बलिया में ठेले पर मरीज को ले जाने का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। जहां एक ओर मामले में जांच के बाद 8 लोगों को दोषी ठहराया गया है। तो वहीं दूसरी ओर अब आरोपित अपनी अपने बचाव में जुट गए हैं। जिन्होंने प्रभारी सीएमएस के सामने अपना पक्ष रखा है। सभी आठों आरोपियों ने स्पष्टीकरण देकर खुद को निर्दोष बताया है। और इस मामले में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के हस्तक्षेप से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची है। दरअसल चिकित्सा एवं स्वास्थ्य आजमगढ़ के अपर निदेशक डॉ. पीके मिश्र की जांच के बाद डॉक्टर्स और कर्मचारियों सहित 8 लोगों को मामले में आरोपी बनाया है। लेकिन सभी आरोपी अब अपना बचाव कर रहे हैं।
शनिवार को सभी आरोपी प्रभारी सीएमएस डॉ, आरडी राम के पास पहुंचे। और स्पष्टीकरण देकर खुद को निर्दोष बताया। बता दें चिलकहर ब्लॉक के अंदौर गांव में एक बुजुर्ग को अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली थी। ऐसे में लाचार बुजुर्ग अपनी पत्नी को ठेले पर लादकर पहले तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा जहां से मरीज को जिला अस्पताल को रेफर कर दिया लेकिन एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की। जिसके बाद बुजुर्ग अपनी बीमार पत्नी को रोड तक ठेले पर ही ले गया। और फिर टेंपो कर जिला अस्पताल पहुंचा लेकिन तब तक उसकी पत्नी की मौत हो चुकी थी।
वहीं मामले में पहले तो CMO डॉ. नीरज ने डॉक्टर्स और कर्मचारियों का बचाव करते हुए अपनी रिपोर्ट भेजी थी जिसे चिकित्सा व स्वास्थ्य निदेशक देवब्रत सिंह ने आपत्ति जताकर रद्द कर दिया था और फिर मामले में फिर से गंभीरता से जांच कराई गई और 8 लोगों को आरोपी बनाया गया। 3 डॉक्टर और 5 कर्मचारियों पर आरोप तय किया गया। प्रथामिक स्वास्थ्य केंद्र चिलकहर के डॉ. प्रशांत व फार्मासिस्ट राजेश पर लापरवाही का आरोप लगा। जिन्होने जिला अस्पताल रेफर करते वक्त एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कराई। जिला अस्पताल में महिला की मौत के बाद शव वाहन की व्यवस्था नहीं करने पर शव वाहन प्रभारी डॉ. विनेश कुमार, इंमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. अनुराग सिंह, चीफ
फार्मासिस्ट अमरनाथ और उमेश उपाध्याय, वार्ड ब्वाय राकेश कुमार वर्मा के साथ ही सफाईकर्मी राजकुमार रावत के खिलाफ लापरवाही बरतने का आरोप लगा है। वहीं बताया जा रहा है कि यह मामला नहीं है कि जब एंबलुेंस नहीं मिलने से इलाज में देरी हुई हो ऐसा कई बार हुआ है जब किसी ना किसी लापरवाही की वजह से मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ा तो यहां तक जान भी गवानी पड़ी हो हालांकि अब देखना होगा कि स्वास्थ विभाग मामले में क्या कुछ कार्रवाई करता है।
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