बलिया स्पेशल
बलिया: NH-31 के भूमिपूजन पर मंत्री शुक्ल ने समाजवादी पार्टी को लिया आड़े हाथ
बलिया। NH-31 पर खराब सड़क की वजह से हो रही परेशानी से राहगीरों को राहत मिलने वाली है। क्योंकि लंबे इंतजार के बाद अब NH-31 के निर्माण की कवायद तेज हो गई है। गाजीपुर से मांझी घाट तक 129 किलोमीटर की दूरी को 3 भाग में बांट कर 3 अलग-अलग कंपनियों को NHAI की ओर से टेंडर दे दिया गया है। और सड़क को पूरा करने की अवधि 31 जून रखी गई है। राज्यमंत्री आनंद स्वरूप ने निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया। एक सप्ताह में काम भी शुरू हो जाएगा।
NH-31 के निर्माण कार्य के शुभारंभ के मौके पर राज्यमंत्री आनंद स्वरूप ने सपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पहले जिस कंपनी को निर्माण का टेंडर मिला था। उसका टेंडर निरस्त करने की जब संस्तुति हुई तो उसे बचाने में सपा के कई वरिष्ठ नेताओं संग राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव भी लगे थे। लेकिन सरकार ने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए लापरवाह कंपनी का टेंडर निरस्त किया। बहुत जल्द तीन भाग में कार्य शुरू होगा।
ऐसे होगी NH-31 की मरम्मत- गाजीपुर से फेफना तक 60 किमी का काम एसआरएससी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड करेगी। फेफना से चिरैया मोड़ तक 45 किलोमीटर महादेव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और चिरैया मोड़ से मांझी घाट के जयप्रभा सेतु तक 16 किलोमीटर जगदंबा इंटरप्राइजेज को टेंडर मिला है। NH-31 के पुर्ननिर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। तीन एजेंसियों को कार्य आवंटित किया गया है। सभी एजेंसियों को एक सप्ताह में कार्य शुरु करने का निर्देश दिया गया है।
NHAI आजमगढ़ के परियोजना निदेशक प्रदीम कुमार ने बताया कि चितबड़ागांव में सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के साथ हुई बैठक के दौरान निर्माण कार्य की रुपरेखा तय कर दी गई है। परियोजना में एकदम देरी नहीं होगा। वहीं शुभारंभ कार्यक्रम में NHAI वाराणसी के परियोजना निदेशक पीयूष श्रीवास्तव, सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के पुत्र डा. विपुलेंद्र प्रताप सिंह, अंजनी पांडेय, संजीव कुमार सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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