बलिया में हुई हत्याएं पुलिस के लिए पहेली बन गई हैं। यह हत्याएं सालों पहले हुई लेकिन आजतक पुलिस हत्या की जड़ तक नहीं पहुंच पाई है। मृतकों के परिवार अभी तक न्याय की आस में बैठे हैं। 3 हत्याओं की गुत्थी उलझी हुई हैं। करीब 7 साल पहले 11 फरवरी 2016 में पकड़ी थाना क्षेत्र के वीरपुरा गांव निवासी राकेश राजभर की 10 साल की बेटी चांदनी घर से लापता हो गई। जिसके बाद पुलिस ने तलाश शुरु की। तब खोजबीन के बाद भी उसका सुराग नहीं लगा। घरवालों ने मामले की सूचना पुलिस को दी। इसके बाद 15 फरवरी को खेत में एक नर कंकाल पड़ा मिला।
परिजनों ने उसके चांदनी होने की आशंका जताई। पुलिस ने पुष्टि करने के लिए कंकाल को जांच के लिए भेजा तो रिपोर्ट में कंकाल लड़की के और उसकी मौत सिर पर चोट लगने से होने की पुष्टि हुई। लेकिन लापता होने के 4 दिन बाद ही शरीर कंकाल में तब्दील होने पर लोगों ने संदेह जताया। जिसके बाद पुलिस ने शव और पीड़िता माता-पिता के खून का नमूना लेकर डीएनए जांच के लिए भेजा गया। लेकिन सात साल गुजर गए अभी तक DNA रिपोर्ट नहीं आ पाई। इसके चलते यह हत्याकांड अब तक लटका हुआ है। SO पकड़ी शत्रुध्न कुमार ने कहा, उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद ही कुछ कह सकता हूं।
दूसरी घटना पकड़ी थाना क्षेत्र के रक्सा गांव की है, जहां 28 अक्टूबर 2021 को नर कंकाल पड़ा मिला। गांव में कॉलेज से सटे खेत में यह नरकंकाल मिला था। उसके आसपास चप्पल व चूड़ियां पड़ी थी। नर कंकाल के किसी महिला या युवती के होने की आशंका के चलते पुलिस ने जांच कराई। इसके बाद भी पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लग सका। इस संबंध में SO पकड़ी शत्रुघ्न कुमार का कहना है कि फाइनल रिपोर्ट लगाकर फाइल को बंद कर दिया गया है।
जिले में 4 साल पहले हुए केबिन मैन हत्याकांड का भी खुलासा नहीं हो पाया है। मूल रूप से देवरिया के भटनी थाना क्षेत्र के शकरापुर निवासी 40 वर्षीय शैलेश तिवारी की तैनाती छह फरवरी 2018 की रात चित्तु पांडे चौराहा रेलवे क्रॉसिंग पर थी। उस दिन रात के करीब 9.25 बजे अप पवन एक्सप्रेस के गुजरने वाली थी, लिहाजा गेट बंद था। इसी बीच शैलेश का कुछ लोगों से विवाद हो गया। कुछ देर बाद पहुंचे हमलावरों ने रॉड आदि से शैलेश के ऊपर हमला कर दिया।
इसकी जानकारी रेल कर्मचारियों को रात में मिली। रेल कर्मियों ने तत्काल उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां के डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद वाराणसी रेफर कर दिया। हालांकि रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। इस मामले में मृतक की पत्नी की तहरीर पर GRP ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। करीब 4 साल बाद भी इस हत्याकांड का खुलासा नहीं हो सका है। इस संबंध में SO, GRP राघवेंद्र यादव का कहना है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। फाइल देखने के बाद ही कुछ बता सकूंगा।
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