बलिया स्पेशल
बलिया – प्रदेश की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले पूर्व मंत्री घुरा राम का निधन
बलिया डेस्क : उत्तर प्रदेश की सियासत में अपना अलग ही प्रभाव रखने वाले बलिया के रसड़ा विधानसभा से तीन बार विधायक रहे घूरा राम का आज सुबह निधन हो गया है। बताया गया है की 14 जुलाई 2020 को सीने में दर्द और जकड़न की शिकायत पर केजीएमसी मेडिकल कॉलेज लखनऊ में भर्ती कराया गया जहाँ उनका निधन हो गया । खबर के मुताबिक उसी दिन कोरोनावायरस का सैंपल लिया गया। 15 जुलाई को कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। सुबह निधन की सूचना आने के बाद जिले सहित पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। बता दें की हाल ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़ समाजवादी पार्टी ज्वाइन किया था।
कौन हैं घुरा राम – मूलरूप से बलिया के रहने वाले धूरा राम वर्ष 1984 में बीएस-4 से जुड़े थे। वर्ष 1985 में उन्हें युवा बहुजन समाज पार्टी का बलिया का जिलाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद वे वर्ष 1990 से वर्ष 1998 तक बसपा के जिलाध्यक्ष रहे। घूराराम 1993 में सपा-बसपा गठबंधन सरकार में मंत्री व विधायक रहे। सन् 2002 से 2012 तक लगातार रसड़ा, बलिया से विधायक रहे। सन् 2019 से लोकसभा प्रभारी प्रत्याशी, लालगंज, आजमगढ़ एवं प्रभारी राजस्थान, प्रभारी गुजरात एवं महाराष्ट्र रहे।
इसी बीच वर्ष 1993 में उन्हें रसड़ा विधानसभा से बसपा का टिकट मिला और वे विधायक चुन लिए गये। वर्ष 1995 में धूरा राम को मायावती ने न केवल मंत्री बनाया था बल्कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, प्राविधिक शिक्षा, वैकल्पिक शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी दिये थे।उनकी मौत पर जिले के सभी दल के नेताओं ने शोक जताया है
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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