केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पैन को आधार से जोड़ने की समयसीमा को बढ़ाकर 30 जून कर दिया है। कर विभाग के नीति बनाने वाले निकाय ने इस समयसीमा को बढ़ाने का आदेश जारी किया है। अभी तक यह समयसीमा 31 मार्च थी। आदेश में कहा गया है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए पैन- आधार को जोड़ने की समयसीमा बढ़ाई जा रही है। समझा जाता है कि सीबीडीटी का ताजा आदेश उच्चतम न्यायालय के इसी महीने आए आदेश के मद्देनजर आया है।
उच्चतम न्यायालय ने आधार को विभिन्न अन्य सेवाओं से जोड़ने की 31 मार्च की समयसीमा को बढ़ाने का आदेश दिया था। यह चौथा मौका है जबकि सरकार ने लोगों को अपनी स्थायी खाता संख्या (पैन) को बायोमीट्रिक पहचान आधार से जोड़ने की समयसीमा बढ़ाई है। सरकार ने आयकर रिटर्न दाखिल करने और नया पैन लेने के लिए आधार नंबर को देना अनिवार्य कर दिया है।
मंगलवार को ही उच्चतम न्यायलय ने उन कल्याणकारी योजनाओं के साथ आधार जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च से आगे बढ़ाने के लिये कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इंकार कर दिया जिनके लिये समेकित कोष से नागरिकों को लाभ दिया जाता है। शीर्ष अदालत ने 13 मार्च को बैंक खातों और मोबाइल फोन नंबरों को आधार से जोड़ने की समय सीमा31 मार्च से अनिश्चितकाल के लिये बढ़ा दी थी। हालांकि पीठ ने सरकार और उसकी एजेन्सियों को इस कोष से वित्त पोषित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने वाले लाभार्थियों के12 अंकों वाली बायोमेट्रिक पहचान संख्या को जोड़ने की अनुमति दे दी थी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय भूषण पाण्डे ने आज अपना पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन पूरा किया और दावा किया कि बायोमेट्रिक सहित संरक्षित आंकड़ों को कूट भाषा से सरल भाषा में लाने में सदियां लग जायेंगी। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं। इसके बाद, सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च से आगे बढ़ाने की अनुमति देने का अनुरोध किया।
इस प्रजेन्टेशन में मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने दावा किया था कि सरकारी प्रणाली में आधार के सत्यापन की सफलता 88 फीसदी है। इसी तर्क के सहारे आधार योजना का विरोध कर रहे एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के वी विश्वनाथ ने कहा कि इसका मतलब तो यह हुआ कि 12 प्रतिशत लोग आधार से जुड़ी योजनाओं के लाभ से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह करीब 14 करोड़ नागरिक इस लाभ से वंचित रहेंगे।
विश्वनाथ ने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं की 31 मार्च की समय सीमा बढ़ाने के लिये भी अंतिरम आदेश की आवश्यकता है। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इसका जोरदार विरोध करते हुये कहा कि किसी को भी इससे बाहर नहीं किया गया है।ऐसा एक भी मामला नहीं है जिसमें आधार नही होने के कारण किसी को इन लाभों से वंचित किया गया हो।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘ हम इस समय कोई आदेश नहीं देंगे।’’ पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अपना जवाब देते समय इस पहलू पर बहस कर सकते हैं। आधार और इससे संबंधित कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब तीन अप्रैल् को सुनवाई होगी जब अटार्नी जनरल आगे बहस शुरू करेंगे।
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