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कोरोना संकट- बलिया पहुंचे 560 प्रवासी, इस तहसील के इतने लोग पहुचे अपने घर

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बलिया. कोरोना संक्रमण के बढ़ते रुख को देखते हुए प्रदेश सरकार के फरमान के बाद गैर प्रांतों से मजदूरों उनके पैतृक जिले में रोडवेज बसों में बैठाकर भेजना शुरु कर दिया गया है. इस दौरान शनिवार की रात से ही बसों का आना शुरु हो गया. जो दूसरे दिन शाम तक जारी रहा. इस दौरान रोडवेज परिसर में हरियाणा, पंजाब, गुजरात मध्य प्रदेश, बिहार प्रांत के साथ कई प्रांतों से सवार होकर बसों में आए 560 लोगों को रोडवेज के बलिया डिपो पर उतारा गया. इस दौरान उनके जांच किये जाने के साथ ही बसों में बैठाकर उनके तहसील के लिए रवाना कर दिया गया. रोडवेज पर विधिवत जांच के उपरांत उनके कफ संबंधित जांच भी किया गया.

पूरे देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते संक्रमण के चलते लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में गैर प्रांतों में फंसे लोगों को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के फरमान पर पैतृक जिले में रोडवेज बसों के माध्यम से मजदूर और श्रमिकों को भेजा जा रहा है. सरकार के फरमान के बाद से शनिवार को रात में ही श्रमिकों का रोडवेज बस डिपो पर आना शुरु हो गया.

इस दौरान रात में ही करीब दर्जन भर बसों में 560 लोगों को रोडवेज बस स्टैंड पर उतारा गया. सुहब में भी कई बसों से हरियाण, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, बिहार आदि प्रांतों से लाए गये मजदूरों का थर्मल जांच करने के बाद कई जगहों पर सूची बद्ध करते हुए अलग-अलग तहसीलवार सूची भी तैयार किया गया. उसके बाद उस क्षेत्र के क्वारेंटीन सेंटरों पर भेजने के लिए अलग-अलग बसों में बैठा उनके उपजिलाधिकारियों को सूचना दे दी गई.

रात से लेकर सुबह आठ बजे तक रोडवेज पर गहमा-गहमी बनी रही. इस दौरान कोरोना से संबंधित लक्षणों के बारे में एक-एक मजदूर से रिपोर्ट तैयार करने के बाद उसके लक्षणों की पूरी पड़ताल मेडिकल टीम ने किया. इस दौरान जो भी आए उन्हें जांच के उपरांत एक क्वारेंटीन की पर्ची भी दी गई. सदर एसडीएम अश्वनी कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सदर तहसील के 354, बांसडीह के 66, रसड़ा के 69, बेल्थरारोड के 06 तथा बैरिया तहसील के 65 मजदूर आए थे. जिनकी जांच कराने के बाद उन्हें उनके तहसील क्षेत्र में बने क्वारेंटीन सेंटरों पर रोडवेज बसों से भेजवा दिया गया है. जहां वे 14 दिनों तक रहने के बाद प्रमाण पत्र लेकर ही अपने घरों का जाएंगे.

रोडवेज पर ही चार लोगों की हुई रेंडम चेकिंग
रोडवेज पर गैर प्रांतों से आने वाले मजदूर व श्रमिकों की जांच में कुछ लोगों के लक्षणों को देखकर टीम के सदस्यों ने इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग के आला-अफसरों को दे दी. सूचना के बाद मौके पर टीम के साथ पहुंचे महामारी के नोडल चिकित्सा अधिकारी डा़ जिआउल हुदा ने एक-एक कर चार लोगों का रेंडम सेंपल भरा. इस दौरान उसकी जांच कराने के लिए सील कर रिपोर्ट के साथ वाराणसी भेजा गया. इस बावत पूछे जाने पर डा. हुदा ने बताया कि चार लोगों की रेंडम सैंपलिंग की गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद उनके बारे बताया जा सकता है.

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बलिया के हिमांशु ने लंबे सघर्ष के बाद पास की IBPS SO परीक्षा, प्रेरणादायक है उनकी सफलता की कहानी

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लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। बलिया के हिमांशु राय ने इन पंक्तियों को चारितार्थ करके दिखाया है। उन्होंने लंबे संघर्ष के बाद IBPS SO की परीक्षा में उच्चतम अंक हासिल कर सफलता हासिल की। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद उनका चयन पंजाब नेशनल बैंक में हुआ है, जो उनके करियर की एक नई शुरुआत साबित होगी।

अजीत कुमार राय के पुत्र हिमांशु राय का जीवन एक प्रेरणा है। बचपन से ही मेधावी रहे हिमांशु ने अपनी शिक्षा में कभी भी समझौता नहीं किया। 2014 में उन्होंने ज्ञान कुंज अकादमी से कॉमर्स में इंटरमीडिएट की परीक्षा में लगभग 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। इसके बाद, उन्होंने BHU से बी.कॉम में प्रथम श्रेणी से सफलता हासिल की और MBA (MAT) की परीक्षा पास की। इसके साथ ही UGC NET की परीक्षा भी उत्तीर्ण की और HDFC बैंक में नौकरी प्राप्त की।

हालांकि, जीवन की राह में आ रही कठिनाइयों ने हिमांशु को कभी हार मानने नहीं दिया। कोरोना महामारी के कारण उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ समय तक कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। इस दौरान, उन्होंने अपने परिवार की दुकान में भी मदद की और घर में मां का ख्याल रखते हुए रात में अपनी पढ़ाई जारी रखी।

संगर्ष की इस लंबी यात्रा में, हिमांशु ने कई बार सफलता के काफी करीब जाकर असफलता का सामना किया, लेकिन उनकी मेहनत और हिम्मत ने उन्हें 1 अप्रैल को शानदार सफलता दिलाई। हिमांशु अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता श्री अजीत कुमार राय के मार्गदर्शन और संघर्ष, और अपनी मां श्रीमती संगीता राय के त्याग को देते हैं। वे कहते हैं, “मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे संघर्ष से लड़ने और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।”

हिमांशु ने अपनी मौसी, जिन्हें वह छोटी माता के नाम से बुलाते हैं, को भी इस सफलता का अहम श्रेय दिया। इसके अलावा, उनकी एक मित्र संध्या ने इस परीक्षा में उनका अनमोल साथ दिया, जिन्होंने न केवल पढ़ाई में मदद की बल्कि परीक्षा और इंटरव्यू की तैयारी में भी मार्गदर्शन किया। हिमांशु का मानना है कि संध्या के सहयोग के बिना यह सफलता संभव नहीं थी।

आखिरकार, हिमांशु ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने परिवार, रिश्तेदारों और बाजार के सभी लोगों को दिया, जिन्होंने हर कदम पर उनका समर्थन किया। उनकी यह कहानी यह सिद्ध करती है कि सही मार्गदर्शन, कड़ी मेहनत, और कभी हार न मानने का जज्बा किसी भी मुश्किल को पार कर सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंच सकता है।

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बलिया में 16 वर्षीय किशोरी ने फांसी लगाकर दी जान !

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बलिया के फेफना थाना क्षेत्र में एक किशोरी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक, फेफना थाना क्षेत्र  की घटना है। जहां 16 वर्षीय किशोरी ने आत्महत्या कर ली। किशोरी का नाम खुशी था और वो मनियर गांव की रहने वाली थी। खुशी कुछ वर्षों से अपने नाना गंगाराम के घर में रह रही थी। उसकी मां का देहांत कुछ साल पहले हो गया था। वह यहीं रहकर पढ़ाई कर रही थी।

मंगलवार की रात को वह रोजाना की तरह खाना खाकर अपने कमरे में सोने चली गई। सुबह देर तक जब कमरे का दरवाजा नहीं खुला, तो परिजनों ने दरवाजा खटखटाया। कोई जवाब नहीं मिलने पर दरवाजा तोड़ा गया। अंदर खुशी का शव पंखे से दुपट्टे के सहारे लटका हुआ मिला।

घटना की सूचना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। थाना प्रभारी अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि परिजनों को सूचित कर दिया गया है।

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बलिया में पूजा चौहान की मौत ने खड़े किए कई सवाल ?

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बलिया के नगरा थाना क्षेत्र के सरयां गुलाबराम गांव में पूजा चौहान की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए है। सरयां गुलाबराम गांव में रविवार सुबह जो दृश्य देखने को मिला, उसने पूरे बलिया को हिला कर रख दिया है। सुबह गांव में जामुन के पेड़ से एक 20 वर्षीय युवती का शव लटका मिला। पैर करीब छह फीट ऊपर हवा में, हाथ पीछे बंधे हुए। नाम पूजा चौहान। 20 साल की पूजा चौहान का शव जब पेड़ से लटका देखा, तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। जिसने भी ये मंजर देखा, उसकी रूह कांप गई। सबके मन में सवाल उठा की कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है।

हर दिन अखबारों में ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। सोचिये जब प्रशासन को यह पता है कि ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठता। गुलाबराय सरया गांव में रविवार सुबह धर्मराज चौहान की बेटी पूजा का शव गांव में एक पेड़ से लटकता मिला, उसके हाथ पीछे बंधे हुए थे। शव देखते ही गांव में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह समेत अन्य अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे और हालात को बारीकी से देखा।

पूजा चौहान साधारण परिवार की लड़की थी। उसकी शादी अगले महीने 25 अप्रैल को होने वाली थी। घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं। परिवार में खुशियों का माहौल था, लेकिन किसी को क्या पता था कि यह खुशी मातम में बदल जाएगी। पूजा के माता-पिता फिलहाल पीजीआई में अपना इलाज करा रहे थे, और वह घर पर अकेली थी। परिवार के बाकी सदस्य भी बाहर रहते थे। उसका भाई गुजरात में नौकरी करता है और बहन असम में शादीशुदा जिंदगी बिता रही है। फिर सवाल यह उठता है कि आखिर उसकी मौत के पीछे कौन हो सकता है?

पहले तो खबर आई की पूजा ने आत्महत्या की है लेकिन जिस तरीके से उसका शव पेड़ से लटक रहा था वह कुछ और ही बयां करता है। पूजा ने खुद अपनी जान ली होती, तो उसके हाथ पीछे बंधे कैसे होते? यह सवाल जितना आसान लगता है, इसका जवाब उतना ही पेचीदा है। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के हाथ पीछे बंधे नहीं हो सकते। मतलब, शायद किसी ने पूजा की हत्या की और फिर उसे पेड़ से लटकाकर मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की। क्या उसकी मौत के पीछे कोई पुरानी दुश्मनी थी? या फिर कोई और वजह? कई सवाल हैं। हो सकता है यह सिर्फ कोई मसेज देने के लिए किया गया हो।

घटनास्थल पर मौजूद किचन में बिखरा आटा और अस्त-व्यस्त बर्तन यह बताते हैं कि शायद पूजा का पहले किसी झगड़ा भी हुआ होगा उसके बाद उसके साथ यह अनहोनी हुई होगी। पुलिस जांच के शुरुआती तथ्यों को देखें तो इस मामले में यौन शोषण का भी एंगल जुड़ सकता है। पीड़िता की नानी का साफ कहना है कि उनकी नातिन आत्महत्या नहीं कर सकती। परिजन इस बात से साफ़ इंकार कर रहे हैं। लेकिन सवालों के जवाब आने है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मामले में योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि “उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। अपराधियों को खुली छूट मिल चुकी है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है।”

हाथरस, उन्नाव, बदायूं, और अब बलिया—कब तक यूपी की मिट्टी मासूम बेटियों के खून से लाल होती रहेगी?

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