लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्कूल चलो अभियान की हवा निकल गई दिखती है. लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व बनी नई सरकार के गठन के फौरन बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्कूल चलो अभियान को लेकर काफी सक्रियता और गंभीरता दिखाई थी और इसे अपने महत्वपूर्ण एजेंडे में शामिल किया था. इसके बावजूद शैक्षिक गुणवत्ता में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है. प्रदेश के 50 जिलों में स्कूल चलो अभियान की रफ्तार बेहद सुस्त पड़ी हुई है.
स्कूल चलो अभियान फेल साबित
हालांकि, बेसिक शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने इस अभियान में फेल साबित हो रहे लगभग 50 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) से जवाब तलब किया है. अधिकारियों के मुताबिक, जांच के बाद इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बेसिक शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो प्रदेश में स्कूल चलो अभियान फेल साबित हुआ है. प्रदेश के 50 जिलों के राजकीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 2018-19 में विद्यार्थियों का नामांकन 2017-18 की तुलना में बहुत कम हुआ है.
पिछले वर्ष के आंकड़ों से भी काफी पीछे रह गए
सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में शिक्षा से वंचित 4 से 14 वर्ष तक की आयु के शत प्रतिशत बच्चों को स्कूलों से जोड़ने के लिए 1 अप्रैल से 30 जुलाई तक स्कूल चलो अभियान चलाया गया. अभियान में 30 जुलाई तक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1 करोड़ 51 लाख 1 हजार 247 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ, जो गत वर्ष की तुलना में 3 लाख 20 हजार 800 विद्यार्थियों का नामांकन कम हुआ है. यानि सुधार होना तो दूर पिछले वर्ष के आंकड़ों से भी काफी दूर रह गए स्कूल.
नि:शुल्क यूनिफॉर्म वितरित न होने के चलते कम हुए नामांकन
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वोद्र विक्रम सिंह ने नामांकन कम रहने पर 50 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है. उन्होंने बीएसए को नामांकन बढ़ाने के लिए पाबंद करते हुए अब तक की गई कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि स्कूलों में नि:शुल्क यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकें, नि:शुल्क स्कूल बैग समय पर वितरित नहीं होने से नामांकन पर असर पड़ा. वहीं, सहायक अध्यापक अभियान के दौरान अपना अंतरजनपदीय तबादला कराने के जुगाड़ में लगे रहे. सहायक अध्यापकों और शिक्षामित्रों ने घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल से जोड़ने में रुचि नहीं दिखाई.
सूत्रों के मुताबिक, जिन जिलों के बीएसए से जवाब तलब किया गया है उनमें आगरा, अलीगढ़, अंबेडकर नगर, औरैया, बागपत, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बांदा, बाराबंकी, बरेली, भदोही, बदायूं, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, गौतमबुद्घ नगर, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, हापुड़ शामिल हैं. इसके अतिरिक्त हरदोई, जौनपुर, झांसी, अमरोहा, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज, ललितपुर, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रामपुर, संभल, संतकबीर नगर, शाहजहांपुर, श्रावस्ती, सीतापुर, सोनभद्र और सुल्तानपुर के बीएसए से भी रिपोर्ट मांगी गई है. (इनपुट एजेंसी)
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