बलिया

रविशंकर सिंह पप्पू चौथी बार बने MLC, पढ़िए जीत के ‘उत्कर्ष’ की कहानी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद विधानपरिषद चुनाव संपन्न हो चुके हैं। आज दोपहर 1 बजे तक तकरीबन सभी 36 विधानपरिषद सीटों के नतीजे आ चुके थे। ये चुनाव परिणाम एक तरफ भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा के लिए ऐतिहासिक है तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी यानी सपा के लिए किसी बुरे ख्वाब की तरह है। खैर, यहां हम बात करने वाले हैं बलिया की।

बलिया जिले से एक बार फिर और लगातार चौथी बार रविशंकर सिंह पप्पू विधानपरिषद सदस्य यानी MLC चुने गए हैं। रविशंकर सिंह पप्पू भाजपा की टिकट पर एमएलसी चुने गए हैं। जीत शानदार और यादगार है तो इसकी चौतरफा समीक्षा भी शुरू हो चुकी है। बलिया के सियासी जानकारों में एक नाम की चर्चा बहुत तेजी से हो रही है। वो नाम है उत्कर्ष सिंह।

उत्कर्ष सिंह चौथी बार के एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू के बेटे हैं। उत्कर्ष सिंह को रविशंकर सिंह पप्पू की जीत का सारथी माना जा रहा है। इस जीत में क्रेडिट का एक बड़ा हिस्सा उत्कर्ष सिंह को दिया जा रहा है। राजनीति में एक युवा अनुभव होने के बावजूद भी उत्कर्ष सिंह लगातार बलिया में सक्रिय रहे हैं।

उत्कर्ष सिंह जीत का जश्न मनाते हुए

2021 के नवंबर महीने में जब रविशंकर सिंह पप्पू ने भाजपा ज्वाइन किया तभी से ही उन्हें एमएलसी चुनाव में टिकट मिलना तय माना जा रहा था। हुआ भी वही। भाजपा ने रविशंकर सिंह को पप्पू को टिकट दिया। जिसके बाद चुनाव प्रचार जोर पकड़ने लगा। उत्कर्ष सिंह इस प्रचार अभियान के खेवइया थे।

कौन हैं उत्कर्ष सिंह: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं उत्कर्ष सिंह। रविशंकर सिंह पप्पू पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के रिश्ते में पौत्र लगते हैं। उत्कर्ष सिंह रविशंकर सिंह के बेटे हैं, ये बात हम ऊपर बता ही चुके हैं। अमिटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुके उत्कर्ष सिंह बलिया की सियासत में पीछले कुछ सालों से खूब सक्रिय देखे गए हैं।

बलिया की सियासत में हमेशा से ही युवाओं के लिए भरपूर गुंजाइश रही है। छात्र संघ की राजनीति एक बड़ी वजह है जो जिले की युवा राजनीति को ज़िदा रखे हुए है। लेकिन इसके समानांतर ऐसे भी युवा खूब राजनीति में उतरते हैं जो छात्र संघ की राजनीति में सीधे तौर पर कभी शामिल नहीं रहे हैं। बलिया को यूं ही राजनीति की नर्सरी नहीं कहते हैं। उस पर भी एक नौजवान पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के सबसे बड़े समाजवादी नेताओें में से एक चंद्रशेखर के परिवार से आता हो तो सियासी स्पेक्ट्रम पर गुंजाइश काफी बढ़ जाती है।

क्या है संभावना: रविशंकर सिंह पप्पू के चुनाव में उत्कर्ष सिंह की सक्रियता की एक सामान्य सी वजह तो ये है कि वो अपने पिता के चुनाव में लगे थे। लेकिन वर्तमान की इस कवायद में भविष्य के लिए काफी संकेत भी दिखते हैं। आने वाले दिनों में उत्कर्ष सिंह को जल्द ही चुनावी राजनीति में सीधे तौर पर देखा जा सकता है। यानी आने वाले समय में उत्कर्ष सिंह चुनाव लड़ते हुए देखे जा सकते हैं। बलिया के चौक-चौराहों और चाय की टपरियों पर चर्चा है कि पांच साल बाद जब एक बार फिर विधानसभा चुनाव होंगे तब उत्कर्ष सिंह अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं।भविष्य में क्या होगा इस पर सभी की निगाहें जमी हुई हैं। हर कयासों और कवायद से बलिया ख़बर आपको रूबरू करवाता रहेगा। फिलहाल उत्कर्ष सिंह ने खुद को विधानपरिषद के चुनाव में खूद को साबित कर दिया है।

Akash Kumar

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