हमारे देश में डॉ’क्टर को भग’वान का दर्जा दिया जाता है. डॉक्टर पर लोगों को अटूट विश्वास होता है और मरीज़ आँख बंद करके उन पर भरोसा करता है. उनकी दी दवाओं को लेता है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि इंसानों की ज़िन्दगी और मौ’त से जुड़े इस पेशे में भी अब लापरवाही का मामला सामने आने लगा है. इस पेशे से जुड़े लोग अब इस कदर प्रेफोश्नल हो चुके हैं, जिसका अंदाजा आपको जिला अस्पतालों की हालत देखकर आसानी से लग सकता है.
यहाँ एक तो मरीजों के साथ बदसलूकी तो की ही जाती है, वहीँ दूसरी तरफ अब बलिया के जिला अस्पताल में एक डॉक्टर की लापरवाही ने एक 6 साल के बच्चे की आँख की रोशनी ही छीन ली.
आरोप है कि जिला अस्पताल के डॉक्टर अनुराग सिंह ने एक बच्चे को ऐसी दवा दी, कि अब उसे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है. बच्चा अपने घर वालों के साथ इलाज के लिए जिला अस्पताल आया था.
वहीँ कहा यह भी जा रहा है कि इस पूर मामले को छुपाने के लिए अब अस्पताल प्रशासन ने पर्ची ही गायब कर दी है. बच्चे के परिजनों का कहना है कि उसे बुखार था, जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर अनुराग की लिखी दवा बच्चे को रात में खिलाई और सुबह से ही बच्चे की आँख की रोशनी कम होती चली गयी.वहीँ दूसरी तरफ सीएमएस का कहना है कि बच्चे को बुखार था काफी समय से,
ऐसे में उसे इंसेफेलाइटिस की भी सम्भावना हो सकती है. उन्होंने कहा कि इंसेफेलाइटिस का असर कभी कभी आँख की रोशनी पर भी पड़ जाता है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर अनुराग ने उन्हें देखा और अब उस बच्चे को बीएचयू रेफर कर दिया गया है. बहरहाल, आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी ही है लेकिन फिलहाल बच्चे की ज़िन्दगी में अँधेरा छाया हुआ है.
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