प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (25 फरवरी) को रेडियो पर मन की बात की। उन्होंने भारत के महान वैज्ञानिक एवं नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन को याद करते हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत की। रमन द्वारा 28 फरवरी को रमन इफेक्ट की खोज किए जाने पर ही इस दिन को विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि इस देश ने कई महान वैज्ञानिकों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा, ‘भारत के महान वैज्ञानिकों में एक तरफ महान गणितज्ञ बोधायन, ब्रह्मगुप्त, भास्कर और आर्यभट्ट की परंपरा रही है तो दूसरी तरफ चिकित्सा के क्षेत्र में सुश्रुत और चरक हमारा गौरव हैं। सर जगदीश चन्द्र बोस,हरगोविंद खुराना, सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे वैज्ञानिक भारत के गौरव हैं।’
पीएम ने कहा, ‘भारत में मवेशियों की आबादी 30 करोड़ है और गोबर का उत्पादन प्रतिदिन लगभग 30 लाख टन है। ‘गोबर धन योजना’ के तहत ग्रामीण भारत में किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वो गोबर और कचरे को सिर्फ कचरे के रूप में नहीं बल्कि आय के स्रोत के रूप में देखें।’ उन्होंने गोबर के उपयोग पर जोर देते हुए कहा, ‘मैं आपको आमंत्रित करता हूं क्लीन एनर्जी एंड ग्रीन जॉब्स के इस आन्दोलन के भागीदार बनें| अपने गांव में ‘वेस्ट’ को ‘वेल्थ’ में परिवर्तन करने और गोबर से गोबर-धन बनाने की दिशा में पहल करें।’
प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से किस तरह दिव्यांग भाइयों और बहनों का जीवन सुगम बनाने में मदद मिल सकती है, प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बेहतर अनुमान लगा सकते हैं, किस तरह फ़सलों की पैदावार बढ़ने में सहायता कर सकते हैं?’
– प्राकृतिक आपदाओं को अगर छोड़ दें तो ज्यादातर दुर्घटनाएं, हमारी किसी न किसी गलती का परिणाम होती हैं। अगर हम सतर्क रहें, आवश्यक नियमों का पालन करें तो अपने जीवन की रक्षा करने के साथ-साथ बड़ी दुर्घटनाओं से समाज को बचा सकते हैं। हम सब बहुत बार रास्तों पर लिखे हुए बोर्ड पढ़ते हैं, जिनमें लिखा होता है – सतर्कता हटी-दुर्घटना घटी, एक भूल करे नुकसान-छीने खुशियाँ और मुस्कान, इतनी जल्दी न दुनिया छोड़ो-सुरक्षा से अब नाता जोड़ो, सुरक्षा से न करो कोई मस्ती-वर्ना जिंदगी होगी सस्ती।’
– छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनूठा प्रयास करते हुए राज्य का पहला ‘कचरा महोत्सव’ आयोजित किया गया। रायपुर नगर निगम द्वारा आयोजित इस महोत्सव के पीछे स्वच्छता को लेकर जागरूकता थी।
– नारी शक्ति ने स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने खुद के साथ ही देश और समाज को भी आगे बढ़ाने और एक नए मुकाम पर ले जाने का काम किया है। आखिर हमारा ‘न्यू इंडिया’ का सपना यही तो है। हम उस परंपरा का हिस्सा हैं , जहां पुरुषों की पहचान नारियों से होती थी। यशोदा-नंदन, कौशल्या-नंदन, गांधारी-पुत्र, यही पहचान होती थी किसी बेटे की।
– 8 मार्च को ‘अन्तरराष्ट्रीय महिला-दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन देश में ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से ऐसी महिलाओं को सत्कार भी किया जाता है जिन्होंने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किये हों।
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