बलिया : कानून-व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार को घेरने वाली बीजेपी जब सत्ता में आई तो लोगों को उम्मीद थी कि कम के कम प्रदेश की कानून व्यवस्था में कुछ तो सुधार होगा. लेकिन योगी सरकार ने लोगों को निराश ही किया है. आपको शायद जानकर हैरानी होगी की बलिया जनपद की बिल्थरारोड तहसील के 107 गांव और बिल्थरारोड शहर की सुरक्षा सिर्फ़ होमगार्ड के भरोसे है. उभांव थाना और शहर के सीयर पुलिस चौकी पर स्टाफ की कमी है, यहां ना तो ज़रूरत के मुताबिक सिपाही हैं ना ही दारोगा.
बात करें उभांव थाने की तो वो अंग्रेज़ों के ज़माने की बिल्डिंग में चल रहा है. जिसमें ना तो बैरक है ना ही मालखाना. इतना ही नहीं आरक्षी-दारोगा के आवास भी नहीं हैं. बिल्डिंग की हालत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया सकता है कि थाने में बाउंड्री वॉल भी नहीं है. बारिश के मौसम में थाने की हालत और बदहाल हो जाती है क्योंकि बारिश के बाद यहां अकसर सांप निकल आते हैं. संगीनों के साए के साथ यहां का स्टाफ सांपों की दहशत में काम करता है.
107 गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले उभांव थाना की सुरक्षा को नगर को छोड़ चार हल्का क्षेत्र में बांटा गया है. लेकिन इसकी जिम्मेदारी को महज दो दारोगा हैं. एक अन्य एसआइ था जिसका ट्रांसफर गड़वार हो चुका है। जहां इंस्पेक्टर के अलावा कम से कम चार एसआइ होने चाहिए वहां सिर्फ दो दरोगा के भरोसे ही काम चलाया जा रहा है. इसी तरह सिपाहियों की संख्या भी काफी कम है. 150 सिपाहियों के बदले यहां सिर्फ़ 31 सिपाही ही तैनात हैं। सिपाहियों की जगह 48 होमगार्ड से ही बैंक ड्यूटी से इलाके की निगरानी तक का काम कराया जा रहा है.
थाने पर एक नया प्रशासनिक भवन का निर्माण तो हुआ है लेकिन थाने में बैरक नहीं होने की वह से इस भवन को बैरक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. थाने पर महिला कांस्टेबल आवास, गेस्ट रूम और मालखाना व एसआई आवास तो बना ही नहीं है। थाना परिसर में चार आरक्षी आवास व एक हेड कांस्टेबल का आवास तो बना है लेकिन इंस्पेक्टर आवास का निर्माण थाना परिसर के भूमि विवाद की वजह से अटक गया.
अब बात करते हैं सीयर की पुलिस चौकी की जो किराए के खस्ताहाल मकान से संचालित हो रही है. करीब 48 हजार की आबादी की निगरानी के लिए एक चौकी इंचार्ज के अलावा महज दो सिपाही, दो हेड कांस्टेबल, एक एचसीपी (हेड कांस्टेबल प्रमोटेड) ही तैनात हैं। जिनके बूते नगर स्थित करीब 11 बैंक, अस्पताल, रेलवे चौराहा, जाम, सराफा मंडी व नई कालोनी समेत नगर की निगरानी एवं तत्कालिक घटनाओं को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी होती है।
हालांकि यहां तैनात पुलिस अधिकारियों का दावा है कि इतना कम स्टाफ होने के बावजूद इलाके की सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद है. अपराधियों के साथ संवेदनशील स्थानों पर पैनी नज़र रखी जाती है. अधिकारी कहते हैं कि खस्ताहाल हो चुके भवन और बाउंड्री वॉल के लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है. हालांकि सवाल यही है कि पुलिस की कमी से जूझते बिल्थरारोड और 107 गांव में हमेशा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर डर बना रहता है. पुलिस कर्मियों पर भी काम का दवाब है और स्थानीय निवासियों में भी डर बना रहता है.