बलिया। श्रम विभाग की बाल श्रमिक विद्या योजना असहाय बच्चों के लिए एक बड़ा सहारा बन रही है। योजना का लाभ जिले के 50 बच्चों को मिलने जा रहा है। 50 बच्चों में 24 बालिका और 26 बालक हैं। जिनका चयन इस योजना के लिए हुआ है। सरकार की इस योजना से असहारा बच्चों को जोड़ा जा रहा है। और अब बच्चे भी बाल मजदूरी छोड़कर पढ़ाई में रुचि दिखाने लगे हैं। सरकार की योजना से बाल मजदूरी करने वाले बच्चों का जीवन बदलेगा। उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।
बता दें यह योजना उन बच्चों के लिए हैं। जिनके माता-पिता या फिर दोनों में से कोई एक नहीं है, या फिर माता-पिता के दिव्यां, असाध्य रोग से पीड़ित या भूमिहीन परिवार से हों। योजना के तहत कक्षा दस तक के बालकों को पढ़ाई के लिए एक हजार और बालिकाओं को 1200 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं। इसके लिए लाभार्थी की उम्र 8 से 18 साल के बीच होनी चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में सिर से अभिभावकों का साया उठने पर अधिकांश बच्चे स्कूल से दूर हो जाते हैं। ऐसे में सरकार की योजना के बेसहारा के लिए सहारा है।
मजदूरी छोड़ थामी कलम- सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले सुखपुरा के दो बच्चों के सिर से पिछले साल जुलाई में मजदूरी करने वाले पिता का साया उठ गया। इसके बाद मां और बेटों के सामने संकट खड़ा हो गया। ऐसे में मां मेहनत-मजदूरी करने लगी। बेटे भी उसके साथ जाने लगे। उनका स्कूल छूट गया। इस बीच बाल श्रमिक योजना के तहत बच्चों को चयन हो गया। दोनों को हर माह एक-एक हजार रुपये मिलने लगे हैं। अब वे फिर से स्कूल जाने लगे हैं।
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