बलिया डेस्क : डिजिटल इंडिया में अभी भी कई ऐसे सरकारी कामकाज हैं, जिन्हें ऑनलाइन नहीं किया गया है। ऐसा ही एक काम खसरे का है, जिसे राजस्व विभाग ने अभी तक ऑनलाइन नहीं किया है। जिसका खामियाज़ा किसानों को सीधे तौर पर भुगतना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक, बलिया के बैरिया में किसानों द्वारा हर मौसम में बोई जाने वाली फसलों का रिकॉर्ड राजस्व विभाग के पास नहीं है। जिसके चलते किसानों को हर फसल पर लोन नहीं मिल पाता। किसानों का मानना है कि अगर खसरे की प्रक्रिया को राजस्व विभाग ऑनलाइन कर दे तो फसलों का रिकॉर्ड असानी से रखा जा सकता है।
दरअसल, खसरा में लेखपाल हर तीन साल पर भूमि पर बोई जाने वाली फसलों की पड़ताल कर उसका रिकॉर्ड दर्ज करते हैं। उसमें सिंचित असिंचित फसलों के साथ अन्य बोई जाने वाली फसलों को दर्ज किया जाता है। बैरिया के किसानों ने खसरा दर्ज करने वाले लेखपालों पर आरोप लगाते हुए कहा कि खेतों की पड़ताल किए बिना ही लेखपाल घर बैठे जांच पूरी कर लेते हैं।
पिछली दर्ज सूचना के आधार पर ही लेखपालों द्वारा ये जांच पूरी की जाती है। जिससे किसानों को फसल के लिए लोन लेते समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिस फसल के लए लेना हो अगर वह खसरा में दर्ज नहीं है तो लोन नहीं मिलता है।
किसानों की मांग है कि खसरा को भी आनलाइन कर देना चाहिए, जिससे प्रत्येक वर्ष प्रत्येक मौसम में बोई जाने वाली फसलों का रिकॉर्ड आसानी से रखा जा सके।
अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में किसानों का इसका भरपूर लाभ मिल सकता है। वहीं खसरा भी पूर्ण मिलेगा। बता दें कि राजस्व विभाग में खसरा के सिवा सारे कामकाज ऑलनाइन ही होते हैं। खैतानी से लेकर ज़मीन की खरीद-बिक्री और न्यायालयों में वाद का निबटारा तक ऑनलाइन किया जाता है। ऐसे में खसरा को ऑनलाइन न किया जाना किसानों के प्रति विभाग के रवैये को कटघरे में खड़ा करता है।
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