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बलिया में होगी 19 नए ग्राम पंचायत अधिकारियों की तैनाती

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बलिया में 19 नए ग्राम पंचायत अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। शासन ने पंचायतीराज विभाग को नए अधिकारियों की सूची उपलब्ध करा दी है। इनको जल्द ही नई तैनाती दे दी जाएगी। ग्राम पंचायत अधिकारियों की तैनाती से ग्रामीण विकास की गति तेज होने की उम्मीद है।

बता दें कि ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा 2018 का परिणाम घोषित होने के बाद कुल 1506 नए ग्राम पंचायत अधिकारी चयनित हुए हैं। सोमवार को चयनित अभ्यर्थियों को जिलों का आवंटन किया गया है। इसमें 19 नए पंचायत अधिकारियों की तैनाती बलिया जिले में की गई है।

ग्राम पंचायत अधिकारियों की कमी के कारण ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों सहित अन्य कामकाज के सुचारू संचालन हेतु एक-एक ग्राम पंचायत अधिकारी के पास कई-कई ग्राम पंचायतों के कलस्टर आवंटित थे। अब नए सचिवों की तैनाती के बाद ग्राम पंचायतों का कामकाज और अच्छी तरह से होगा।

मुख्य विकास अधिकारी ओजस्वी राज ने जिले के तीन विकास खंड दुबहड़, बांसडीह और चिलकहर के बीडीओ को अतिरिक्त कार्य भार सौंपने का आदेश जारी किया है। इसके तहत बीडीओ दुबहड़ देवेंद्र कुमार ओझा को रसड़ा, बांसडीह के बीडीओ विनोद कुमार बिंद को मनियर और नवानगर तथा चिलकहर ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी सूर्य प्रकाश को हनुमानगंज का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

ओजस्वी राज का कहना है कि शीघ्र ही 19 नए ग्राम पंचायत अधिकारियों को तैनाती दी जाएगी। इससे गांवों के विकास में तेजी आएगी। इसके अलावा तीन बीडीओ को कुछ ब्लॉकों का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है।
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बलिया में दुष्कर्म और हत्या के दोषी को सख्त सजा, न्यायालय ने दिया कड़ा संदेश

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बलिया में एक बड़े अपराध मामले में न्यायालय ने दोषी अंचल राजभर को सख्त सजा सुनाई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/एफटीसी-1 की अदालत ने दुष्कर्म और हत्या के गंभीर आरोपों में उसे दोषी ठहराया और सजा का ऐलान किया। यह मामला थाना उभांव में दर्ज मुकदमा संख्या 05/2022 से संबंधित है।

अंचल राजभर, जो रामपुर कानूनगोयान का निवासी है, को अदालत ने हत्या के आरोप में आजीवन कारावास और 10,000 रुपये जुर्माना की सजा दी। वहीं, दुष्कर्म के मामले में उसे 10 वर्ष का कठोर कारावास और 10,000 रुपये जुर्माना लगाने का आदेश दिया गया।

अदालत ने यह भी कहा कि यदि दोषी जुर्माना नहीं चुका पाता, तो उसे प्रत्येक अपराध के लिए 6 महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। यह सजा उत्तर प्रदेश पुलिस के “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत दी गई, जिसका संचालन पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह कर रहे थे।

अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विजय शंकर पांडेय ने प्रभावी पैरवी की, जिससे यह फैसला संभव हो सका। यह सजा अपराधियों को एक कड़ा संदेश देती है और न्याय व्यवस्था में आम जनता के विश्वास को और मजबूती प्रदान करती है।

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बलिया

बलिया में युवक पर तेजाब फेंकने की घटना, पुलिस की कार्रवाई में देरी पर उठे सवाल

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बलिया के शहर कोतवाली क्षेत्र के रामपुर महावल गांव में एक युवक पर तेजाब फेंकने की घटना सामने आई है। यह घटना 3 फरवरी को हुई, जब संजय सिंह और उनके पुत्र मनसोखन सिंह ने मिथुन नामक युवक पर तेजाब फेंककर उसकी जान लेने की कोशिश की।

पीड़ित मिथुन के पिता मदन बिंद ने 4 फरवरी को मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने तीन दिन तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके बाद, पुलिस ने 7 फरवरी को मामला दर्ज किया। इस देरी को लेकर स्थानीय लोग और पीड़ित परिवार में असंतोष है।

शहर कोतवाल योगेंद्र सिंह ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द की जाएगी, हालांकि अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इतनी गंभीर घटना होने के बावजूद कार्रवाई में देर की गई। इस घटना के बाद से पीड़ित परिवार भय के साये में जी रहा है, और मामले में त्वरित न्याय की उम्मीद जताई जा रही है।

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“बलिया में गोंड जनजाति का जाति प्रमाण पत्र की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना जारी

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बलिया में गोंड जनजाति समुदाय के लोग जाति प्रमाण पत्र जारी करने की मांग को लेकर सदर मॉडल तहसील पर अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। यह आंदोलन आल गोंडवाना स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आगसा) के नेतृत्व में चल रहा है, जिसमें समुदाय के सदस्य आरोप लगा रहे हैं कि लेखपाल और तहसीलदार सरकारी आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग ने 2 दिसंबर 2024 को एक शासनादेश जारी किया था, जिसमें पहले के निर्देशों का पालन करने को कहा गया था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम से पहले के भू-राजस्व अभिलेखों में उनकी जाति ‘गोंड’ दर्ज है, और ये दस्तावेज जिला कलेक्ट्रेट तथा अन्य संबंधित कार्यालयों में उपलब्ध हैं। इसके बावजूद, अधिकारियों द्वारा उनके जाति प्रमाणपत्र में मनमाने तरीके से बदलाव किया जा रहा है।

गोंड पार्टी के संरक्षक सुमेर गोंड ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय बैरिया थाने पर शहीद हुए रामजन्म गोंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वे भी अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए उसी दृढ़ता से संघर्ष करेंगे। धरने में समुदाय के कई प्रमुख सदस्य, जैसे गुलाबचंद्र गोंड, संजय गोंड और बच्चा लाल गोंड, भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग है कि दोषी अधिकारियों पर संविधान के खिलाफ कार्य करने और अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए।

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