बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की इमारतों के निर्माण पर NGT ने रोक लगा दी है। इमारतों का निर्माण सुरहाताल पक्षी बिहार के ईओ सेंसेटिव जोन में पाए जाने पर रोक लगाई गई है।
कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के निर्देशित किया है कि आगे कोई निर्माण न कराएंं। विश्वविद्यालय को सुनवाई के लिए पेश होने को कहा गया है। फिलहाल निर्माण पर रोक लगने से संबंधित सभी अधिकारियों के साथ ही कार्यदायी संस्था की सांसें अटकी हुई हैं।
बता दें कि जनपद में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए बसंतपुर में सुरहाताल पक्षी बिहार के पास लगभग 51 एकड़ भूमि भूमि दी गई थी। विश्वविद्यालय के भवन का निर्माण पहले फेज में 92.39 करोड़ रुपये की धनराशि से किया जा रहा है। इसके लिए 35 करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी हो चुकी है। इसमें 15 करोड़ रुपये की पहली किस्त से निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है।
पहले फेज में प्रशासनिक भवन, एकेडमिक भवन और लाइब्रेरी का निर्माण किया जा रहा है। दूसरी किस्त का इंतजार किया जा रहा है। वहीं निर्माण कार्य को लेकर सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के सरनी निवासी धर्मेंद्र सिंह ने शिकायत की। उन्होंने कहा कि सुरहाताल जयप्रकाश नारायण पक्षी विहार घोषित है। इसके अनुसार, सुरहाताल के चारों तरफ का एक किमी का क्षेत्र संरक्षित है। जेएनसीयू के निर्माणाधीन भवन को इस परिधि के भीतर बताया था।
इसके बाद आनन-फानन में NGT ने वन विभाग की ओर से निर्माण वाली भूमि को सुरहा ताल पक्षी बिहार से अलग कर दिया था। इससे साफ है कि विवि का निर्माण शुरू करने से पहले इन बारीकियों पर ध्यान नहीं दिया गया। ये अब विवि के निर्माण पर ही भारी पड़ने लगा है। एनजीटी ने जिलाधिकारी बलिया, एसपी बलिया एवं वन मंडल पदाधिकारी काशी वन्य जीव खंड रामनगर को निर्देशित किया कि एक माह के भीतर ईको सेंसिटिव जोन क्षेत्र का सीमांकन कराएं। अतिक्रमण चिन्हित कर अतिक्रमण हटाने के लिए उचित कार्रवाई करें।
मामले में एनजीटी ने सुनवाई करते हुए विद्यालय की कुलपति को नोटिस जारी कर दो माह के भीतर जवाब मांगा था। सत्यापन के लिए समिति गठित की थी। समिति की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट पर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। समिति से पूछा था कि इमारतें ईओ सेंसेटिव जोन में है कि नहीं।
प्रभागीय वनाधिकारी काशी वन्य जीव प्रभाग रामनगर दिनेश सिंह, जिला वेटलैंट कमेटी बलिया के सदस्य वीके आनंद की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया कि इमारते ईओ सेंसेटिव जोन में हैं।
इसके बाद ट्रिब्यूनल की ओर से जेएनसीयू के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वह सुरहा ताल पक्षी बिहार की सीमा से एक किलोमीटर के इको सेंसिटिव जोन के भीतर आने वाली भूमि के किसी भी हिस्से पर आगे कोई निर्माण न करें।