बलिया में जिला अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है। 236 बेड वाले अस्पताल की जिम्मेदारी 24 चिकित्सकों के कंधों पर है। ऐसे में सैंकड़ों की संख्या में प्रतिदिन अस्पताल आने वाले मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो रहा है। कई मरीज डॉक्टरों के अभाव में प्राइवेट चिकित्सालय की दौड़ लगा रहे हैं तो वहीं गंभीर मरीजों को अन्य अस्पताल में रेफर करना पड़ रहा है। बता दें कि पुराना व नया अस्पताल मिलाकर कुल 326 बेड का है। अभी 236 बेड संचालित हैं। लेकिन अस्पताल में केवल 24 ही डॉक्टर हैं।
इनमें से तीन चिकित्सक सीएमओ के अधीनस्थ हैं, जबकि 6 चिकित्सकों का पद खाली है। मानकों के हिसाब से 176 बेड के सापेक्ष 30 चिकित्सक होना चाहिए, लेकिन अस्पताल में इन नियमों का उल्लघंन हो रहा है। 236 बेड पर 24 चिकित्सक ही तैमात है।जिला अस्पताल में वर्तमान में एल-1 चार, एल-2, एल-3 के पद पर चार चिकित्सक तैनात है। जबकि पांच का मानक है। एक रिक्त है। एल-4 के 10 चिकित्सक तैनात है। जबकि मानक 12 का है। इसमें दो रिक्त पद है। इस प्रकार कुल 20 चिकित्सक तैनात है। इसके अलावा सीएमओ के अधीनस्थ तीन तथा एक संविदा चिकित्सक तैनात है।
अस्पताल में एक तरफ स्पेशलिस्ट व संसाधन का अभाव है तो दूसरी तरफ मानक से काफी कम चिकित्सक हैं। अस्पताल में न तो न्यूरो सर्जन है और न ही मानसिक रोग चिकित्सक है। इसके अलावा गंभीर उपचार के लिए कोई संसाधन नहीं है। जिससे मजबूर होकर गंभीर मरीजों को जिला चिकित्सालय से रेफर करना पड़ता है।
हालात यह है कि जिला चिकित्सालय में बिल्डिंग्स की संख्या बढ़ रही है, ट्रामा सेंटर भी बन गया लेकिन स्टाफ की कमी अब परेशानी की वजह बन रही है। इस बाबत प्रभारी सीएमएस डा. दिवाकर सिहं ने बताया कि जितना संसाधन व चिकित्सक है, उन्हीें से काम चलाया जा रहा है। गंभीर मरीजों को रेफर करना शौक नहीं, बल्कि मजबूरी है।
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