बलिया स्पेशल
घोषणापत्र के साथ चुनाव लड़ने वाली बलिया की B.D.C प्रत्याशी के बारे में आपको जरुर जानना चाहिये
क्या आपने किसी बीडीसी प्रत्याशी को घोषणापत्र के साथ चुनाव मैदान में उतरते देखा है? नहीं देखा तो बलिया आ जाइये और यहां सदर तहसील के पिपरा कलां में रहने वाले शुभ्रा सिंह से मिलिए। शुभ्रा सिंह ने पिपरा कलां से घोषणापत्र के साथ बीडीसी का चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। वो वार्ड नंबर 6 से 10 तक के लिए चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने अपने घोषणापत्र में यहां की जनता से विकास के 16 बड़े वादे किए हैं। हम आपको इनके द्वावारा किए गये वोदों के फेहरिस्त को बतायेगे, लेकिन उससे पहले ये जान लिजिये कि आख़िर ये शुभ्रा सिंह हैं कौन? जो इन दिनों जिले की सुर्खियों में बनी हुई हैं।
शुभ्रा सिंह की कहानी उन्हीं की जुबानी
मैं शुभ्रा सिंह झारखंड राज्य के धनबाद शहर की निवासी हूँ। मेरा पैतृक गांव बिहार हैं। मेरी माता एक कुशल गृहणी हैं तथा मेरे पिता एक व्यावसायिक हैं। मेरी शिक्षा का आरंभ 3 वर्ष की आयु से ही हो गया था, मेरी प्रारंभिक शिक्षा धनबाद के ही एक प्रतिष्ठित विद्यालय राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर से हुई, और इसी विद्यालय से मैंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा 2009 में उतीर्ण की। इस विद्यालय से शिक्षा लेते समय मुझे राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ एवं विद्या भारती के अखिल भारतीय अधिकारियों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। जिसके परिणामस्वरूप मुझे भारतीय संस्कृति, अनेकता में एकता जैसे विचारधाराओ की जानकारी मिली,और मेरे मन में समाज कल्याण की नींव भी यही पड़ी।
साल 2011 श्री श्री लक्ष्मी नारायण ट्रस्ट महिला महाविद्यालय में, मैं भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान ,गणित, जीव विज्ञान विषय से इंटर पास की। मुझे शिक्षक बनने का शौक बचपन से था , लेकिन इस शौक को पंख मिला 2012 में जब मैं मेरे ही मुहल्ले के बच्चों को देखती ,और उनकी विद्यालय ना जाने का कारण पूछती और जवाब में मुझे घर की माली स्थिति ठीक ना होने की बात बोली जाती। जब यह बात अपने पिता को बतायी तो उन्होंने कहा जीवन का सबसे बड़ा दान हैं शिक्षा दान, उनके बातों का असर यह हुआ कि मैं उन जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना शुरू कर दी, यह प्रक्रिया कई वर्षों तक निर्विरोध चलता रहा।।
साल 2014 में मैंने बीएसी B.Sc पास की। उसके बाद एक समय ऐसा आया जब मैं ये सोच रही थी कि किउ ना अब पढ़ाई छोड़कर समाज कल्याण के कार्य में लग जाऊं। लेकिन यह मैं अकेले कर पाने में सक्ष्म नही थी। और यह सोचकर कि शायद इस कार्य के लिए यह सही समय नही हैं ,मैं अपने उच्च शिक्षा के लिए धनबाद के पीके राव मेमोरियल कॉलेज में एमएसी (M.Sc in Botany) में दाखिला लिया। इस दौरान मेरे अंदर जो भी कमियां थी , सही गलत का फर्क और साथ ही साथ महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को देख पाई। इन सामाजिक कुरीतियो को दूर कैसे करूँ यह विचार हमेशा साथ रहता हैं। साल 2018 में , मैं अपने मास्टर्स की डिग्री के साथ थी। और अब जो एक रास्ता दिख रहा था। इन सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का वो थी शिक्षा। जितने ज्यादा लोग शिक्षित होंगे, उतना खुशहाल हमारा समाज होगा।
इन सब के बाद भी कुछ कमी महसूस हो रहे थी , जो शिक्षा दान,समाज कल्याण की बातें बचपन में सिखाया गया था ,उनको जमीनी स्तर पर अभी तक नही उतार पाए थी। इसी दौरान अपने अध्यापक बनने के शौक को पूरा करने के लिए B.Ed कॅालेज (राजीव गांधी मेमोरियल शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय) में दाखिला ली। बीएड की पढ़ाई के दौरान मेरी मुलाकात पिपरा गांव के आकाश जी से हुई, वैसे हम रिश्तेदार भी हैं ,लेकिन पहले कभी हमारी भेट नहीं हुई थी, इसलिये हम लोग एक दूसरे से परिचित नहीं थे।
जब हम लोगों की दोस्ती हुए और हमारे बीच जब बातें होने लगी तब एक बात समझ आई कि कही ना कही हम दोनों की विचाधारा बहुत मिलती जुलती हैं। जब मुझे पता चला कि आकाश जी ने अपने गांव के किसानो, महिलाओं के बेहतर भविष्य, गरीब मजदूरो की बेहतरी के लिए विदेश की नौकरी छोड़ दी, तब आकाश जी के लिए मन में इज़्ज़त बहुत ज्यादा बढ़ गई। इनकी विचारधारा औरो से अलग हैं जो इन्हें भीड़ से अलग बनाती हैं।।
साल 2020 में आखिरकार पारिवारिक रजामंदी से हमदोनों परिणय सूत्र में बंध गए, और अब B.D.C के उम्मीदवार के रूप में अपने गांव के विकाश करने के सपने की और हम अपना पहला कदम बढ़ा रहे हैं। उम्मीद हैं कि आप सब का आशीर्वाद हम दोनों के साथ हैं।
उनके द्वावारा ये घोषणापत्र जारी किया गया हैं
आइए ये भी जान लेते हैं कि आकाश सिंह कौन हैं?
आकाश सिंह पिपरा कलां गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम चंद्रभान सिंह है। उन्होंने अपनी इंटरमीडियट तक की पढ़ाई बलिया के स्कूलों से ही पूरी की। इसके बाद कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन के लिए उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी लखनऊ से कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद आकाश ने कई बड़ी कंपनियों में काम किया। इस दौरान उन्हें अमेरिका में काम करने का मौका भी मिला, लेकिन उन्होंने अमेरिका में मोटी कमाई करने के बजाय गांव का रुख किया और यहां के विकास के लिए चुनाव लड़ने का फैसला किया। गौरतलब हैं कि दुबारा से आरक्षण सूची जारी होने बाद यह सीट पुरुष से महिला के लिए आरक्षित हो गई। जिसके कारण अब उनकी पत्नी यानी शुभ्रा सिंह यहां से चुनावी मैदान में हैं।
।। हम दोनों का सपना एक ही हैं सबका विकाश ,सबका कल्याण करना।।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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बात थी जंगलराज खत्म करने की लेकिन बलिया में तो पैदा हो गए दर्जनों गैंग!
रिपोर्ट : तिलक कुमार
बलिया। प्रदेश में योगी सरकार बनी तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब जंगलराज खत्म हो जाएगा और राम राज की स्थापना होगी। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और तो और जनपद में दर्जनों गैंग पैदा हो गए, जो भोली भाली जनता की नाक में दम करके रखा है।
आलम यह है कि जनपद में योगी सरकार बनने के बाद फरसा, त्रिशूल, चोटी, टांगी, राइडर, शिकारी, रफ्तार व चिंगारी गैंग बनी है और यह गैंग आए दिन किसी न किसी को अपना शिकार बनाते हैं। इन गैंगों की पुष्टि खुद बलिया पुलिस ने की है और सूचना देने वालों पर पांच हजार का इनाम भी रखा है।
इन गैंगों की क्रियाकलापों की बात करें तो ये सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर एकाउंट बनाकर गैंग की मॉनिटरिंग करते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है गैंग द्वारा इन एकाउंटों की इस तरह मानिटरिंग की जाती है कि गैंग के सरगना का पता नहीं चलता है।
हालांकि इस गैंग के मेंबर दस से 20 ही होते हैं, जो समय—समय पर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए किसी को मारते—पीटते हैं, फिर उसका वीडिया बनाकर सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं। इन गैंगों को आपरेट करने वाले इतने शातिर होते हैं कि अपनी मौजूदगी का सिर्फ एहसास कराते हैं, लेकिन खुदको हमेशा पर्दे के पीछे रखते हैं।
…नहीं हुई कार्रवाई तो बन जाएगा गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश में गैंगवार की बात करें तो सबसे बदनाम और कुख्यात जिला गाजियाबाद है, जहां आज भी प्राय: सुनने को मिलता है कि इस गैंग ने उस गैंग को मारा। फला गैंग न फला गैंग को मारा। इस पर कई बॉलीवूड फिल्म से लेकर वेब सीरिज भी बन चुकी है। अब लगभग लगभग वही चीज बलिया जनपद में भी होने लगी है। ऐसे में इन गैंगों पर जल्द से जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब बलिया भी गाजियाबाद का रूप अख्तियार कर लेगा।
ताजा—ताजा पैदा हुआ कड़ा गैंग
अभी बांसडीह में रोहित यादव राइडर गैंग द्वारा रोहित पांडेय की निर्मम हत्या का मामला शांत नहीं हुआ कि सिकंदपुर थाना क्षेत्र के माल्दह चौकी अंतर्गत हरनाटार गांव में बीती रात पार्टी में बुलाकर कड़ा गैंग वाले एक युवक को मारपीट कर लहूलुहान कर दिया। इसके तीमारदार की मानें तो यह नई गैंग है और किसी पर भी सिर्फ कड़ा से हमला करते हैं।
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बलिया में अस्पतालों का औचक निरीक्षण, 84 स्टॉफ मिले गैरहाजिर, DM के एक्शन से हड़कंप!
बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपस्थिति जांचने के लिए सभी तहसील के एसडीएम/डिप्टी कलेक्टरों के माध्यम से जिले के दस सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कराया। इस दौरान कुल 18 डॉक्टर व 66 स्टॉफ ड्यूटी से गैरहाजिर मिले। इन सभी अनुपस्थित डॉक्टरों व कर्मचारियों को एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि सभी अस्पतालों में समय से उपस्थिति व बेहतर चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।
निरीक्षण में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, काजीपुरा में तैनात कुल 12 कार्मिकों के सापेक्ष लैब टेक्निशियन फहीजुर्रहमान अंसारी ही उपस्थित मिले, जबकि चिकित्साधिकारी डॉ शैलेश कुमार व 10 कार्मिक गायब मिले। न्यू पीएचसी सागरपाली में तैनात 9 कार्मिकों में से 4 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बांसडीह में डॉ प्रणय कुनाल, डॉ यश्वी सिंह, डॉ प्रियदर्शन सिंह, डॉ बीरबहादुर सिंह चिकित्साधिकारी सहित कुल 18 कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेरूआरबारी में चिकित्साधिकारी डॉ एसके सिंह, डॉ पीडी शुक्ला, डॉ रामायण यादव सहित कुल 12 कार्मिक अनुपस्थित मिले।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनबरसा में डॉ जया पाठक, डॉ साल्टी कसेरा, डॉ राजेश कुमार, डॉ सुमन कुमार व वरिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव अनुपस्थित पाये गये। इसी प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मुरलीछपरा में बीएचडब्ल्यू अजय कुमार रावत, चीफ फार्मासिस्ट मनोहर प्रसाद व चतुर्थ श्रेणी कर्मी प्रेमशंकर यादव गायब मिले। सीएचसी खेजुरी में निरीक्षण के दौरान डॉ प्रशान्त व डॉ एएन शर्मा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बघुड़ी में डॉ चन्दन सिंह अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ककरासो के औचक निरीक्षण में चिकित्साधिकारी डॉ राकेश पाण्डेय सहित 10 कर्मी अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनाडीह में चिकित्साधिकारी डॉ रामाशीष, फार्मासिस्ट महेन्द्र पाल सिंह, एलटी मनीष कुमार यादव, एएनएम संगीता व धर्मेन्द्र सिंह व अजीत पाण्डेय अनुपस्थित थे।
उप जिलाधिकारी ने सीएचसी रसड़ा का निरीक्षण किया तो वहां चिकित्साधिकारी डॉ ऑमिर इम्तियाज, डॉ धर्मवीर सिंह, बीपीएम मिथिलेश गिरि, एसटीएस अभिमान मेहता व सुनील कुमार वर्मा, एलटी बृजेश कुमार, वार्ड बॉय मिथिलेश्वर त्रिपाठी, वीना सिंह, विपिन सिंह, मंगलदेव सिंह, विनय दुबे, राहुल सिंह अनुपस्थित पाये गये। सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारी एवं अन्य कार्मिकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है।
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