया जाएगा। सेपरेट स्वच्छ वॉशरूम और टायलेट की सुविधा मिलेगी। यहां अनुशासनात्मक परिसर मिलेगा, जिससे पढ़ने में आसानी होगी।
इस लाइब्रेरी में प्रवेश लेने के लिए प्रोफेसर चंदन चौरसिया (मोबाइल नंबर- 8798946155) और पवन चौरसिया (7800921043) से संपर्क किया जा सकता है।
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बलिया डीएम ने किया होम्योपैथिक चिकित्सालयों का निरीक्षण किया, 29 डॉक्टर मिले गैरहाजिर, सभी का वेतन रोका गया
बलिया जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने बुधवार को जिला होम्योपैथिक चिकित्सालय के अलावा जनपद के 27 होम्योपैथिक चिकित्सालयों का औचक निरीक्षण कराया, जिसमें 29 चिकित्सक अनुपस्थित मिले। जिलाधिकारी में सभी ग़ैरहाजिर चिकित्सकों का वेतन अग्रिम आदेश तक रोकते हुए जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी को निर्देश दिया है कि सबका स्पष्टीकरण प्राप्त कर अपनी आख्या सहित सीडीओ को उपलब्ध कराएं।
सभी एसडीएम और खंड विकास अधिकारियों के माध्यम से यह निरीक्षण अभियान चलाकर कराया गया। इस दौरान जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डा सुरेश गोंड के अलावा राजकीय होम्योपैथिक जिला चिकित्सालय में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. लिली मुनींद्र व डा मनु अनुपस्थित मिले। इसके अलावा जो चिकित्साधिकारी अनुपस्थित थे, उनमें राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय रेपुरा में चिकित्साधिकारी डॉ उपेंद्र सिंह, सीता कुंड में डॉ रामबचन, रसड़ा में डॉ लाल बहादुर, सिकंदरपुर में सुनील कुमार वर्मा, काजीपुर में डॉ नवनीता सिंह, बांसडीह में शिवकुमार सिंह, राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय शेर पर डॉ आलोक त्रिपाठी, प्रधानपुर में डॉ बृजेश कुमार भारती गैरहाजिर मिले।
शाह मोहम्मदपुर में डॉ दयाशंकर, सूर्यपुरा में डा संजय कुमार, ससना बहादुरपुर में डॉ रुबी गुप्ता, पड़री में डॉ राजकुमार, सरयाडीह भगत में डॉ नरेंद्र कुमार, डुमरी में डॉ सुशील प्रकाश सागर, उजियार में डॉ पुनीता राय, टुटवरी में डॉ कनक, लालगंज में शैलेंद्र कुमार शर्मा, खरुआव में आशुतोष यादव, उधरन गजियापुर में डॉ लाल सिंह, जमीन सिसौंड में डॉ नीलम कुमार, बहुताचक में डॉ राजमणि, पचखोरा में डॉ चंद्रिका धर, दुगाईपट्टी में डॉ राधावती यादव, बड़ागांव में डॉ प्रदीप कुमार यादव, मानिकपुर में उदयराज व शंकरपुर अस्पताल पर दिव्या राजपूत शामिल थे। जिलाधिकारी ने सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारियों का एक दिन का वेतन अग्रिम आदेश तक रोकते हुए सीडीओ के यहां स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही चेतावनी भी दी है कि समय से अपने अस्पताल पर उपस्थित रहकर अपने दायित्व का निर्वहन करें।
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बलिया पुलिस ने चोरी की वारदात का किया खुलासा, आरोपी गिरफ्तार
बलिया की फेफना पुलिस ने चोरी की वारदार का खुलासा करते हुए 1 आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के कब्जे से चोरी की 1 अंगूठी, 1 अंगूठी सफेद धातु और 2180 रुपये नगद सहित 1 मोबाइल और 1 अवैध चाकू बरामद किया गया है।
पीड़ित ने बताया कि 18 अक्टूबर की शाम समय वो लगभग 8 बजे अपने आवास पर पहुंची तो देखा कि उनके कमरे का ताला खुला हुआ था, उन्होंने अंदर जाकर देखा तो बक्से का ताला भी खुला था। बक्से के अंदर रखी सोने और चांदी की अंगूठी के साथ 3 हजार नकद गायब था। पीड़ित ने बताया कि उनके आवास के पास में रहने वाला अश्निवी सिंह काफी दिनों से उनके आवास के पास संदिग्ध अवस्था में घूमता दिख रहा था। मुझे उस पर शक है।
इस शिकायत के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की और तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और उसके पास से चोरी अंगूठी, 2180 नगद और 1 मोबाइल बरामद किया। इस कार्रवाई में फेफना पुलिस टीम के वरिष्ठ उपनिरीक्षक राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, उपनिरीक्षक सुधीर चौहान, उपनिरीक्षक अजय कुमार, कांस्टेबल नन्दू पाल, कांस्टेबल हरिश्चन्द्र की विशेष भूमिका रही।
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