बलिया के जिला महिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का मंजर देखने को मिल रहा है। यहां अस्पताल के सिक एंड न्यू बोर्न केयर यूनिट में क्षमता से तीन गुना अधिक बच्चों को भर्ती कर इलाज हो रहा है।
एक वार्मर में तीन से चार बच्चे रखे गए हैं। सभी बच्चों का एक साथ इलाज हो गया है। अस्पताल में 12 बच्चों के उपचार के संसाधन हैं। जबकि भर्ती होने वाले बच्चों को संख्या में इजाफा हो रहा है।
भीषण गर्मी की तपिश नवजात बच्चों की सेहत पर विपरीत असर डाल रही है। तापमान में वृद्धि होने के कारण अधिकतर बच्चे बुखार की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल में जन्म लेने वाले दस बच्चों में से छह को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करना पड़ रहा है। शनिवार को एसएनसीयू वार्ड में 42 से अधिक बच्चे भर्ती थे।
सीएमएस के प्रयास से रोटरी क्लब और अन्य समाजसेवी संस्थानों की मदद से पांच वार्मर बढ़े हैं। कुल 17 वार्मर इस समय उपलब्ध है। परिजनों की मिन्नत व बच्चों की खराब स्थिति को देखते हुए उनकी जान बचाने के लिए एक वार्मर पर तीन से चार बच्चों को भर्ती कर चिकित्सक इलाज कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन द्वारा कई बार वार्मर की संख्या बढ़ाने की मांग की गई, उसके बावजूद संसाधन नहीं बढ़ाए गए।
जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर सुमिता सिन्हा का कहना है कि एसएनसीयू वार्ड में 12 बच्चों के उपचार की है। समाजिक संस्थानों को मदद से पांच बार और बढ़ गए है। इसे देखते हुए क्षमता से तीन गुना अधिक का इलाज चल रहा है।
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