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‘बलिया का NH-31 बीजेपी के लिए बन जाएगा श्राप’

बलिया : जिले के सेंकड़ों गाँव कई लाख आबादी और यहा का जनजीवन तबाह करने का ठेका पिछले पांच वर्षो मे शायद बीजेपी के मंत्री विधायको ने ले रखा था ? जिसका खामियाजा यहा की जनता पिछले विधान सभा चुनाव से लेकर अब 2022 के चुनाव के आने के बाद तक यानी पूरे 5 वर्ष अपनी तबाही सिर्फ टकटकी लगा देख रहीं थी. या यू कहे अपनी बारी का इंतजार कर रहीं थी कहीं बलिया की जनता अपने मताधिकार के द्वारा बीजेपी को जिले से बाहर ना निकाल फेंके. लिखने का मतलब ये कदापि नहीं कि किसी के पक्ष में यह लेख लिखा जा रहा है.
जिले के अंदर इतनी समस्याएं बढ़ गई है कि जिस का निवारण शायद बीजेपी के विधायकों के पास नहीं रह गया है. सबसे ज्यादा दुख तकलीफ यहां की जनता को बैरिया बलिया सड़क मार्ग ने पिछले 5 वर्षों में दिया है भले ही सड़क हादसे में मौत के मामले छुपाए जा सकते हो लेकिन नई – नई दुपहिया वाहन से लेकर चार पहिया वाहनों की खस्ताहाल इसका प्रमाण बन चुका है. वही यहां की जनता ने इन 5 वर्षों में देखा है कैसे पगपग पर मौत को दावत बीजेपी के विधायकों ने यहां की जनता को उपहार स्वरुप देने का कार्य किया है.
वैसे शुद्ध सही सलामत सड़को का कई वर्षों से अभाव व्याप्त है फिर भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को समस्या, समस्या की तरह दिखती ही नहीं है. चुनाव के समय लंबे लंबे प्रलोभन देकर जो भी जनप्रतिनिधि जीतकर आता है अगले 5 वर्षों के लिए अपनी जनता को मानो वो जानता ही नहीं समझते है और ना ही उनकी समस्याओं को समस्या . वर्तमान समय में प्रदेश में भाजपा योगी की सरकार पांच वर्ष पूरी कर चुकी है. जिस वक्त योगी ने राजधानी लखनऊ के मंच से मुख्यमंत्री का शपथ लिया था शायद उस वक्त जनता में जनता और उनकी समस्याओं का मानो चुटकी बजाते समाधान होने की बात हुआ करती थी.
पांच वर्षो का कार्यकाल लगभग बीत गया चुनाव की घोषणा हो चुकी है. वैसे भी प्रदेश में करोना एक ऐसा बहाना बन चुका है कि जो भी कार्यकाल बचा हुआ वह भी इसी बहाने में इतिश्री हो गया. शायद योगीजी के मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को यह लगता होगा कि कोरोना की वजह से जनता ही नहीं बचेगी तो उनकी समस्याओं को क्यों ध्यान देना है ? खैर ! हम बात कर रहे थे उत्तर प्रदेश के बलिया जिला कि जहां से कई विधायक और मंत्री योगी भाजपा सरकार से वर्तमान समय में जुड़े हुए हैं. यहां की जनता अपने बागी तेवरो के लिए जानी पहचानी जाती है लेकिन वर्तमान समय में क्षेत्र के विकास की बात करें तो हालत बद से बदतर हो गई है.
यहां की जनता की समस्या तो कई हैं लेकिन मुख्य समस्या जो यहां के विकास को अवरुद्ध करते जा रही है वह मुख्य सड़क मार्ग नेशनल हाईवे 31 और गांव में जाने वाली सड़कों से है. एक तरफ जहां भाग दौड़ की जिंदगी में यातायात के साधन तो बढ़ते चले गए. लेकिन वह साधन साल 2 साल में ही अपने खट्टारेपन को छुपा नहीं पाए . कई दर्जनों ऐसे गांव और लाखों आबादी है जो अपनी जरुरतों और चिकित्सा सुविधा को पूरा करने के लिए अपने जिले के शहर तक सही सलामत नहीं जा सकते हैं जहां जाने के लिए और खासकर बरसात के मौसम में आपको हर वो मशक्कत झेलनी पड़ेगी जिसकी कल्पना शायद किसी ने कभी नहीं की होंगी.
मुख्य सड़क मार्ग का हाल- बलिया से माझी को जाने वाली मुख्य सड़क नेशनल हाईवे 31 जनप्रतिनिधियों के आपसी मुनाफे कमाने के चलते शूली पर चढ़ चुकी है जिसकी बदौलत पांच वर्षों में यह सड़क मौत का कुआं बना हुआ है. इस नेशनल हाईवे का हाल आप देखकर यह अंदाजा लगा सकते हैं कि क्षेत्र के विकास में जनप्रतिनिधि कितने कर्मठता दिखा रखे होंगे जनता चाहे सड़क में डूबकर जाए या तैरके या मौत को गले लगाकर उससे योगी के जनप्रतिनिधियों को कोई मतलब नहीं रहीं .
हल्दी से लेकर माझी पूल तक सड़क पिछले कई सालों से अपनी अस्मत को बचाने में लगी हुई है. लेकिन सरकार व उनके जनप्रतिनिधि चीरहरण करने से बाज नहीं आए और शायद यही वजह है जिसके लिए बलिया बीजेपी के लिए श्राप बन जाएगा. खुले शब्दों में यह कह ले की अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता इस कहावत को बीजेपी सरकार ने बलिया में चरितार्थ कर दिखाया
गांव में जाने वाली सड़को का हाल– मुख्य सड़क मार्ग तो लाइलाज सड़क मार्ग बन चुका है उसके साथ ही खेतीहर किसानों को चलने वाले सड़को का हाल यानी जिस रास्ते किसान खाद बीज लेकर अपने गांव में जाते हैं वहां भी मौत का कुआं और घुटने भर कीचड़ पानी का सामना करते हुए जाना पड़ता है बलिया के ज्यादातर विधानसभा के गांव की बात कर ली जाए तो वहां की स्थिति कमोबेश एक जैसी यानी दयनीए है. लेकिन क्षेत्र के विधायक और सरकार में मंत्री के दरवाजे तक पहुंचने के लिए या उनके गांव में जाने के लिए सड़कों की पूरी मरम्मत या यूं कह ले कि नए सिरे से ही निर्माण कार्य हो रखा है.
शायद यही वह वजह होगी जिसकी वजह से भाजपा नेता को हर ग्रामीण क्षेत्र के सड़कों का मरम्मत वाला सपना दिन के उजाले में नजर आता होगा.विकास और समस्या के मुद्दे पर जब बात होने लगता है तो मोदी और योगी के नाम पर देश प्रदेश में काम गिनवाना शुरु कर दिया जाता है. मतलब क्षेत्र के विकास में योगी और मोदी ही है तो आप क्या करेंगे साहब. उनके गुणगान पर कब तक मुद्दे को भटकाने की कोशिश और उससे भी ना बन पाया तो एक्का दुका लोगों के पर्सनल मुद्दों को उछाल कर धरना प्रदर्शन करवा दिया जाता है. बाकी के हजारों लोगों की समस्याओं को उस धरना प्रदर्शन में दबवा देने में अपनी महानता बताई जाने लगती है.
प्रशांत तिवारी (ये लेखक के निजी विचार हैं. वे दैनिक अखबार के प्रबंध संपादक हैं.)











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बलिया में पूजा चौहान की मौत ने खड़े किए कई सवाल ?

बलिया के नगरा थाना क्षेत्र के सरयां गुलाबराम गांव में पूजा चौहान की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए है। सरयां गुलाबराम गांव में रविवार सुबह जो दृश्य देखने को मिला, उसने पूरे बलिया को हिला कर रख दिया है। सुबह गांव में जामुन के पेड़ से एक 20 वर्षीय युवती का शव लटका मिला। पैर करीब छह फीट ऊपर हवा में, हाथ पीछे बंधे हुए। नाम पूजा चौहान। 20 साल की पूजा चौहान का शव जब पेड़ से लटका देखा, तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। जिसने भी ये मंजर देखा, उसकी रूह कांप गई। सबके मन में सवाल उठा की कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है।
हर दिन अखबारों में ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। सोचिये जब प्रशासन को यह पता है कि ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठता। गुलाबराय सरया गांव में रविवार सुबह धर्मराज चौहान की बेटी पूजा का शव गांव में एक पेड़ से लटकता मिला, उसके हाथ पीछे बंधे हुए थे। शव देखते ही गांव में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह समेत अन्य अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे और हालात को बारीकी से देखा।
पूजा चौहान साधारण परिवार की लड़की थी। उसकी शादी अगले महीने 25 अप्रैल को होने वाली थी। घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं। परिवार में खुशियों का माहौल था, लेकिन किसी को क्या पता था कि यह खुशी मातम में बदल जाएगी। पूजा के माता-पिता फिलहाल पीजीआई में अपना इलाज करा रहे थे, और वह घर पर अकेली थी। परिवार के बाकी सदस्य भी बाहर रहते थे। उसका भाई गुजरात में नौकरी करता है और बहन असम में शादीशुदा जिंदगी बिता रही है। फिर सवाल यह उठता है कि आखिर उसकी मौत के पीछे कौन हो सकता है?
पहले तो खबर आई की पूजा ने आत्महत्या की है लेकिन जिस तरीके से उसका शव पेड़ से लटक रहा था वह कुछ और ही बयां करता है। पूजा ने खुद अपनी जान ली होती, तो उसके हाथ पीछे बंधे कैसे होते? यह सवाल जितना आसान लगता है, इसका जवाब उतना ही पेचीदा है। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के हाथ पीछे बंधे नहीं हो सकते। मतलब, शायद किसी ने पूजा की हत्या की और फिर उसे पेड़ से लटकाकर मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की। क्या उसकी मौत के पीछे कोई पुरानी दुश्मनी थी? या फिर कोई और वजह? कई सवाल हैं। हो सकता है यह सिर्फ कोई मसेज देने के लिए किया गया हो।
घटनास्थल पर मौजूद किचन में बिखरा आटा और अस्त-व्यस्त बर्तन यह बताते हैं कि शायद पूजा का पहले किसी झगड़ा भी हुआ होगा उसके बाद उसके साथ यह अनहोनी हुई होगी। पुलिस जांच के शुरुआती तथ्यों को देखें तो इस मामले में यौन शोषण का भी एंगल जुड़ सकता है। पीड़िता की नानी का साफ कहना है कि उनकी नातिन आत्महत्या नहीं कर सकती। परिजन इस बात से साफ़ इंकार कर रहे हैं। लेकिन सवालों के जवाब आने है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मामले में योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि “उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। अपराधियों को खुली छूट मिल चुकी है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है।”
हाथरस, उन्नाव, बदायूं, और अब बलिया—कब तक यूपी की मिट्टी मासूम बेटियों के खून से लाल होती रहेगी?
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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?

बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।
वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।
उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?
बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।
सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।
अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!
फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है
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बलिया के नगरा में पेड़ से लटकी मिली युवती की लाश, मौके पर पहुँचें एसपी ने क्या कहा ?

बलिया के नगरा थाना क्षेत्र से सनसनीखेज घटना सामने आई है। यहाँ एक गांव में एक 17 वर्षीय युवती की लाश पेड़ से लटकी हुई पाई गई, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई।
पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने बताया कि आज सुबह डॉयल 112 पर सूचना प्राप्त हुई कि थाना नगरा क्षेत्र के सरयां गुलाबराय गांव में एक युवती का शव पेड़ से लटका हुआ पाया गया है। सूचना मिलते ही फील्ड यूनिट, स्थानीय पुलिस, क्षेत्राधिकारी रसड़ा, एडिशनल एसपी, क्राइम ब्रांच और सर्विलांस टीम मौके पर पहुंच गई।
मृतिका का शव पेड़ से लटका हुआ था, और उसके हाथ पीछे बंधे हुए थे, जबकि उसके पैरों की ऊंचाई लगभग 6 फीट थी। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, युवती के माता-पिता दो दिन पहले पीजीआई इलाज के लिए गए थे, और वह अकेले इस घर में रह रही थी। आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ की गई, लेकिन स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी। हालांकि, यह जानकारी प्राप्त हुई कि युवती के माता-पिता को घटना की सूचना दे दी गई है, जबकि उसका एक भाई गुजरात में और एक बहन असम में रहती है।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और पंचायतनामा भरकर उसकी वीडियोग्राफी की भी मांग की गई है ताकि इस मृत्यु के कारणों का स्पष्ट रूप से पता चल सके। पुलिस ने इस मामले की तहकीकात के लिए स्थानीय पुलिस, सर्विलांस टीम, क्षेत्राधिकारी रसड़ा और एडिशनल एसपी की चार टीमों का गठन किया है। सभी जरूरी पूछताछ और तकनीकी सर्विलांस के आधार पर जल्द ही इस मामले का खुलासा किया जाएगा।
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