बलिया
करीब एक हफ्ते से जारी लगातार बारिश से जहां जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। वहीं खेती-किसानी भी प्रभावित होने लगी है। एक तो पहले ही सूखे की मार से परेशान किसान आज लगातार बारिश से परेशान है। करीब एक हफ्ते पूर्व जब बारिश का आगाज हुआ तो किसान काफी प्रसन्न थे। वहीं आज लगातार हो रही बारिश से किसानों के माथे उभरी चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखने लगा है।
लगातार बारिश के चलते खाली पड़े खेतों में एक तो धान की रोपाई नहीं हो पा रही है। दूसरे पहले के रोपे गए निचले हिस्से के धान अब डूबने लगे हैं ।यही नहीं पहले के रोपे गये धान के खेतों में खाद के छिड़काव पर भी बारिश ने ग्रहण लगा रखा है।
अधिकांश किसान धान के खेतों में यूरिया का छिड़काव करते हैं ।यूरिया के छिड़काव के बाद थोड़ा धूप का निकालना आवश्यक होता है जिससे यूरिया जमीन में प्रवेश कर पौधों को पुष्ट बनाते हैं इसी में यदि यूरिया के छिड़काव के बाद यदि बारिश होता है तो खाद पानी के तेज बहाव से बह जाते हैं। फिर खाद के छिड़काव का कोई मतलब नहीं रह जाता इस संदर्भ में किसानों का कहना है कि बारिश का रुकना अब अत्यंत आवश्यक हो गया है तभी खेतों की जुताई के बाद बचे खुचे खेतों की रोपाई संभव हो पाएगी।
अन्यथा धान के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता।क्षेत्र में मक्का व अरहर की फसले के भी ज्यादा बारिश से नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। मक्का और अरहर के खेतों में पानी का जमाव के उनके नष्ट होने का मूल कारक माना गया है। किसानों ने कहा कि ऊंची जगह पर बोये गए मक्का व अरहर की फसल तो अभी कुछ दिनों तक बचाई जा सकती है लेकिन नीचे के खेतों में बोये गए अरहर व मक्का की फसल यदि बारिश बंद नहीं हुआ तो उसे नष्ट होने से कोई बचा नहीं सकता।
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