बलिया डेस्क : उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में बेशक योगी सरकार ने प्रदेश के 14 जिलों में एम्स और मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा की है, लेकिन सूची से बलिया का नाम हटाकर बलिया की जनता को धोखा दिया है।
यहां के पांच सांसद, दो मंत्री और तीन-तीन विधायक मिलकर भी बलिया को न तो एम्स दिला पा रहे हैं और न ही मेडिकल कॉलेज । यही नहीं पूर्वंचल एक्सप्रेस-वे को भी बलिया से नहीं जोड़ पाए, जो इन जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान है।
यह वही धरती जिसने देश के प्रधानमंत्री के रूप में चंद्रशेखर को दिया, अंग्रेजी हुकूमत को उखार फेंकने के लिए 1857 के नायक शहीद मंगल पांडेय को जन्म दिया। बात करें 1942 की क्रांति की तो बलिया को सबसे पहले आजादी मिली। साहित्य के क्षेत्र में बात करें तो पंडित हजार प्रसाद द्विवेदी, आचार्य परशुराम चतुर्वेदी जैसे महान विभूतियों को जन्म दिया।
इसके बावजूद भी बलिया को विकास के नक्शे से अलग करना बलिया के साथ बहुत बड़ी नांइसाफी है। इस सवाल पर विपक्ष के नेताओं ने न सिर्फ योगी कोसा बल्कि यहां के जनप्रतिनिधियों से भी इस्तीफा मांगा। इसी पर पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी ने करारा हमला बोलते हुए कहा कि बलिया के प्रति योगी सरकार हमेशा सौतेला व्यवहार करती रही है।
आसपास के जिलों में मेडिकल कालेज दिया, लेकिन बलिया को अछूता रखा, यह बलिया के लिए दुर्भाग्य है। जबकि बलिया कोरोना से पूरी तरह से प्रभावित रहा। लोगों को तरह-तरह की परेशानियां उठानी पड़ी। सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि एल-2 लेवल का अस्पताल पूरे बलिया में नहीं बना।
एल-1का अस्पताल तो बना लेकिन उसमें सुविधा न के बराबर पर थी। अफसोस इस बात का है कि बलिया में विधानसभा, राज्यसभा व लोकसभा के प्रतिनिधि है, लेकिन उनके साथ भी अनदेखी की जा रही है। चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, लेकिन सरकार ने उस विश्वविद्यालय को चलाने के लिए न तो कोई फंड दिया और न ही कोई नियुक्ति की।
वहीँ पूर्व मंत्री नारद राय ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि मैं पहले से भी कहते आ रहा हूं कि भाजपा सरकार में बलिया उनके नक्शे से बाहर है। विकास, कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल है। व्यापार चौपट होता जा रहा है। ऐसा महसूस होता है कि ये सरकार बलिया को उत्तर प्रदेश से बाहर मानकर चल रही है।
इस सरकार में शुरू से ही बलिया विकास से अछूता रहा और यहां के भाजपा के जनप्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री के सामने बोलने का माद्दा तक नहीं है। मुख्यमंत्री ने १४ जनपदों में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्राथमिकता पर रखा, लेकिन बलिया को विकास के नक्शे से अलग रखा। यह सबसे बड़ी विडंबना है।
इस मामले पर रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बलिया में एम्स और मेडिकल कालेज बहुत जरूरी है। ऐसे में पूर्वांचल के कुछ जनपदों को मेडिकल कालेज एम्स देना और बलिया को विकास से अछूता रखना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है। ऐसी स्थिति में यहां के जनप्रतिनिधियों को इस्तीफा दे देना चाहिए।
उनकी जवाबदेही बनती है कि वे अपनी बात दमदारी अपने मुखिया के यहां रखे। जबकि अन्य जनपदों के जनप्रतिनिधि अपनी बात को दमदारी से रखकर अपने जनपदों में विकास को एक नया आयाम दे रहे हैं। लेकिन बलिया के जनप्रतिनिधि ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
चयन प्रक्रिया में बलिया को क्यों नहीं रखा गया, इस सवाल पर वे विधानसभा में बात रखने की बात कही। एक सवाल के जवाब में कहा कि झूठ बोल रहे हैं वे लोग जो कह रह है कि जमीन नहीं मिल रही है। रसड़ा में कताई मिल बंद है, साठ एकड़ जमीन पड़ी है अगर उसमें भी उनका काम नहीं चल पा रही है। मैं रसड़ा सिटी में ३० एकड़ जमीन फ्री में दे दूंगा।
नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने भी कहा की बलिया में एम्स और मेडिकल कालेज की सख्त जरूरत है। जिले की आबादी ४० लाख होने के बाद भी बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था न होना यह आम लोगों के जीवन के साथ सरकार खिलवार कर रही है। अन्य जनपदों में एम्स व मेडिकल कालेज की घोषणा करना उसको मजूरी देना और बलिया को अछूता रखना यह बलिया की जनता के साथ खिलवाड़ है। कहा कि अखिलेश यादव ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण जब शुरू कराया तो किसानों को दस गुना अधिक रेट देकर जमीनें खरीदने का काम किया।
क्या योगी सरकार बलिया में एम्स और मेडिकल कालेज के निर्माण के लिए किसानों की जमीन नहीं खरीद सकती। उनको मुआवजा दें बलिया में जमीन की कमी नहीं पड़ेगी। ये सरकार घोषणा और विज्ञापनों के सहारे चल रही है।
अखिलेश यादव ने राय बरेली और गोरखपुर में एम्स और मेडिकल कालेज के जमीनें खरीदी, लेकिन योगी सरकार बलिया को प्राथमिकता में न रखकर ठेंगा दिखाने का काम किया। लेकिन हम लोग चुप नहीं बैठेंगे और बलिया के विकास के लिए हमेशा लड़ते रहे और लड़ते रहेंगे।
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