सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। इसी दिशा में वर्षों से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को अनुदान दिए जा रहे हैं। ताकि वे प्राकृतिक खेती से जुड़कर कार्य कर इन योजनाओं को सफल बनाए। इसी के तहत अब पूर्वांचल के छह जिलों में प्राकृतिक खेती की जाएगी। बलिया, गाजीपुर, मीरजापुर चंदौली भवेही व सेनभद्र के 29 ब्लाकों में 10 हजार 550 हेक्टेयर में जैविक विधि से खेती की जाएगी। इसके साथ ही इन स्थानों पर किसानों को देसी गाय भी रखना होगा, इसमें लाइब्रिड बीज या बाहरी जैविक खाद खरीद कर प्रयोग नहीं करना है। किसाना प्राचीन समय से बुआई के लिए प्रयोग हो रहे घर के बीज ही प्राकृतिक तरीके से बोयेंगे।
जिन जिलों में प्राकृतिक खेती होगी, वहां कृषिविभाग ब्लॉकवार क्लस्टर तैयार करेगा। जैविक विधि से खेती के लिए 1200 सेक्टेयर लक्ष्य निर्धारित है। जिले के बैरिय, मुरलीछपरा लिए 2500 हेक्टेयर लक्ष्य तय किया गया है। बता दें कि, 500 किसान पिछले साल से ही जैविक विधि से खेती कर भी रहे हैं। अब प्राकृतिक खेती के लिए किसानों से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू हुई है।
योजना के तहत प्राकृतिक खेती में मक्का, ज्वार, बाजरा, मंडुआ रागी को, चीना, सांबा, टीगुन, कुटकी के साथ ही दलहनी मैं तीसी, सरसों, सब्जियों में देशीप्रजाति के टमाटर बैगन, मिर्च की फसलों की खेती होगी। प्रत्येक क्लस्टर में किसानों को प्राकृतिक तौर तरीके से खेती के गुर सिखाने के लिए विशेषज्ञ तैनात किए जाएंगे।
कृषि उप निदेशक ने बताया कि इसमें देशी गाय के गोबर, गोमूत्र, गुण, बेसन, पानी व विभिन्न पेड़ पौधों की पतियों का उपयेग कर बीजामृत, जीवामृत घनजीवामृत, दशपर्णी अर्क व नीमास्त्र के माध्यम से प्राकृतिक खेती की जाएगी। फसल अवशेष को खेतों में पलटकर खाद के रूप में प्रयोग किया जाएगा, इससे पानी की भी बचत होगी।
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