सिकंदरपुर तहसील के चंदायर गांव में 23 अप्रैल की रात को अचानक लगी आग ने दर्जनों परिवारों की दुनिया उजाड़ दी। आगजनी की इस भयावह घटना में एक दर्जन से अधिक झोपड़ियां जलकर राख हो गईं, वहीं करीब 18 बकरियों की भी जलकर मौत हो गई। आग की लपटों ने लोगों के घरों के साथ उनकी रोज़मर्रा की जरूरतों का सामान—खाद्यान्न, कपड़े, बर्तन और अन्य जीवनोपयोगी वस्तुएं भी निगल लीं।
घटना की सूचना पर मौके पर पहुंचे हल्का लेखपाल ने पीड़ितों को सरकारी सहायता का भरोसा जरूर दिया, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि केवल फोटो खिंचवाकर लौट गए—जमीनी मदद कोई नहीं कर पाया।
ऐसे में जब मनोज और विनोद राजभर को जब इस दुखद हादसे की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत राहत कार्य की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। मनोज और विनोद दोनों गांव पहुंचे और करीब दो दर्जन पीड़ित परिवारों को खाद्य सामग्री, कपड़े, बिस्तर, मच्छरदानी और आर्थिक सहायता प्रदान की।
राहत सामग्री प्राप्त करने वालों में वीर बहादुर राजभर, विक्रम, सुरेंद्र राजभर, महेश, टुनटुन, कमलेश, हरख यादव, पंकज, गुड्डू राजभर, बिगल, श्यामजी, रामजी, राम प्रवेश, वीरेंद्र, बद्री राजभर, लाल राजभर, श्री भगवान, रामसूरत और अमर राजभर जैसे परिवार शामिल रहे।
मनोज और विनोद की इस मदद से पीड़ितों के चेहरों पर आशा की रौशनी झलकने लगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जब तक ये परिवार सामान्य जीवन में वापस नहीं लौटते, तब तक उनकी ओर से हरसंभव मदद जारी रहेगी। ग्रामीणों ने मनोज और विनोद राजभर के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया।
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