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बलिया स्पेशल

बलिया: राजकीय सम्मान के साथ दी गई शहीद मनोज सिंह को विदाई

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नक्सली हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान मनोज सिंह का बुधवार की देर शाम तमसा नदी के तट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि शहीद के सात वर्षीय पुत्र प्रिंस ने दी। शहीद के अंतिम दर्शन के लिये गांव-जवार के लोगों की भीड़ उमड़ी हुई थी। पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद ‘भारत माता की जय’ व ‘मनोज सिंह अमर रहें’ के उद्घोष से पूरा इलाका गूंज उठा।

स्थानीय कस्बे से सटे उसरौली गांव निवासी सीआरपीएफ के 212 बटालियन में तैनात मनोज कुमार सिंह मंगलवार की सुबह नक्सली हमले में शहीद हो गये थे। छत्तीसगढ़ के सुकमा में तैनात मनोज साथी जवानों के साथ जंगल में काम्बिंग करने जा रहे थे। तभी माओवादियों ने सीआरपीएफ के जवानों से भरी ट्रक को आईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया। मनोज समेत नौ सैनिक इस ब्लास्ट में वीरगति को प्राप्त हो गये।

इसकी सूचना केन्द्रीय सुरक्षा बल के अधिकारियों ने मंगलवार की सुबह करीब 11 बजे शहीद के पिता नरेन्द्र नरायण सिंह को फोन पर दी। इस मनहूस खबर को सुनते ही गांव-घर में कोहराम मच गया। पिता के साथ ही मां शांति देवी, बुजुर्ग दादी सुरसती देवी तथा पत्नी सुमन दहाड़े मारकर रोने लगी।

बुधवार की सुबह से ही परिजन व ग्रामीण शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचने का इंतजार कर रहे थे। हालांकि वह देर शाम करीब 6.25 बजे उसरौली उनके आवास पर पहुंच सका। शहीद के पार्थिव शरीर के गांव में पहुंचते ही मौजूद भीड़ भारत माता की जय तथा वंदे मातरम का नारा लगाने लगे। तिरंगा में लिपटे ताबूत के अंदर रखे शहीद के पार्थिव शरीर को मनोज के पैतृक घर के बरामदे में रखा गया। पार्थिव शरीर को जैसे ही बाहर निकाला गया, परिजन लिपटकर रोने-बिलखने लगे। पिता नरेन्द्र नरायण सिंह, मां शांति देवी, दादी सुरसती देवी, पत्नी सुमन तथा दोनों पुत्रों प्रिंस व प्रतीक ने अंतिम दर्शन किया, जिसके बाद शहीद अंतिम यात्रा पर निकल पड़े।

करीब पौन घंटे तक अंतिम बार दरवाजे पर रखने के बाद पिता, भाई व परिवार के अन्य सदस्यों ने कंधा दिया। इसके बाद पार्थिव शरीर को पहले से तैयार फूल-मालाओं से सजी पिकअप पर रखने के बाद काफिला तमसा नदी की ओर चल पड़ा। रात करीब आठ बजे नदी के पिपरा घाट पर अंतिम संस्कार की रस्म शुरु हुई। वहां पर सीआरपीएफ व पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। परम्परा के मुताबिक मुखाग्नि शहीद मनोज के बड़े पुत्र सात वर्षीय प्रिंस ने दी।

पिता की शहादत से बेखबर थे मासूम
नक्सली हमले में शहीद सीआरपीएफ के जवान मनोज कुमार सिंह के मासूम पुत्र पिता की शहादत से बेखबर थे। वह बुधवार की शाम कभी दरवाजे पर जुटी भीड़ तो कभी दादा-दादी व मां का चेहरा निहार रहे थे। छोटी सी उम्र में ही पिता के दुलार-प्यार से वंचित हो चुके शहीद के दोनों बेटों के चेहरों को देखने के बाद हर किसी का कलेजा दहल जा रहा था। बाहर बरामदे में बैठे पिता नरेन्द्र नरायण सिंह तो अंदर मां-दादी व पत्नी सिसक रही थीं। सबसे खराब स्थिति शहीद की मां शांति देवी व पत्नी सुमन की थीं। वे रोते-रोते बेहोश हो जा रही थी। पार्थिव शरीर के पहुंचने के बाद देशभक्ति नारों के बीच परिजनों की बिलखने की आवाज हर किसी को असहज कर रहा था। मौके पर मौजूद हर व्यक्ति के आंखों में आंसू तथा जुबां पर नक्सलियों के खिलाफ गुस्सा था।

‘लाल’ की राह में सुबह से ही बिछी थीं आंखें
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में शहीद बेटे की आगवानी के लिये शहर से गांव तक लोग बुधवार की सुबह से ही टकटकी लगाये हुए थे। चितबड़ागांव के उसरौली में अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थी, वहीं शहर के पुलिस लाइन में जिले के आला अफसर पार्थिव शरीर के आने का इंतजार करते रहे। मंगलवार को हुए हमले में मनोज के शहीद होने की खबर मिलने के बाद से गांव-घर में मातम पसरा हुआ था। बुधवार को पार्थिव शरीर आना था, लिहाजा सुबह से ही लोगों की बेचैनी बढ़ गयी थी। उनके घर पर ग्रामीणों के साथ ही नाते-रिश्तेदारों की भीड़ जुटी हुई थी। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से पार्थिव शरीर के पहले वाराणसी तथा वहां से फिर हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइन पहुंचने की सूचना पर प्रशासनिक अमला भी सक्रिय हो गया था। पार्थिव शरीर के दोपहर ढाई बजे तक आने की सम्भावना थी, लिहाजा डीएम सुरेन्द्र विक्रम, एसपी अनिल कुमार के साथ ही पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी तथा सीआरपीएफ के जवान पहुंच गये थे। करीब एक घंटे तक इंतजार के बाद यह जानकारी मिली कि शहीद का पार्थिव शरीर शाम पांच बजे के बाद पहुंचेगा। इसके बाद आला अधिकारी चले गये, जबकि केन्द्रीय सुरक्षा बल के जवान मौके पर ही डटे रहे। शहीद के गांव में अर्थी बनकर तैयार थी तथा शवयात्रा के लिये पिकअप वाहन को सजाया जा चुका था। अंतिम संस्कार के लिये तमसा (टोंस) नदी के पिपराघाट पर सभी इंतजाम दिन में ही पूरे कर लिए गये थे।

पहुंचे थे सीआरपीएफ के 28 जवान
नक्सली हमले में शहीद उसरौली निवासी मनोज सिंह को श्रद्धाजंलि देने के लिये केन्द्रीय सुरक्षा बल के अधिकारियों समेत कुल 28 जवान पहुंचे थे। सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमाडेंट राजेश कुमार पांडेय ने पहले ही पहुंचकर जिले के अफसरों से भेंट कर पूरा खाका तैयार कर लिया था। हेलीपैड से पार्थिव शरीर को पैतृक गांव तक ले जाने के लिये जवानों ने सेना के वाहन के चारों तरफ पुष्पचक्र लगाया। सीआरपीएफ के जवान अधिकारियों से पल-पल की खबरों का आदान-प्रदान करते रहे।

चार दिनों बाद घर लौटे मनोज
तीन दिन पहले ही छुट्टी काटकर ड्यूटी पर गए केन्द्रीय सुरक्षा बल में तैनात चितबड़ागांव के उसरौली गांव निवासी मनोज सिंह बुधवार को ही घर लौट आए लेकिन इस बार उनका शरीर निर्जीव था। होली के त्योहार पर छुट्टी काटकर घर लौटे सीआरपीएफ जवान मनोज 10 मार्च को वापस ड्यूटी पर जाने के लिये निकल गये। वह मां-बाप व पत्नी-बच्चों से जल्द ही घर लौटने का वादा करके गये थे। हालांकि किसको पता था कि महज तीन दिनों बाद ही उनके शहीद होने की खबर आयेगी। चौथे दिन बुधवार को मनोज का पार्थिव शरीर गांव पहुंचते ही पूरा इलाका गमगीन हो गया।

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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?

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आईपीएस विक्रांत वीर बलिया

बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।

मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं

कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?

विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।

1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।

नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।

कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।

हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।

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बात थी जंगलराज खत्म करने की लेकिन बलिया में तो पैदा हो गए दर्जनों गैंग!

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रिपोर्ट : तिलक कुमार

बलिया। प्रदेश में योगी सरकार बनी तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब जंगलराज खत्म हो जाएगा और राम राज की स्थापना होगी। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और तो और जनपद में दर्जनों गैंग पैदा हो गए, जो भोली भाली जनता की नाक में दम करके रखा है।

आलम यह है कि जनपद में योगी सरकार बनने के बाद फरसा, त्रिशूल, चोटी, टांगी, राइडर, शिकारी, रफ्तार व चिंगारी गैंग बनी है और यह गैंग आए दिन किसी न किसी को अपना शिकार बनाते हैं। इन गैंगों की पुष्टि खुद बलिया पुलिस ने की है और सूचना देने वालों पर पांच हजार का इनाम भी रखा है।

इन गैंगों की क्रियाकलापों की बात करें तो ये सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर एकाउंट बनाकर गैंग की मॉनिटरिंग करते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है गैंग द्वारा इन एकाउंटों की इस तरह मानि​टरिंग की जाती है कि गैंग के सरगना का पता नहीं चलता है।

हालांकि इस गैंग के मेंबर दस से 20 ही होते हैं, जो समय—समय पर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए किसी को मारते—पीटते हैं, फिर उसका वीडिया बनाकर सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं। इन गैंगों को आपरेट करने वाले इतने शातिर होते हैं कि अपनी मौजूदगी का सिर्फ एहसास कराते हैं, लेकिन खुदको हमेशा पर्दे के पीछे रखते हैं।

…नहीं हुई कार्रवाई तो बन जाएगा गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश में गैंगवार की बात करें तो सबसे बदनाम और कुख्यात जिला गाजियाबाद है, जहां आज भी प्राय: सुनने को मिलता है कि इस गैंग ने उस गैंग को मारा। फला गैंग न फला गैंग को मारा। इस पर कई बॉलीवूड फिल्म से लेकर वेब सी​रिज भी बन चुकी है। अब लगभग लगभग वही चीज बलिया जनपद में भी होने लगी है। ऐसे में इन गैंगों पर जल्द से जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब बलिया भी गाजियाबाद का रूप अख्तियार कर लेगा।

ताजा—ताजा पैदा हुआ कड़ा गैंग
अभी बांसडीह में रोहित यादव राइडर गैंग द्वारा रोहित पांडेय की निर्मम हत्या का मामला शांत नहीं हुआ कि सिकंदपुर थाना क्षेत्र के माल्दह चौकी अंतर्गत हरनाटार गांव में बीती रात पार्टी में बुलाकर कड़ा गैंग वाले एक युवक को मारपीट कर लहूलुहान कर दिया। इसके तीमारदार की मानें तो यह नई गैंग है और किसी पर भी सिर्फ कड़ा से हमला करते हैं।

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बलिया में अस्पतालों का औचक निरीक्षण, 84 स्टॉफ मिले गैरहाजिर, DM के एक्शन से हड़कंप!

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बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपस्थिति जांचने के लिए सभी तहसील के एसडीएम/डिप्टी कलेक्टरों के माध्यम से जिले के दस सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कराया। इस दौरान कुल 18 डॉक्टर व 66 स्टॉफ ड्यूटी से ​गैरहाजिर मिले। इन सभी अनुपस्थित डॉक्टरों व कर्मचारियों को एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है। साथ ही यह भी कहा ​है कि सभी अस्पतालों में समय से उपस्थिति व बेहतर चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

निरीक्षण में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, काजीपुरा में तैनात कुल 12 कार्मिकों के सापेक्ष लैब टेक्निशियन फहीजुर्रहमान अंसारी ही उपस्थित मिले, जबकि चिकित्साधिकारी डॉ शैलेश कुमार व 10 कार्मिक गायब मिले। न्यू पीएचसी सागरपाली में तैनात 9 कार्मिकों में से 4 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बांसडीह में डॉ प्रणय कुनाल, डॉ यश्वी सिंह, डॉ प्रियदर्शन सिंह, डॉ बीरबहादुर सिंह चिकित्साधिकारी सहित कुल 18 कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेरूआरबारी में चिकित्साधिकारी डॉ एसके सिंह, डॉ पीडी शुक्ला, डॉ रामायण यादव सहित कुल 12 कार्मिक अनुपस्थित मिले।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनबरसा में डॉ जया पाठक, डॉ साल्टी कसेरा, डॉ राजेश कुमार, डॉ सुमन कुमार व वरिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव अनुपस्थित पाये गये। इसी प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मुरलीछपरा में बीएचडब्ल्यू अजय कुमार रावत, चीफ फार्मासिस्ट मनोहर प्रसाद व चतुर्थ श्रेणी कर्मी प्रेमशंकर यादव गायब मिले। सीएचसी खेजुरी में निरीक्षण के दौरान डॉ प्रशान्त व डॉ एएन शर्मा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बघुड़ी में डॉ चन्दन सिंह अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ककरासो के औचक निरीक्षण में चिकित्साधिकारी डॉ राकेश पाण्डेय सहित 10 कर्मी अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनाडीह में चिकित्साधिकारी डॉ रामाशीष, फार्मासिस्ट महेन्द्र पाल सिंह, एलटी मनीष कुमार यादव, एएनएम संगीता व धर्मेन्द्र सिंह व अजीत पाण्डेय अनुपस्थित थे।

उप जिलाधिकारी ने सीएचसी रसड़ा का निरीक्षण किया तो वहां चिकित्साधिकारी डॉ ऑमिर इम्तियाज, डॉ धर्मवीर सिंह, बीपीएम मिथिलेश गिरि, एसटीएस अभिमान मेहता व सुनील कुमार वर्मा, एलटी बृजेश कुमार, वार्ड बॉय मिथिलेश्वर त्रिपाठी, वीना सिंह, विपिन सिंह, मंगलदेव सिंह, विनय दुबे, राहुल सिंह अनुपस्थित पाये गये। सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारी एवं अन्य कार्मिकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है।

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