बलिया स्पेशल
बलिया- अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में जिलाधिकारी का आया आदेश !
बलिया: जनपद बलिया के प्रत्येक तहसील में एकरूपता के साथ अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने के संबंध में जिलाधिकारी अदिति सिंह ने अद्यतन शासनादेश संख्याः 131/2020/2422/26-3.2020 दिनांक 23.10.2020 के क्रम में, पूर्व में कार्यालय की ओर से जारी आदेश के अनुक्रम में ही निर्गत करने का निर्देश समस्त तहसीलदार को दिया है।
इस बात का विशेष ख्याल रखने को कहा है कि कोई वास्तविक व्यक्ति प्रमाण पत्र से वंचित न रहे और अपात्र को प्रमाण पत्र कत्तई जारी न होने पावे। जिलाधिकारी ने कहा है कि अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों द्वारा अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते समय वर्ष 1356 एवं 1359 फसली की खतौनी की प्रमाणित प्रति, साक्ष्य एवं सबूत आवेदन पत्र के साथ संलग्न किया जाय। जिन आवेदक के पूर्वजों के पास भूमि उपलब्ध नहीं रही है, वे अपने रिश्तेदार के नाम की वर्ष 1356 एवं 1359 फसली की खतौनी व अन्य साक्ष्य-सबूत लगाएंगे, जिसमें उनके पूर्वजों का नाम अंकित हो।
अन्य साक्ष्य के रूप में कुटुम्ब रजिस्टर, शैक्षिक संस्थाओं की टीसी आदि को आवेदन पत्र के साथ संलग्न किया जाय। उक्त अभिलेखों को सम्बन्धित तहसीलदार, तहसील के मूल रिकार्ड से मिलान करेंगे और सही पाये जाने पर आवेदक को नियमानुसार अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निर्गत करेंगे। उन्होंने समस्त तहसीलदार को निर्देश दिया है कि आवेदक के विषय में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए गांव या उसके आसपास के निर्विवादित अनुसूचित जनजाति के परिवारों से स्थलीय पूछताछ/ जांच-पड़ताल अवश्य कर ली जाय। उन्होंने अपर जिलाधिकारी (वि/रा) एवं समस्त उप जिलाधिकारी, जनपद बलिया को उपर्युक्त आदेश का अक्षरशः व कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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