बलिया डेस्क : इस वक़्त पूरे देश में एक तरफ़ जहाँ भारत सरकार द्वारा लाए गाए तीन कृषि क़ानून पर बात हो रही है तो दूसरी तरफ़ किसान आंदोलन की भी चर्चा में है. ऐसे किसान संगठनों और विपक्षी पार्टियाँ इसकी मुख़ालफ़त कर रही हैं. इस बीच आज विधानपरिषद में कृषि क़ानून के फ़ायदे गिनाए और बलिया के एक गाजर वाले का उदाहरण दिया. सीएम योगी ने नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी को आड़े हाथों लेते हुए बलिया के हलवाई का ज़िक्र किया.
दरअसल इस हलवाई की दुकान बलिया के बांसडीह विधानसभा क्षेत्र के सहतवार कस्बे में स्थित है. उन्होंने रामरतन के काला गाजर के हलवा के जरिए कृषि क़ानून का बचाव किया. उन्होंने बताया कि रामरतन हलवा वाले कांट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसानों से फायदा लेते हैं. उन्होंने आगे बताया कि इससे उन किसानों के खेत का मालिकाना हक नहीं छीन गया है.
कौन हैं रामरतन?
रामरतन के गाजर के हलवा की दुकान 100 वर्ष से अधिक पुरानी है. हालाँकि रामरतन का निधन हुए 60 साल ज़्यादा हो गया है लेकिन इस नाम से यह दुकान दूसरी तीसरी पीढ़ी चला रही है. रामरतन के जमाने में दुकान खपरैल में थी, अब पक्का निर्माण हो चुका है.
मूल दुकान अब भी सहतवार बाजार में है. जबकि बाजार के अन्य हिस्सों में उनके परिवार के सदस्यों की कई और दुकानें भी हैं. सबसे पुरानी दुकान पर रामरतन की मौत के बाद उनके पुत्र जगन्नाथ ने दुकान संभाली. जगन्नाथ तीन भाई हैं, जबकि बेटे सात हैं. जगन्नाथ की मौत के बाद उनके पुत्र मोतीलाल प्रसाद मूल दुकान पर बैठते हैं.
वहीं लोग बताते हैं कि प्रसिद्ध संत चैनराम बाबा को भोग इसी दुकान की मिठाई और सीज़न में गाजर से लगाते थे. अभी भी हर रोज़ मिट्टी के पात्र में यहां से मिठाई-हलवा जाता है और चैनराम बाबा को पहला प्रसाद चढ़ता है. सीज़न में हर रोज़ यहाँ एक कुंतल काला गाजर की खपत है. नवम्बर से मार्च तक गाजर का हलवा बनता है.
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