बलिया। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में जिला सूचना अधिकारी अनुराग रंजन की अध्यक्षता में रविवार को जिला सूचना कार्यालय के सभागार में धूमधाम मनाया गया। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए श्री अनुराग रंजन ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे थे। इस दौरान आजादी की लड़ाई जोर पकड़ रही तो पटेल भी महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में कुद पड़े।
स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में मिलाकर एक भारत राष्ट्र का निर्माण कराया।बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की थी।
किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे। इसी वजह से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। इस अवसर पर अपर जिला सूचना अधिकारी श्री मान सिंह यादव, फजलुर्रहमान, देशदीपक यादव, अरुण कुमार, रामआसरे चौहान एवं पत्रकारगण उपस्थित रहे।
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