बलिया डेस्क : यूँ तो पंचायत सचिवों को गांवो में रहकर ग्रामीणों की परेशानी सुनने का फरमान जारी हो चुका है लेकिन बावजूद इसके गाँव में पंचायत सचिव नदारद दिखाई दे रहे हैं. दर असल इसकी एक बड़ी वजह यह है कि विकास भवन से लेकर कलेक्ट्रेट सभागार की मीटिंग में मौजूद रहने की वजह से वह गाँव में नहीं दिखाई दे रहे हैं.
अब चूँकि अधिकारीयों को तो वह झांसा दे नहीं सकते हैं. इसलिए वह गाँव छोड़कर मीटिंग में रहते हैं और इधर क्षेत्र में आम जनता अपनी बुनियादी परेशानी को लेकर इधर उधर धक्का खाती रहती है. पात्र अपात्र और आवास, शौचालय के बीच सचिव उलझ गए हैं. ऐसे में अब वह गाँव के लोगों को ही झांसा देते फिरते हैं. तमाम ग्रामीणों का यह भी कहना है कि बहुत से पंचायत सचिव अपना फोन ही ऑफ़ कर देते हैं.
इसलिए उनसे बात तक करना भी मुश्किल हो जाता है. लोगों का कहना है कि जनपदीय अधिकारी को शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि इन सब वजह से आम लोगों को कितनी परेशानी उठानी पड़ रही है. सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब करीब करीब हर योजना की फीडिग ऑनलाइन है, तो फिर आये दिन होने वाली मीटिंग में आखिर पंचायत सचिवों से कैसे और किस बात का आंकड़ा लिया जा रहा है.
वहीँ इस पर जिला पंचायत राज अधिकारी शशिकांत पांडेय ने कहा है कि हर हाल में पंचायत सचिवों को गाँवों में रहना है. उन्होंने कहा है कि इस फरमान के बाद भी अगर सचिव गाँवों में मौजूद नहीं पाए जाते हैं तो इसकी शिकायत तत्काल ग्रामीण करें. उन्होंने कहा है कि लोगों की शिकायत पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने कहा है कि हर रोज़ मीटिंग नहीं होती है और अगर कोई सचिव ऐसा बोल रहा है तो वह बहनानेबाज़ी कर रहा है.
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