बलिया डेस्क । पंचायत चुनावों को लेकर जारी की गई आरक्षण लिस्ट में भारी बदलाव हो सकता है। ऐसा हम तहसील मुख्यालयों से भेजी गई उस रिपोर्ट के आधार पर कह रहे हैं, जिसमें ये दिखाया गया है कि ज़िले में एक भी परिवार या सदस्य अनुसूचित जनजाति का नहीं है।
ज़िले में पंचायत चुनाव को लेकर अनुसूचित जनजाति के लिए 725 सीटें आरक्षित की गई हैं।
ये सीटें 2011 की जनगणना के आधार पर आरक्षित की गई हैं। जनगणना 2011 के मुताबिक़, ज़िले में जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों की कुल संख्या 1,73,778 थी।अब 10 बाद तहसील मुख्यालयों से जो रिपोर्ट जारी की गई है, उसके मुताबिक, ज़िलें में अनुसूचित जनजाति का एक भी सदस्य नहीं हैं। जनगणना 2011 के मुताबिक़, ज़िले में गोंड जाति के लोगों की कुल संख्या 1,38,942 थी और खरवार जाति के सदस्यों की संख्या 34,836 थी।
तहसील मुख्यालयों ने ये रिपोर्ट डीपीआरओ को भेज दी है। डीपीआरओ यह रिपोर्ट शासन को भेजेगा। इसके बाद अगर रिपोर्ट मान्य हुई तो जिले में पंचायत चुनाव को लेकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई 725 सीटों पर खतरा मंडराने लगेगा। पंचायत चुनावों में हर बार की तरह इस बार भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सीटों का आरक्षण शासन की गाइड लाइन के तहत ही किया गया है। नियम के तहत ही पंचायत चुनाव के अलग-अलग पदों (जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, ग्राम प्रधान, बीडीसी और ग्राम पंचायत सदस्य) पर आरक्षण निर्धारित किया गया है।
तहसीलों की ये रिपोर्ट सामने आने के बाद अब सवाल उठने रहे हैं कि आखिर जिले में अनुसूचित जनजाति के लिए अलग-अलग पदों के लिए आरक्षित कुल 725 सीटों पर चुनाव कौन लड़ेगा। अगर सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार किया तो एक बार फिर किए गए आरक्षणों में भारी बदलाव हो सकता है।
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