बलिया। विकास खंड हनुमागंज में मनरेगा के नाम पर फर्जी मजदूरी लेने का मामला उजागर हुआ है। जहां पकड़ी गांव में 34 ऐसे लोग हैं, जो अन्य व्यवसाय से जुड़े होने के साथ-साथ बतौर मनरेगा मजदूर भुगतान ले रहे हैं। इन्हें पंचायत अब तक दो लाख 11 हजार बतौर पारिश्रमिक भुगतान कर चुकी है। अब इसका प्रस्ताव बनाकर ब्लॉक को रिकवरी के लिए भेजा जाएगा।
बता दें पकड़ी गांव के पंचायत भवन में बुधवार को हुई बैठक में मनरेगा के तहत हुए कार्यों में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया। मनरेगा की ब्लॉक आडिट कोआर्डिनेटर के पूनम मौर्या के नेतृत्व में पहुंची टीम ने जब मनरेगा के कार्यों व मजदूरों का सत्यापन करना शुरू किया तो 34 फर्जी मजदूरों का नाम उजागर हुआ। जांच में मामला सामने आने पर ऑडिट टीम ने कड़ी नाराजगी जताई और सभी 34 मनरेगा मजदूरों से रिकवरी करने का निर्देश दिया।
ऐसे हुआ खुलासा- बैठक में ऑडिट टीम ने ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत होने वाले मिट्टी कार्य, पोखरा खुदाई, पौधरोपण और पंचायत भवन का जो कार्य ग्राम पंचायत ने कराया है, उसकी लागत और कार्य करने वाले मजदूरों का नाम पढ़कर सुनाया। इस दौरान ग्रामीणों ने बताया कि कौन मजदूर मौके पर कार्य किए हैं कौन नहीं किए हैं। उसके बावजूद भी भुगतान हो गया है।
प्रधान पर गंभीर आरोप- खुली बैठक में ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधान ने अपने करीबी दर्जनभर लोगों का नाम भी मनरेगा की सूची में डाल रखा है, जो बाहर रह कर प्राइवेट कंपनियों में काम करते हैं। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रधान चिंता देवी, प्रतिनिधि राजकुमार यादव, ओंकार नाथ यादव, माया शंकर राय, अवधेश मिश्रा, रामायण यादव, सीमा सिंह, दुर्गेश सिंह आदि मौजूद रहे।
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