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बलिया- आरटीआई के तहत जवाब न देना डीआईओएस को पड़ा महँगा, राज्यपाल ने लगाया जुर्माना

बलिया डेस्क :  जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआई) का उद्देश्य यही था कि भ्रष्टाचार पर लगाम कसे और जनता की चीज जनता के सामने ओपन रहे। इसके लिए बकायदा आयोग का भी गठन हुआ, लेकिन आज आपको जानकार हैरानी होगी कि आयोग खुद ही सवालों के घेरे में है।

उप्र के राज्य सूचना आयोग को जब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने फटकार लगाई, तब जाकर राज्य सूचना आयोग ने बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक पर २5 हजार  रूपए का अर्थदंड लगाया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बांसडीह निवासी चांदजी सिंह विगत 15 मई 2017 को आरटीआई डालकर तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक से बांसडीह हायर सेकेंड्री स्कूल बांसडीह की प्रबंधकारी समिति और साधारण सभा के सदस्यों की नवगठित सूची मांगी थी।

नियम के तहत सूचना एक महीने के अंदर ही उपलब्ध हो जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चांदजी सिंह एक बार फिर उम्मीद लिए दिनांक नौ जुलाई 2107 को आर  टीआई डाले। इस बार भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद चांद जी लगातार राज्य सूचना आयोग का चक्कर लगाने लगे। लेकिन तीन वर्षों तक उन्हें दौडऩा पड़ा, थक हार के जब इन्हें आयोग से भी न्याय नहीं मिला तो उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से गुहार लगाई, तब जाकर चांदजी सिंह की सुनवाई हुई।

फिर भी आयोग अभी तक जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया को बचाने में लगा हुआ है। राज्यपाल की फटकार के बाद आयोग ने बलिया डीआईओएस के खिलाफ 25 हजार रूपए का अर्थदंड तो लगाया, लेकिन सूचना देने के संदर्भ में अपने लेटर में एक लाइन भी जिक्र नहीं किया। ऐसे में देखा जाए राज्य पाल के निर्देश को भी आयोग ने हल्के में लिया।

30 रातें गुजारी रेलवे प्लेटफार्म पर
आवेदक चांदजी सिंह ने बलिया खबर से बात करते हुए अपना दु:खड़ा सुनाया है। उन्होंने कहा मैं बीते तीन वर्षों से चक्कर काट रहा हूं। कहीं भी मुझे न्याय नहीं मिला। अब उम्मीद जगी है लेकिन भ्रष्टाचार में संलिप्त आयोग अभी भी बलिया डीआईओएस को बचाने में लगे हैं और खुदको चेन में शामिल किए हुए हैं।

बताया कि आयोग ने डीआईओएस पर राज्यपाल के दबाव में सिर्फ अर्थदंड लगाया, लेकिन सूचना उपलब्ध कराने की दिशा में कुछ नहीं किया। कहा कि आज वह तीन साल दौड़ रहे हैं। लखनऊ में तीन साल में तीस रातें बस इसी सूचना के लिए रेलवे स्टेशन में गुजारे। अब जाकर थोड़ी सी आस जगी है लेकिन अभी भी आयोग की मंशा साफ नहीं है।

उन्होंने महामहिम से एक बार फिर अपील किया कि आयोग में बैठे ऐसे अयोग्य अधिकारी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि आरटीआई कानून मजबूत हो सकें और जनता को उसका अधिकार मिले।

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