बलिया डेस्क: एक तरफ जहाँ ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में भारत भूखमरी के मामले में अपने तमाम पड़ोसी मुल्कों से पिछड़ गया है, वहीँ ऐसे हालात में भी हम सुधरने को तैयार नहीं हैं. अब बलिया के बैरिया से एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है, जहाँ इंसानियत को ताख पर रखकर राइट टू फूड के तहत स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील की स्कीम का मजाक बनाया जा रहा है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक सोहौन ब्लाक के सरकारी प्राइमरी स्कूल में बच्चे को मिड डे मील लेने के लिए घर से बर्तन लाने की शर्त स्कूल वालों से रख दी है. स्कूल उन्ही बच्चों को खाना दे रहा है जो घर से अपना बर्तन ला रहे हैं. वहीँ स्कूल के हेडमास्टर से जब इसके बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि बच्चे अपने स्कूल बैग में खाने के बर्तन न चोरी कर लें, इसलिए हम उन्हें बर्तन नहीं दे रहे हैं और उन्हें अपने घर से बर्तन लाने को बोला गया है.
उन्होंने आगे कहा है कि स्कूल में स्टाफ की कमी है और अगर वह खुद बर्तन गिनने लग जाएँ तो बाकी चीज़ों पर कौन ध्यान देगा? हालाँकि उनका यह भी कहना है कि अगर स्कूल का स्टाफ बढ़ जाये जो इस पर नज़र रख सके तो उन्हें बच्चों को स्कूल के बर्तन देने में कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने बताया है कि स्कूल में सत्तर बच्चों के लिए प्लेट और ग्लास उपलब्ध हैं.
इस मामले के सामने आने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी सुभाष गुप्ता ने कहा है कि यह काफी गंभीर मामला है. उन्होंने कहा है कि फिलहाल मामले की जाँच चल रही है. उन्होंने कहा है कि जांच हों के बाद हेडमास्टर के खि’ला’फ सख्त एक्शन लिया जाएगा. फिलहाल यूपी के सरकारी स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील के साथ किस तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है, इसकी कई ख़बरें लगातार सामने आ रही हैं.
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