उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद सभी की निगाहें अब विधान परिषद चुनावों पर टिके हैं। विधान परिषद यानी MLC की चुनावी जंग में मतदान के बाद अब नतीजों की बारी है। मंगलवार यानी 12 अप्रैल को MLC चुनाव के परिणाम आएंगे। ऐसे में बलिया ज़िले में हर किसी के मन में ये सवाल है कि क्या रविशंकर सिंह पप्पू इतिहास रच पाएंगे? दरअसल चुनावी जीत दर्ज करते ही रविशंकर सिंह पप्पू लगातार चौथी बार MLC बन जाएंगे।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के परिवार के सदस्य रविशंकर सिंह पप्पू बलिया से लगातार तीन बार के विधान परिषद सदस्य हैं। रवि शंकर सिंह पप्पू का एक परिचय ये भी है कि वो बीजेपी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर के भतीजे हैं। रविशंकर सिंह पप्पू इससे पहले समाजवादी पार्टी यानी सपा में थे। लेकिन बीते साल नवंबर महीने में रविशंकर सिंह पप्पू भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
उत्तर प्रदेश में 36 सीटों के लिए विधान परिषद चुनाव हुए। इनमें से 9 सीटों पर चुनाव से पहले ही बीजेपी के उम्मीदवार निर्विरोध जीत दर्ज करने में कामयाब हुए। मतदान हुए 27 सीटों के लिए। इनमें एक सीट बलिया भी है। बलिया से सपा ने अरविंद गिरि को एमएलसी पद के लिए उम्मीदवार बनाया। तो वहीं बीजेपी की ओर से तीन बार के एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू मैदान में हैं।
रविशंकर सिंह पप्पू का सियासी सफर: रविशंकर सिंह पप्पू। बलिया के लिए ये नाम बेहद परिचित है। कई वजहें हैं। पहली वजह है उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पौत्र हैं। राज्यसभा सांसद नीरज शेखर के भतीजे हैं। सवाल है कि क्या महज यही परिचय है रविशंकर सिंह पप्पू का? जवाब है नहीं। रविशंकर सिंह पप्पू सबसे पहले 2004 में समाजवादी जनता पार्टी यानी सजपा के उम्मीदवार के तौर पर विधान परिषद का चुनाव लड़े। चुनाव में रविशंकर सिंह पप्पू की जीत हुई और वो पहली बार एमएलसी बने।
2009 में रविशंकर सिंह पप्पू दोबारा विधान परिषद के चुनावी मैदान में उतरे। लेकिन इस बार रविशंकर सिंह पप्पू बसपा की टिकट पर चुनावी मैदान में थे। पार्टी बदलने से चुनावी नतीजों पर कोई असर नहीं हुआ। रविशंकर सिंह पप्पू अपने नाम के दम पर दोबार एमएलसी चुनाव जीतने में कामयाब हुए। 2015 का साल आया। अब रविशंकर सिंह पप्पू समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके थे। सपा ने विधान परिषद चुनाव में बलिया से रविशंकर सिंह पप्पू को ही टिकट दिया। साल बदला, पार्टी बदली लेकिन नहीं बदला तो नतीजे। यानी एक बार फिर और तीसरी बार रविशंकर सिंह एमएलसी चुने गए।
अब देखना होगा कि विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने वाली भाजपा विधान परिषद चुनाव में कैसा प्रदर्शन करती है। देखना ये भी दिलचस्प होगा कि बलिया के किले को कौन फतह करता है? क्या रविशंकर सिंह पप्पू लगातार चौथी बार बलिया को अपना गढ़ बनाने में सफल होंगे? हालांकि बलिया की चाय दुकानों और चौक-चौराहों पर चर्चाएं हैं कि रविशंकर सिंह पप्पू के लिए ये जीत मुश्किल नहीं होगी। रविशंकर सिंह पप्पू की जीत पक्की मानी जा रही है। देखना होगा कि चुनावी नतीजों में बलिया के सियासी पंडितों की ये भविष्यवाणी कितनी सही साबित होती है?
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