बलिया डेस्क : पत्रकार रतन सिंह हत्याकांड पर आंदोलनरत पत्रकारों के सामने पूरे दिन प्रशासन हांफता रहा। फेफना में बीती रात करीब पौने नौ बजे रतन सिंह की हत्या हुई और उसके आधे घंटे बाद मुख्यालय से पत्रकार चल पड़े। घटना स्थल के सामने मुख्य सड़क पर पत्रकार धरने पर बैठ गए। करीब एक बजे रात तक पत्रकार न्याय की मांग करते रहे। वहीं एसपी देवेंद्र नाथ हाथ जोड़कर पत्रकारों को मनाने में मशक्कत करते रहे। जैसे ही इसकी जानकारी आसपास के लोगों को हुई, वे भी चल पड़े।
मामला किसी तरीके से शांत हुआ और पुलिस के जवान प्रधान के दरवाजे से रतन सिंह के शव को लेकर जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस पर रात 11 बजे पहुंचे, उधर पत्रकार आंदोलनरत रहे। सुबह के समय फिर एक बार जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के सामने पत्रकारों की जमघट होने लगी।
जिलेभर के पत्रकार पोस्टमार्टम हाउस पर काफी देरतक बैठे रहे। वहीं मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल सरकार के प्रतिनिधि के रूप में वहां पहुंचे हुए थे। आक्रोशित पत्रकारों ने अपने साथी पत्रकार की मौत पर आंसू बहाते रहे और परिवार के लिए एक सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपये की मांग करते रहे। इस पर मंत्री ने कहा कि मैं प्रयास कर रहा हूं कि मांग पूरी हो। लेकिन पत्रकार अपने साथी के शव के साथ फेफना पहुंचे।
जैसे ही शव रतन सिंह के दरवाजे पर घर पहुंचा तो कोहराम मच गया और पत्रकार फेफना-रसड़ा मार्ग पर चार घंटे तक धरना पर बैठे रहे। वहीं दूसरी ओर एसपी देवेंद्र नाथ अपने मातहतों के साथ रतन सिंह के परिवार के सामने हाथ जोड़कर आंदोलन को समाप्त कराने की विनती करते रहे। वहीं दूसरी ओर अपर पुलिस अधीक्षक, अपर जिलाधिकारी सहित एक दर्जन थाने की फोर्स लगी रही। उधर विभिन्न राजनैतिक दल के नेताओं ने भी पत्रकारों के सम्मान में उनके साथ धरना पर बैठ गए।
जब एडीएम के प्रति लोग हुए आक्रोशित – हुआ यूं कि अपर जिलाधिकारी रामआसरे व अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार सरकार का संदेश लेकर पत्रकारों के धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार ने आपकी मांग मान ली है। दस लाख राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई है और एक नौकरी भी देने का वादा किया है। इस पर पत्रकारों ने लिखित रूप से मांगा तब एडीएम नहीं दे पाए और पत्रकारों व परिजनों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया और एडीएम को वहां से हटना पड़ा।
फिर प्रशासन ने दूसरी चाल चली, उस चाल में ये हुआ कि रतन सिंह के पिता से मंत्री उपेंद्र तिवारी की वार्ता हुई कि सीएम साहब से बात नहीं हो पा रही है। जिसके चलते हमारी बात नहीं हो पा रही है, लेकिन हम आश्वासन देते हैं कि मुख्यमंत्री से रतन सिंह के परिवार को मिलाकर उनकी जो भी जायज मांग है, पूरी कराई जाएगी। एडीएम, एएसपी व एसडीएम तीनों अधिकारी रतन सिंह के पिता को लेकर पत्रकारों के धरना स्थल पर पहुंचे।
रतन सिंह का पिता रोते हुए उनको यह कहना पड़ा कि आप लोग धरना समाप्त कर दीजिए। सरकार ने 15 लाख रुपये व संविदा पर नौकरी देने का वादा किया है। हम इससे संतुष्ट नहीं है, लेकिन आपकी जो मांग है उसको मंत्री जी पूरा कराएंगे। उसके लिए हम लोग मुख्यमंत्री से मिलेंगे। इसके बाद धरना समाप्त हुआ और प्रशासन ने राहत की सांस ली।
डीआईजी के बयान पर भड़के पत्रकार – पत्रकार रतन सिंह की हत्या के मामले में डीआईजी ने उनकी हत्या के पीछे पत्रकारिता नहीं बल्कि पुरानी रंजिश बताया। डीआईजी के इस बयान पर पत्रकार आक्रोशित हो गए और डीआईजी के बयान निंदा करने लगे। पत्रकारों ने एसपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बलिया के एसपी ने जिस तरीके से तथ्यों को छिपाकर डीआईजी को बरगलाने का काम किया है, डीआईजी भी वही राग अलापने लगे।
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