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बलिया स्पेशल

4 सांसद, 3 मंत्री, 5 सत्ताधारी विधायक और प्रतिपक्ष नेता, फिर भी बदहाल है बलिया !

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बलिया– चार सांसद,तीन मंत्री, पांच सत्ताधारी विधायक और विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता जब एक ही जनपद से आते हैं तो उस इलाके की तस्वीर को देश के नक्शे में बेहद चमकदार होनी चाहिए. जहां इतने धुरंधरों की जमावड़ा हो वहां तो विकास की गंगा-जमुना सब बहनी चाहिए लेकिन हक़ीक़त इसके उलट है.

जी हां हम बात कर रहे हैं राजनीति की नर्सरी कही जाने वाले यूपी के बलिया ज़िले की. कायदे से बलिया से जितने सांसद, विधायक, मंत्री हैं तो यहां की जनता को मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान नहीं होना चाहिए. लेकिन सियासत तो सियासत है, जिसके मायने बदल गए हैं. बलिया ने देश को चंद्रशेखर जैसा पीएम दिया और वर्तमान में भी बलिया के तीन बेटे देश के अलग-अलग इलाकों से सांसद हैं.

राजनीति के लिहाज से बलिया हमेशा सुर्खियों में रहा. करीब तीन साल पहले देश में उज्जवला योजना की शुरूआत पीएम नरेंद्र मोदी ने बलिया जनपद से की जिसके बाद बलिया एक बार फिर चर्चा में आया. हालांकि बलिया में विकास की हक़ीकत कुछ अलग ही है. चहूमुखी विकास की बात तो बलिया में बेमानी साबित हो रही है यहां के बाशिंदे तो आज़ादी के 70 साल बाद भी पीने के साफ़ पानी, स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

विकास के नाम पर यहां ज़मीनी स्तर पर ना कोई बड़ा कारखाना है ना ही बलिया अपनी अलग पहचान बना पाया. बलिया की इस अनदेखी के ज़िम्मेदार यहां के वो जनप्रतिनिधि हैं जिन्हें बलिया की जनता ने अपना रहनुमा बनाया लेकिन ये रहनुमा अपना विकास करते रहे और बलिया के बाशिंदे पिछड़ते गए. किसी भी इलाके के विकास के लिए ज़रूरी होता है रोज़गार और रोज़गार के लिए चाहिए कल-कारखाने जिससे बलिया पूरी तरह महरूम है.

नेताओं के साथ कुदरत का क़हर भी इलाके को पीछे धकेलने में लगा रहता है. हर साल जिलेवासी प्राकृतिक आपदा गंगा, घाघरा, टोंस नदी के बाढ़ व कटान का दंश झेलने को मजबूर हैं. इलाके के लोग आर्सेनिक युक्त ज़हरीला पानी पीने के मजबूर हैं. सालों से इलाके की जनता ज़हरीला पानी पी रहे हैं और इस ज़हर से निजात दिलाने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई.

शायद प्रशासन और सरकार दोनों को ये ज़हरीला पानी ज़हर नहीं लगता है क्योंकि ये बंद बोलत का फिल्टर पानी पीने वाले लोग हैं. हालात इतने खराब हैं कि ये ज़हरीला पानी लोगों की किडनियां खराब कर रहा है. सबसे ज़रूरी सुविधाओं की बात करें तो इलाके में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं.

गंभीर बीमारी से निपटने के लिए ज़रूरी इलाज ज़िले मे नहीं मिलता है नतीजा ये है कि लोगों को इलाज के लिए बनारस, गोरखपुर व लखनऊ जाना पड़ता है. शिक्षा के क्षेत्र में भी बलिया के हालात कुछ बेहतर नहीं हैं. हालांकि जनपद में जननायक चंद्रशेखर सिंह विश्वविद्यालय के स्थापना से शिक्षा के हालात सुधरने की उम्मीद तो जगी है  लेकिन अब तक यूनिवर्सिटी की आधारभूत संरचना तक खड़ी नहीं हो सकी है.

देश को मंगल पांडे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, चंद्रशेखर जैसी हस्तियां देने वाला बलिया राजनीति का अखाड़ा तो ज़रूर है लेकिन यहां की जनता अब इलाके की अनदेखी से थक चुकी है. मिशन 2019 को लेकर सभी पार्टियों ने अपना बिगुल भी फूंक दिया है लेकिन अब जनता को चाहिए कि वो अपने इलाके के धुरंधर राजनेताओं से सवाल करे, उनसे पूछे कि आखिर बलिया देश के नक्शे में विकास की पहचान क्यों नहीं बना पाया है .

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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?

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आईपीएस विक्रांत वीर बलिया

बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।

मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं

कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?

विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।

1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।

नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।

कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।

हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।

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बात थी जंगलराज खत्म करने की लेकिन बलिया में तो पैदा हो गए दर्जनों गैंग!

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रिपोर्ट : तिलक कुमार

बलिया। प्रदेश में योगी सरकार बनी तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब जंगलराज खत्म हो जाएगा और राम राज की स्थापना होगी। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और तो और जनपद में दर्जनों गैंग पैदा हो गए, जो भोली भाली जनता की नाक में दम करके रखा है।

आलम यह है कि जनपद में योगी सरकार बनने के बाद फरसा, त्रिशूल, चोटी, टांगी, राइडर, शिकारी, रफ्तार व चिंगारी गैंग बनी है और यह गैंग आए दिन किसी न किसी को अपना शिकार बनाते हैं। इन गैंगों की पुष्टि खुद बलिया पुलिस ने की है और सूचना देने वालों पर पांच हजार का इनाम भी रखा है।

इन गैंगों की क्रियाकलापों की बात करें तो ये सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर एकाउंट बनाकर गैंग की मॉनिटरिंग करते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है गैंग द्वारा इन एकाउंटों की इस तरह मानि​टरिंग की जाती है कि गैंग के सरगना का पता नहीं चलता है।

हालांकि इस गैंग के मेंबर दस से 20 ही होते हैं, जो समय—समय पर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए किसी को मारते—पीटते हैं, फिर उसका वीडिया बनाकर सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं। इन गैंगों को आपरेट करने वाले इतने शातिर होते हैं कि अपनी मौजूदगी का सिर्फ एहसास कराते हैं, लेकिन खुदको हमेशा पर्दे के पीछे रखते हैं।

…नहीं हुई कार्रवाई तो बन जाएगा गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश में गैंगवार की बात करें तो सबसे बदनाम और कुख्यात जिला गाजियाबाद है, जहां आज भी प्राय: सुनने को मिलता है कि इस गैंग ने उस गैंग को मारा। फला गैंग न फला गैंग को मारा। इस पर कई बॉलीवूड फिल्म से लेकर वेब सी​रिज भी बन चुकी है। अब लगभग लगभग वही चीज बलिया जनपद में भी होने लगी है। ऐसे में इन गैंगों पर जल्द से जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब बलिया भी गाजियाबाद का रूप अख्तियार कर लेगा।

ताजा—ताजा पैदा हुआ कड़ा गैंग
अभी बांसडीह में रोहित यादव राइडर गैंग द्वारा रोहित पांडेय की निर्मम हत्या का मामला शांत नहीं हुआ कि सिकंदपुर थाना क्षेत्र के माल्दह चौकी अंतर्गत हरनाटार गांव में बीती रात पार्टी में बुलाकर कड़ा गैंग वाले एक युवक को मारपीट कर लहूलुहान कर दिया। इसके तीमारदार की मानें तो यह नई गैंग है और किसी पर भी सिर्फ कड़ा से हमला करते हैं।

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बलिया में अस्पतालों का औचक निरीक्षण, 84 स्टॉफ मिले गैरहाजिर, DM के एक्शन से हड़कंप!

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बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपस्थिति जांचने के लिए सभी तहसील के एसडीएम/डिप्टी कलेक्टरों के माध्यम से जिले के दस सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कराया। इस दौरान कुल 18 डॉक्टर व 66 स्टॉफ ड्यूटी से ​गैरहाजिर मिले। इन सभी अनुपस्थित डॉक्टरों व कर्मचारियों को एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है। साथ ही यह भी कहा ​है कि सभी अस्पतालों में समय से उपस्थिति व बेहतर चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

निरीक्षण में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, काजीपुरा में तैनात कुल 12 कार्मिकों के सापेक्ष लैब टेक्निशियन फहीजुर्रहमान अंसारी ही उपस्थित मिले, जबकि चिकित्साधिकारी डॉ शैलेश कुमार व 10 कार्मिक गायब मिले। न्यू पीएचसी सागरपाली में तैनात 9 कार्मिकों में से 4 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बांसडीह में डॉ प्रणय कुनाल, डॉ यश्वी सिंह, डॉ प्रियदर्शन सिंह, डॉ बीरबहादुर सिंह चिकित्साधिकारी सहित कुल 18 कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेरूआरबारी में चिकित्साधिकारी डॉ एसके सिंह, डॉ पीडी शुक्ला, डॉ रामायण यादव सहित कुल 12 कार्मिक अनुपस्थित मिले।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनबरसा में डॉ जया पाठक, डॉ साल्टी कसेरा, डॉ राजेश कुमार, डॉ सुमन कुमार व वरिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव अनुपस्थित पाये गये। इसी प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मुरलीछपरा में बीएचडब्ल्यू अजय कुमार रावत, चीफ फार्मासिस्ट मनोहर प्रसाद व चतुर्थ श्रेणी कर्मी प्रेमशंकर यादव गायब मिले। सीएचसी खेजुरी में निरीक्षण के दौरान डॉ प्रशान्त व डॉ एएन शर्मा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बघुड़ी में डॉ चन्दन सिंह अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ककरासो के औचक निरीक्षण में चिकित्साधिकारी डॉ राकेश पाण्डेय सहित 10 कर्मी अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनाडीह में चिकित्साधिकारी डॉ रामाशीष, फार्मासिस्ट महेन्द्र पाल सिंह, एलटी मनीष कुमार यादव, एएनएम संगीता व धर्मेन्द्र सिंह व अजीत पाण्डेय अनुपस्थित थे।

उप जिलाधिकारी ने सीएचसी रसड़ा का निरीक्षण किया तो वहां चिकित्साधिकारी डॉ ऑमिर इम्तियाज, डॉ धर्मवीर सिंह, बीपीएम मिथिलेश गिरि, एसटीएस अभिमान मेहता व सुनील कुमार वर्मा, एलटी बृजेश कुमार, वार्ड बॉय मिथिलेश्वर त्रिपाठी, वीना सिंह, विपिन सिंह, मंगलदेव सिंह, विनय दुबे, राहुल सिंह अनुपस्थित पाये गये। सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारी एवं अन्य कार्मिकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है।

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