भारतीय राजनीति के नए चाणक्य बनकर उभरे प्रशांत किशोर एक बार फिर मोदी टीम में शामिल हो सकते हैं। सियासी गलियारों में सुगबुगाहट है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रशांत किशोर, नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाल ही में दोनों दिग्गजों की मुलाकात हुई थी। संभावनाएं हैं कि प्रशांत एक बार फिर मोदी के चुनावी रथ के सारथी बन सकते हैं।
पिछले कुछ सालों में प्रशांत किशोर ने राजनीतिक जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव और फिर 2014 में लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद प्रशांत किशोर पर सबकी नजरें पड़ी। लेकिन किन्हीं कारणों से प्रशांत और मोदी की राहें अलग हो गई। बिहार में महागठबंधन को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद प्रशांत का कद सियासी जगत में और बढ़ गया।
जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर और नरेंद्र मोदी पिछले 6 महीनों से एक दूसरे के साथ संपर्क में हैं। दोनों दिग्गजों के बीच सीधा संवाद हुआ है। जहां आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी टीम में प्रशांत किशोर की भूमिका पर चर्चा हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रशांत किशोर की मुलाकात बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से भी हुई थी। जबकि 2014 लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर के बीजेपी से अलग होने का कारण, अमित शाह और प्रशांत किशोर के बीच मनमुटाव ही थी।
अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक मोदी और किशोर की मुलाकात हुई लेकिन किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए। पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ बदला, मोदी अब वह मोदी नहीं रहे जिनके लिए प्रशांत किशोर साल 2012 में काम किया करते थे। अब वह प्रधानमंत्री बन चुके हैं और देश के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। बीजेपी भी वह बीजेपी नहीं रही जिसका कामकाज प्रशांत गांधीनगर से संभाला करते थे। 2014 के बाद मोदी लहर ने विकराल रुप ले लिया और बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गई। वहीं प्रशांत भी वह युवक नहीं रहे जो नेताओं के दिशा निर्देशों का पालन किया करता था। बीजेपी से अलग होने के बाद प्रशांत ने अपनी जगह बदलती राजनीति के नए चाणक्य के रुप में स्थापित की।
किशोर अगर दोबारा बीजेपी के साथ काम करते हैं तो जाहिर सी बात है कि वह सीधे पीएम मोदी के प्रचार अभियान की कमान खुद संभालेंगे। बीजेपी अब मजबूत स्थिति में खड़ी है। प्रशांत को जिम्मेदारी दी जाएगी कि वह समर्थन को वोट में तब्दील करें।
मोदी एंड टीम से अलग होने के बाद किशोर, नीतीश कुमार के संपर्क में आए और बिहार में महागठबंधन की बिसात बिछाई। जिसके आगे खुद बीजेपी को घुटने टेकने पड़े थे। इसके बाद 2016 में किशोर कांग्रेस के साथ जुड़ गए। जहां उनका प्रदर्शन मिला जुला रहा। पंजाब में तो कांग्रेस के सिर पर जीत का ताज पहना दिया लेकिन उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने के बावजूद कुछ कमाल नहीं दिखा पाए। हाल ही में आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के लिए काम रहे थे। जहां उनको जगन मोहन रेड्डी के चुनावी अभियान की जिम्मेदारी दी गई थी।
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