सियासी लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में पूरब का चुनावी रण इस बार देश की राजनीति के लिए निर्णायक साबित होगा. खुद में 26 लोकसभा सीटों को समेटे पूर्वांचल पर इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत बड़े—बड़े छत्रपों का राजनीतिक भविष्य टिका है. कभी कांग्रेस का गढ़ रहा पूर्वांचल इस वक्त भाजपा का सबसे मजबूत किला है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में चली ‘मोदी लहर’ ने इस पूरे इलाके से विपक्षी दलों का लगभग सफाया कर दिया और आजमगढ़ को छोड़कर पूर्वांचल की बाकी सभी 25 सीटों पर भाजपानीत राजग का कब्जा हो गया. इस बार बीजेपी अपने उसी पुराने प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश में जी-जान से जुटी है. एक तरफ जहां पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का यूपी में 74 प्लस का लक्ष्य है, वहीं उससे भी बड़ी बात यह है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर पूर्वांचल में ही स्थित आध्यात्मिक नगरी वाराणसी से एक बार फिर मैदान में हैं.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को करीब तीन लाख मतों से हराया था. इस बार भाजपा के सामने मोदी को पहले से भी ज्यादा अंतर से चुनाव जिताने की चुनौती है.
पूर्वांचल की 26 सीटों पर बीजेपी परचम लहराने का मनोबल
प्रदेश भाजपा महामंत्री विजय बहादुर पाठक का कहना है कि मोदी इस बार वाराणसी से बड़ी जीत के अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ देंगे. मोदी के दोबारा काशी से चुनाव लड़ने से बीजेपी को पूर्वांचल की सभी 26 सीटों पर भी पार्टी का परचम लहराने के लिए जरूरी मनोबल हासिल होगा. उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने पिछले पांच साल के अपने शासनकाल में उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में जो विकास कार्य कराये हैं, उनसे जनता अच्छी तरह वाकिफ है और इस बार वह भाजपा को वोट देकर देश की विकास यात्रा को आगे बढ़ाएगी.
प्रियंका गांधी की लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता की परीक्षा
पूर्वांचल का चुनावी रण कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी की प्रभारी प्रियंका गांधी की भी लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता की परीक्षा साबित होगा. इससे पहले सिर्फ रायबरेली और अमेठी में चुनाव प्रचार तक ही सीमित रहने वाली प्रियंका को पहली बार बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. दरअसल, वह पूर्वांचल में पार्टी को जिताने की बेहद मुश्किल चुनौती के मुकाबिल खड़ी हैं.
प्रियंका पर बीजेपी के दबदबे को तोड़ने की जिम्मेदारी
प्रियंका पर प्रधानमंत्री मोदी की उम्मीदवारी वाले वाराणसी समेत समूचे पूर्वांचल में बीजेपी के दबदबे को तोड़ने की जिम्मेदारी है. पिछले हफ्ते इलाहाबाद से वाराणसी तक गंगा यात्रा करके अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करने वाली प्रियंका कभी कांग्रेस के दबदबे वाले पूर्वांचल में पार्टी का खोया हुआ जनाधार किस हद तक वापस ला पाती हैं, यह देखने वाली बात होगी.
सीधे कार्यकर्ताओं और आम लोगों से संवाद कर रही प्रियंका
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ओंकार नाथ सिंह का दावा है कि प्रियंका का डंका निश्चित रूप से बजेगा. ऐसा इसलिए है कि वह सीधे कार्यकर्ताओं तथा आम लोगों से संवाद कर रही हैं, जिसकी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. वह लोगों को यह भरोसा दिलाने का प्रयास कर रही हैं कि कांग्रेस मोदी सरकार का सबसे अच्छा विकल्प है और देश का भविष्य उसी के हाथ में सुरक्षित है.
अखिलेश यादव की कुशलता की भी परीक्षा
वर्ष 2017 में पार्टी में पड़ी फूट के बाद सपा की कमान संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए साल 2019 का लोकसभा चुनाव उनके सियासी कौशल की पहली पूर्ण परीक्षा होगा. अखिलेश अपने पिता सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की मौजूदा सीट आजमगढ़ से चुनाव लड़ेंगे. मुलायम को सपा ने इस बार मैनपुरी से उम्मीदवार बनाया है.
सपा का वोटबैंक बीएसपी के पक्ष में बदलना भी चुनौती
बसपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही सपा के अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती सपा के वोट बैंक को बसपा के पक्ष में अंतरित कराने की होगी. गठबंधन के तहत सपा को ज्यादातर सीटें पूर्वांचल की ही मिली हैं, लिहाजा अखिलेश के लिये यहां का चुनावी संग्राम बेहद महत्वपूर्ण होगा. एसपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि अखिलेश को आजमगढ़ सीट से चुनाव जीतने से कोई नहीं रोक सकेगा. जहां तक बसपा के पक्ष में वोट अंतरित कराने की बात है तो पूरी पार्टी सपा अध्यक्ष के निर्देशानुसार काम करने के लिए कटिबद्ध है. वोट अंतरण में कोई परेशानी नहीं होगी.
बसपा इस बार बीजेपी को टक्कर देने के लिए उत्साह में
जहां तक बसपा का सवाल है तो पूर्वांचल में कभी उसकी भी तूती बोलती थी. यह अलग बात है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में कहीं भी खाता नहीं खुला, लेकिन इस बार वह जोश से लबरेज है और बीजेपी और अन्य प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है.
80 में से 71 सीटें जीतकर बीजेपी ने रचा था इतिहास
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से 71 सीटें जीतने वाली भाजपा को पूर्वांचल की भदोही, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, कुशीनगर, बस्ती, जौनपुर, डुमरियागंज, सोनभद्र, घोसी, इलाहाबाद, महराजगंज, बांसगांव, फूलपुर, फतेहपुर, कौशाम्बी, मछलीशहर, गोरखपुर, देवरिया, लालगंज, रॉबट्र्सगंज और संत कबीर नगर में जीत हासिल हुई थी. इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी अपना दल को मिर्जापुर और प्रतापगढ़ सीटें मिली थीं.
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