बैरिया डेस्क : स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से क्षेत्र में फर्जी पैथोलाजी लैब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। क्षेत्र में डाक्टरों के क्लीनिक व नर्सिंग होम के आस-पास कुकुरमुत्ते की तरह उपजे पैथोलाजी लैबों में जहां एक तरफ मरीजों का आर्थिक शोषण होता है, वहीं उनके द्वारा किए गए जांच की गलत रिपोर्ट होने से मरीजों को इसका खामियाजा भूगतना पड़ता है।
केवल द्वाबा में लगभग चार दर्जन से अधिक पैथोलाजी लैब संचालित हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि क्षेत्र में एक भी पैथोलाजी पर रजिस्टर्ड पैथोलाजिस्ट नही है। इसके अलावा जो पैथोलजी लैब हैं, उनका देखरेख अप्रशिक्षित हाथों में है। वही, कुछ लैब टेक्निशियनों द्वारा भी पैथोलाजी लैब चलाए जा रहे हैं।
जिले में ऐसे पैथोलाजी लैबों की संख्या काफी अधिक हैं। केवल बैरिया व रानीगंज में ही दर्जनों ऐसे लैब संचालित हैं, जिन पर कहीं कोई साइन बोर्ड तक नहीं लगा है। ये डाक्टरों के पास कार्यरत स्टाफ की मिलीभगत से मरीज को लैब तक लाते हैं। क्षेत्र में कुछ ऐसे पैथोलाजी लैब व अल्ट्रासाउंड भी चल रहे हैं, जो किसी ऐसे डाक्टर के नाम पर रजिस्टर्ड है जो यहां रहते तक नहीं है।
उन लैबों में नौसिखिए खून निकाल रहे हैं। जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट भी बनाकर दे रहे हैं। इतना ही नहीं, उस रिपोर्ट पर किसी डाक्टर का हस्ताक्षर ले लेते हैं। ये डाक्टर कौन होता है, कोई नहीं जानता।
वहीँ इस पुरे मामले पर वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. एनके सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा दिए गए गाइडलाइन के अनुसार ही पैथोलाजी लैब का संचालन हो सकता है। किसी भी प्रकार की होने वाली जांच सिर्फ एमडी पैथोलाजी ही कर सकते हैं। बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित पैथोलाजी लैबों पर जल्द ही कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जायेगा।
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