बलिया। घाघरा नदी का उफान लगातार जारी है। घाघरा नदी की लहरें आस पास के इलाकों में तबाही मचाने को लेकर उतावली हो रही है। हालांकि शुक्रवार के सापेक्ष शनिवार को वृद्धि की दर काफी कम रही लेकिन अभी भी धीमी गति से बढ़ाव जारी है। लगातार बढ़ते जलस्तर को देखकर तहसील क्षेत्र के आस पास के गांवों के लोग सहमे हुए हैं। कई क्षेत्रों में धीरे धीरे जलभराव शुरू हो गया है। जिसके कारण ग्रामीणों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं।
नदी किनारे बसे गांवो के रास्तों पर पानी चढऩे लगा है। उधर जल स्तर बढऩे से कटान भी शुरू हो गया है। इससे लोंगों की समस्या और बढ़ गयी है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को घाघरा का जलस्तर 64.39 मीटर दर्ज किया गया जबकि शुक्रवार को यह 64.33 मीटर था। पिछले 24 घण्टे में जलस्तर में छह सेमी की वृद्धि देखी गयी है। हालांकि बढ़ाव की दर कम होने से तटवर्तियों ने राहत की सांस ली है। नदी का पानी खतरे के निशान से 38 सेंटीमीटर ऊपर है।
कटान की भेंट चढ़ा सच्चिदानंद का आशियाना– सिकंदरपुर में घाघरा का जलस्तर बढऩे से घाघरा के किनारे अपना आशियाना बनाकर रह रहे सच्चिदानंद चौधरी का डेरा कटान की भेंट चढ़ चुका है। जबकि अभी भी तेज गति से कटान जारी है। जिसके कारण आस पास बसे हरख चौधरी, बली चौधरी, अजय , संजय, जोगिंदर, बीरबल, शुकदेव, बिहारी, जयप्रकाश सहित एक दर्जन लोंगों के डेरा पर खतरा बढ़ गया है। उधर कटार बनी घाघरा की लहरें लगातार खरीद के किसानों की कृषि योग्य भूमि को अपनी जद में ले रही है।
यही नहीं पुरुषोत्तम पट्टी, निपनिया में भी कटान शुरू हो गया है। किसान पन्ना लाल ने बताया कि अब तक दो दर्जन से अधिक किसानों का करीब 30 एकड़ भूमि नदी में समाहित हो चुकी है। जबकि कटान लगातार जारी है। वही सैकड़ो एकड़ भूमि जलमग्न हो चुकी है।
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