बलिया स्पेशल
Ballia News- जिला महिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का अंबार, CMO से मिले छात्रनेता
बलिया। जिला महिला अस्पताल में फैले अव्यवस्थाओं के सुधार के लिए सामाजिक कार्यकर्ता रिपुन्जय रमण पाठक ‘रानू’ के नेतृत्व में छात्रो के प्रतिनिधिमंडल ने जिला अस्पताल के सीएमओ डॉ राजेन्द्र प्रसाद बात की। सीएमओ से बात कर महिला अस्पताल में वर्षो से बंद पड़े अल्ट्रासाउंड को चालू कराने की मांग की गई। रानू पाठक ने आरोप लगाते हुए बताया कि जनपद के दूर दराज से महिलाएं प्रसव के लिए इस अस्पताल आती हैं। रोजाना हज़ारों की संख्या में आने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर जाना पड़ता है। बाहर उन्हें 550-650 रुपए तक खर्च करना पड़ता है।
जबकि रेडियोलॉजिस्ट के ना होने का रोना अस्पताल प्रशासन हमेशा से रोता आ रहा है। यहां प्रसव के नाम पर मरीजों को लूटा जा रहा है, जिसकी शिकायत करने पर उन्हें बाहर रेफर करा दिया जाता है।रानू ने आरोप लगाया कि, महिला अस्पताल में पूर्ण रूप से दलाल सक्रिय हैं। ग़रीब महिलाओं के साथ अस्पताल प्रशासन का ये रवैया क्षुब्ध करने वाला है। अगर सुधार नहीं हुआ तो इस आन्दोलन को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा।वहीं छात्रनेता कृष्णा प्रताप यादव ‘गोलू’ ने जिला अस्पताल में खून जांच व एक्स रे की समयावधि पर सवाल उठाते हुए, आरोप लगाया कि जांच नियमित समय
पर नहीं किया जाता। मरीज जब जांच को पहुंचते हैं तो वहां 11 बजे ही कम्प्यूटर ऑपरेटर लापता हो जाता है। कभी सिस्टम को खराब बता जांच बाधित की जाती है, जिसके बाद दलाल मरीजों को शोषित कर बाहर जांच कराने लेते जाते हैं। ये सारा खेल कर्मचारीयों व दलालों की मिलीभगत से होता है। राघवेन्द्र सिंह ने कोरोना वैक्सीन रजिस्ट्रेशन को विधिवत चलाने की मांग की। बताया कि प्रदेश सरकार फ्री वैक्सीनेशन का ढोल पीटती है यहां 18 वर्ष से ऊपर के युवक रजिस्ट्रेशन तो कर लेते हैं, लेकिन स्लॉट नहीं बुक करा पाते ऐसे में कोविड से कैसे बचा जा सकता है?
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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