एक तरफ जहाँ देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाके में मु’स्लि’म महिलायें नागरिकता क़ानू’न के विरोध में लगातार आवाज़ बुलंद कर रही हैं, वहीँ दूसरी तरफ यूपी के कानपुर में भी एक और शाहीन बाग़ बना हुआ है. चमनगंज. यह इलाका मुस्लिम बाहुल्य है. यहाँ के मुहम्मद अली पार्क में नागरिकता कानून के खि’लाफ आवाज़ उठ रही है. यहाँ भी महिलाओं ने मोर्चा खोला हुआ है सर’कार के इस काले कानू’न के खिला’फ. जैसा कि शाहीन बाग़ में हो रहा है,
कुछ वैसा ही नज़ारा यहाँ का भी है. बढ़ी तादाद में महिलायें यहाँ रोज़ आती हैं. हाथों में माइक लेकर नज़्म पढ़ती हैं और मुखालफत की आवाज़ बुलंद करती हैं. बारिश हो या फिर ज़बरदस्त ठण्ड, यहाँ की औरतों का हौसले के आगे कुछ नहीं दिखता. हर रोज़ आकर यहाँ की महिलायें इंकलाबी भाषण से लोगों में हौसला भर देती हैं. नमाज़ के वक़्त नमाज़ भी पढ़ी जाती है. एक दूसरे का ख्याल रखा जाता है. इस तरह यहाँ का अनिश्चितकालीन धरना आगे बढ़ रहा है.
आपको बता दें कि बीते दिनों कानपुर में प्रदर्शन के दौरान हुई हिं’सा में तीन लोगों की मौ’त हो गयी थी, जिसके बाद पुलि’स का दमकारी रवैया देखने को मिला. सैकड़ों लोगों को उपद्रवी बता दिया गया और मुक़दमे लाड दिए गए. लेकिन इन सब के बाद भी इनकी हिम्मत में कोई कमी नहीं आई और पहले कहीं ज्यादा जोश खरोश के साथ महिलाओं ने घर से निकलकर आगे बढ़ने का फैसला किया है.
यह नज़ारा देखना अपने आप में किसी सपने से कम नहीं है. शायद ही किसी ने उम्मीद की होगी कि जो महिलायें घरों में रहा करती थी और जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी में कभी भी किसी तरफ के विरोध प्रदर्शन या फिर फिर धरने में हिस्सा नहीं लिया, अब वही महिलाएं सड़कों पर हैं और सविंधान बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं.
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