बलिया

अंग्रेजी के बड़े अख़बार ने बांसडीह और केतकी सिंह को लेकर ये फर्जी दावा छाप दिया?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव खत्म हो चुका है। नतीजे यानी जनता का फैसला आ चुका है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बहुमत मिली है। समाजवादी पार्टी को जनता ने एक बार फिर मुख्य विपक्षी पार्टी के लायक समझा है। चुनाव खत्म होने के बाद अलग-अलग जिलों और विधानसभा सीटों से नई-नई कहानियां सामने आ रही हैं। ये कहानियां अखबार, टेलीविजन और सोशल मीडिया पर देखने को मिल रही है। एक अंग्रेजी का प्रतिष्ठित और बड़ा अखबार है हिंदूस्तान टाइम्स। इसने भी बलिया की बांसडीह विधानसभा सीट और इस सीट से विधायक बनीं भाजपा की केतकी सिंह को लेकर एक कहानी छापी है।

हिंदूस्तान टाइम्स ने केतकी सिंह को लेकर एक खबर छापी है। खबर की हेडिंग लगी है “Girls’ education top priority for Bansdih’s first woman MLA.” यानी कि “बांसडीह की पहली महिला विधायक के लिए लड़कियों की शिक्षा उच्च प्राथमिकता पर है।” खबर के विस्तार में भी केतकी सिंह को बांसडीह की पहली महिला विधायक के रूप में ही परिचित कराया गया है। हिंदूस्तान टाइम्स लिखता है कि ‘Ketaki singh is the first woman MLA from Bansdih.’ यानी केतकी सिंह बांसडीह से पहली महिला विधायक हैं। जो कि तथ्यात्मक तौर पर पूरी तरह गलत है। केतकी सिंह बांसडीह की पहली महिला विधायक नहीं हैं।

Hindustan Times की खबर का कटआउट

बांसडीह से केतकी सिंह पहली नहीं दूसरी महिला विधायक हैं। केतकी सिंह से पहले विजय लक्ष्मी जनता पार्टी से दो बार बांसडीह की विधायक रह चुकी हैं। 1985 और 1989 में विजय लक्ष्मी इस सीट से विधायक चुनी गई थीं। वो भी तब जब इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता स्व. बच्चा पाठक को शिकस्त देकर विजय लक्ष्मी विधायक बनी थीं। बच्चा पाठक बांसडीह से सात बार के विधायक थे। इस सीट पर उनकी पकड़ का अंदाजा आपातकाल के बाद हुए यूपी चुनाव में लगा। आपातकाल और जेपी आंदोलन की वजह से पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था। उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए। आंदोलन का असर बिहार और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक था। कांग्रेस को यूपी में करारी हार मिली। लेकिन बांसडीह से कांग्रेस बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की।

बहरहाल बात बांसडीह से महिला विधायक की हो रही है। बच्चा पाठक की सियासी ताकत का जिक्र इसलिए ताकि पता चल सके कि विजय लक्ष्मी की जीत इतनी साधारण नहीं थी कि उसे नजरंदाज किया जा सके। फिर भी एक बड़े अखबार में तथ्यात्मक तौर पर बांसडीह को लेकर गलत खबर छापी गई। केतकी सिंह 2017 में भी बांसडीह से चुनाव मैदान में थीं। अंतर बस इतना था कि 2017 में केतकी सिंह निर्दलीय थीं। क्योंकि भाजपा-सुभासपा गठबंधन ने इस सीट से अरविंद राजभर को टिकट दिया था। इस बार सुभासपा और भाजपा का गठजोड़ नहीं था। निषाद पार्टी की ओर से भाजपा के सिंबल पर केतकी सिंह एक बार फिर बांसडीह की चुनावी जंग में उतरीं।

सामने प्रतिद्वंदी नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी थे। रामगोविंद चौधरी 2017 में केतकी सिंह को मात दे चुके थे। लेकिन इस बार उनका कोई दांव केतकी सिंह को जीतने से नहीं रोक पाया। अब बांसडीह से केतकी सिंह दूसरी महिला विधायक बन चुकी हैं। एक बार फिर बता दें कि बांसडीह की पहली महिला विधायक विजय लक्ष्मी थीं।

Akash Kumar

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