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बलिया स्पेशल

15 साल से फरार चल रहा बलिया का इनामी हत्यारा देहरादून से गिरफ्तार

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बलिया जिले में पन्द्रह वर्ष पूर्व चार लोगों की हत्या करने और उसके बाद फरारी के दौरान रंगदारी वसूलने वाले दो लाख के इनामी उत्तर प्रदेश के टॉप टेन अपराधी कौशल चौबे को उत्तराखण्ड पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उत्तराखण्ड पुलिस ने यूपी पुलिस को उसकी गिरफ्तारी किये जाने की जानकारी दे दी है।

प्रदेश में सबसे ज्यादा अत्याधुनिक अवैध हथियारों की तस्करी करने में कौशल के गैंग का नाम सामने आता रहा है। उत्तर प्रदेश में पीडब्ल्यूडी, रेलवे, कोयला जैसे क्षेत्र में कौशल गैंग का दखल रहा है और उसकी गिरफ्तारी से तीनों ही क्षेत्र के बड़े कारोबारियों ने राहत की सांस ली है। कौशल ने उत्तर प्रदेश में एक गैंग बनाकर उसके सहारे बिहार, झारखण्ड, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में अपना आपराधिक साम्राज्य फैलाया। कौशल के गैंग की इन राज्यों के छोटे बड़े ठेकों में हिस्सेदारी होने लगी और इन राज्यों में भी ठेकेदारों से रंगदारी मांगी जाने लगी। पन्द्रह वर्षों में कौशल चौबे के गैंग ने करोड़ों रुपये की रंगदारी वसूली और खुद कौशल देहरादून में छिपकर बैठ गया।

उत्तर प्रदेश का मोस्टवाण्टेड और दो लाख के ईनामी बदमाश कौशल कुमार चौबे को एसटीएफ टीम ने बीते दिन 29 मई को रिस्पना हरिद्वार बाईपास से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी के पास से एक विदेशी ग्लाॅक पिस्टल .40 मय 57 जिन्दा कारतूस औऱ 04 मैगजीन व एक फोल्डिंग बट बरामद किया है। कौशल पर 7 हत्याओं सहित कई हत्या के प्रयास का आरोप है। कौशल कुमार चौबे 14 साल से फरार चल रहा था औऱ ठिकाने बदल-बदल कर अलग-अलग राज्यों में रह रहा था।

दरअसल कुछ समय पहले एसटीएफ को सूचना मिल रही थी कि उत्तर प्रदेश के कुछ शातिर और ईनामी अपराधी उत्तराखण्ड में छुप कर रह रहे हैं। इस सूचना पर पुलिस उप महानिरीक्षक रिधिम अग्रवाल ने एसटीएफ की एक टीम का गठन कर कार्यवाही करने के लिए लगाया। टीम ने उत्तर प्रदेश के कुछ शातिर और ईनामी अपराधियों को चिन्हित किया। साथ ही उनके व उनके परिवार और उनसे सम्पर्क करने वालों व्यक्तियों के सम्बन्ध में जानकारी ली।

बीते एक महीने से एसटीएफ उत्तराखण्ड अपराधियों की शरण स्थली बने उत्तराखण्ड के हरिद्वार, देहरादून तथा ऋषिकेष के विभिन्न बैंकों में अपराधियों के सम्बन्धियों के बैंक एकाउण्टों, केबिल कनेक्शनों, पानी व बिजली के कनेक्शनों और जमीन सम्बन्धित सम्पत्तियों की रजिस्ट्रियों की निगरानी कर जानकारी इकट्ठा कर रही थी। इसी कार्यवाही के दौरान उत्तर प्रदेश के एक कुख्यात ईनामी अपराधी कौशल कुमार चौबे पुत्र स्व0 कमल नाथ चौबे निवासी चैन, छपरा थाना हल्दी, जनपद बलिया, उत्तर प्रदेश के बारे में अहम सुराग हाथ लगे। पुलिस ने 29 मई को देहरादून के थाना नेहरू कालोनी स्थित हरिद्वार बाई पास रोड पर रिस्पना के समीप एक होटल के सामने से अपराधी को गिरफ्तार किया। अपराधी अपने बेटों कीर्तिमान और दीप्तीमान से मिलने के लिए देहरादून आ रहा था।

कौशल उत्तरप्रदेश के बलिया टेजरी के हेड ऑफिस में एकाउण्टेन्ट के पद पर कार्यरत था। इसके परिवार के लोगों का ग्राम प्रधान को लेकर गाँव में झगड़ा हो गया था, इसी झगड़े में विपक्षियों ने उसके के पिता को गोली मारी थी, लेकिन वह बच गया था। कौशल ने इसी रंजिश में अपने विपक्षी पप्पू चौबे को गोली मारी थी, लेकिन वह बच गया। कौशल कुमार चौबे ने बाद में कोर्ट में सरेण्डर कर दिया और बजमानत पर रिहा हो कर जेल से बाहर आ गया। कौशल कुमार चौबे का पप्पू चौबे से समझौता हो गया था लेकिन कुछ दिनों बाद पप्पू चौबे की हत्या हो गई, जिसमें कौशल कुमार चौबे नामजद हुआ और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

इसी मामले में जमानत पर बाहर आने के बाद ग्राम प्रधान के चुनाव में दोबारा परिवार के विवाद शुरु हो गये। कौशल चौबे के चाचा दुर्गादीन चौबे ने कौशल चौबे के भाई अजित चौबे पर फायर कर दिया था, लेकिन वह बच गया। अजीत चौबे ने अपने चाचा दुर्गादीन की हत्या कर दी। जमानत पर आने के बाद कौशल चौबे ने पप्पू सिंह नाम के एक व्यक्ति के साथ मिलकर बलिया (माझी) में पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारी का काम शुरू किया, लेकिन हिस्सेदारी को लेकर पप्पू सिंह और कौशल चौबे के बीच विवाद हो गया। बाद में पीडब्लूडी के उस ठेके को कौशल चौबे ने अकेले ही ले लिया। इसी बात को लेकर पप्पू सिंह कौशल चौबे से रंजिश रखता था।

बलिया में 21 अगस्त 2002 में सेतु निगम के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर व गाजीपुर जिले के बेटाबर निवासी सुशील चंद्र राय की हत्या रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर गोली मारकर कर दी गई थी। इसमें बदमाशों का पीछा करने के दौरान जीआरपी के कांस्टेबल रमाशंकर सिंह, हेड कांस्टेबल छबिगल यादव व कांस्टेबल उमाशंकर यादव को भी गोली लगी थी। इसमें कांस्टेबल रमाशंकर सिंह की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में कौशल चौबे, अजीत चौबे, अरुण चौबे पुत्रगण कमलाकांत चौबे व अंशुमान चौबे विरुद्ध धारा 307 व 302 व 7 क्रिमिनल ला एमेंडमेंट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। हत्या मांझी पुल के ठेकेदारी को लेकर की गई थी।

2004 में बलिया पीडब्लूडी ऑफिस में एक टेण्डर प्रक्रिया के दौरान पप्पू सिंह और कौशल चौबे के भाई अजीत चौबे , अरूण चौबे के बीच मारपीट और फायरिंग हो गई थी, जिसमें पप्पू सिंह के ग्रुप के चार व्यक्तियों की हत्या हो गई। कौशल चौबे का भतीजा शेरा चौबे भी घायल हो गया, जिसे कौशल चौबे का बेटा अंशुमन चौबे इलाज के लिये अस्पताल ले गया था। इसी दिन पुलिस से हुई मुठभेड़ में कौशल चौबे का बेटा अंशुमन मारा गया था। इसी रंजिश के कारण कौशल चौबे के भाई शैलेन्द्र कुमार चौबे की भी हत्या हो गई थी। इसी रंजिश में कौशल चौबे के भाई अरूण कुमार चौबे के साले ने पप्पू सिंह ग्रुप के दो व्यक्तियों की हत्या कर दी थी।

वर्ष 2004 में बलिया में पीडब्लूडी के मामले के बाद से ही अपराधी कौशल चौबे ने अपना घर छोड़ दिया और पुलिस की गिरफ्तारी के डर से छिप कर रह रहा था। कौशल काम की तलाश में हरिद्वार आ गया। हरिद्वार में पूजा-पाठ का काम करते हुए हरिद्वार से ही बलिया के काम को देखता था। इसी दौरान अपराधी कौशल कुमार शिमला में भी 2-3 साल रह कर ठेकेदारी का काम करता रहा। इसके बाद अपने रहने का ठिकाना बदल-बदल कर भट्टा गांव (मसूरी), नरेन्द्रनगर (टिहरी), नेपाली तिराहा (रायवाला) एवं वर्ष 2019 महीने फरवरी से हरिपुरकलां (रायवाला) में अपनी पत्नी के साथ अपने फ्लैट में रह रहा था।

कौशल कुमार चौबे जब शिमला में रह रहा था तब एसटीएफ उत्तर प्रदेश की टीम इसे गिरफ्तार करने शिमला आई थी लेकिन यूपी एसटीएफ की टीम से आमना सामना होने के बावजूद वह निकल कर भाग गया था। इसके अलावा देहरादून-ऋषिकेश में कौशल चौबे के बेटों के शादी के अवसर भी अपराधी कौशल चौबे की मौजूदगी की सम्भावना को देखते हुए आरोपी कौशल को गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन उस समय यह नहीं मिल सका। कुख्यात अपराधी कौशल कुमार चौबे के विरूद्व उत्तर प्रदेश में हत्या, बलवा, गैगेस्टर, गुण्डा अधिनियम एवं धोखाधड़ी आदि से सम्बन्धित लगभग 29 मुकदमें पंजीकृत है।

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20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील

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प्रयागराज के मशहूर वकील अखिलेश शुक्ला की हत्या के बाद जिस तरह से मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह की गिरफ्तारी में देरी हो रही है, उसने पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वजह है कि पुलिस अभी तक उसे पकड़ नहीं पाई है? कहीं यह बीजेपी से उसके जुड़े होने और राजनीतिक पहुंच की वजह से तो नहीं हो रहा?
रविवार को वकीलों ने म्योहाल चौराहे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला रोकने की मांग कर दी। उनका कहना था कि इतने दिनों बाद भी मुख्य आरोपी फरार है, तो पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा कैसे किया जाए? पुलिस बार-बार आश्वासन दे रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
कौन है अतुल प्रताप सिंह?
अतुल प्रताप सिंह बलिया जिले से बीजेपी का गड़वार ब्लॉक प्रमुख है। पहले से ही उस पर कई गंभीर मामले दर्ज है, फिर भी वह खुलेआम घूम रहा है।  पुलिस ने भले ही उस पर 5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हो, लेकिन सवाल है कि क्या यह इनाम भी सिर्फ औपचारिकता है? क्या राजनीतिक दबाव की वजह से पुलिस धीमी कार्रवाई कर रही है?
सड़क पर उतरे वकील !
रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर जैसे ही पुलिस लाइन ग्राउंड पर उतरा, बड़ी संख्या में वकील महाराणा प्रताप चौराहे पर इकट्ठा हो गए। इसी रास्ते से सीएम का काफिला गुजरने वाला था। वकीलों ने ठान लिया था कि वे मुख्यमंत्री का काफिला रोककर अपनी नाराजगी जताएंगे और पत्रक सौंपेंगे। फिर क्या था ? अफसरों के माथे पर पसीना आ गया कि अगर काफिला रुका, तो सीधा यही मैसेज जाएगा कि यूपी में कानून व्यवस्था फेल हो चुकी है।
वकील इस बात से नाराज़ हैं कि अगर उनके कम्युनिटी के एक सीनियर मेंबर के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों की सिक्योरिटी का क्या होगा? उन्होंने मुख्यमंत्री का काफिला रोकने की कोशिश तो की और अपनी मांगें सामने रखने के लिए प्रदर्शन किया। लेकिन यूपी पुलिस हमेशा की तरह प्रदर्शनकारियों को रोकने में कामयाब रही और एक बार फिर आश्वाशन देकर उन्हें वापस भेज दिया गया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस कमिश्नर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वकीलों को भरोसा दिलाया कि आरोपी की जल्द गिरफ्तारी होगी।
17 नवंबर को क्या हुआ था ?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में हुए हमले ने प्रयागराज को हिला कर रख दिया था। अधिवक्ता अखिलेश शुक्ला पर लाठी-डंडों और असलहे से हमला हुआ। उन्हें इतना मारा गया कि वह अधमरे हो गए। तीन दिन तक वह जिंदगी और मौत से जूझते रहे और 20 नवंबर को लखनऊ में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी निखिल सिंह और तीन अन्य को जेल भेज दिया है। लेकिन अतुल प्रताप सिंह अभी तक फरार है।
इस मामले में बसंतपुर का दुर्गेश सिंह और रामपुर का प्रिंस सिंह पहले ही सरेंडर कर चुके हैं। लेकिन अतुल प्रताप सिंह और उसका ड्राइवर अजय यादव अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस का कहना है कि वह छापेमारी कर रही है, लेकिन जब सबकुछ पता है—नाम, पता और पहचान—तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की टीमें आखिर कहां छापेमारी कर रही हैं और अब तक क्या नतीजा निकला? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी की बेहतर कानून व्यवस्था की बात करती है, लेकिन ऐसे मामलों में ढिलाई उनके दावों को कमजोर कर रहा है।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं

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प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।

जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।

अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।

प्रयागराज  की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?

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आईपीएस विक्रांत वीर बलिया

बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।

मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं

कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?

विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।

1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।

नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।

कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।

हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।

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